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Jhansi: नगर निगम की झोली में 6 माह बाद आए 23.27 करोड़, प्रशासन को मिली राहत, ठप विकास कार्य कराए जा सकेंगे
अमर उजाला नेटवर्क, झांसी
Published by: दीपक महाजन
Updated Thu, 27 Nov 2025 11:54 AM IST
सार
खस्ता माली हालत से जूझ रहे नगर निगम की झोली में छह माह के लंबे इंतजार के बाद 15वें वित्त आयोग के जरिये 23.57 करोड़ रुपये आए हैं। 9.27 करोड़ रुपये गली, नाली आदि के निर्माण पर खर्च होंगे जबकि 13.90 करोड़ सफाई जैसी मूलभूत सहूलियतों पर खर्च होंगे।
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नगर निगम, झांसी
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
खस्ता माली हालत से जूझ रहे नगर निगम की झोली में छह माह के लंबे इंतजार के बाद 15वें वित्त आयोग के जरिये 23.57 करोड़ रुपये आए हैं। 9.27 करोड़ रुपये गली, नाली आदि के निर्माण पर खर्च होंगे जबकि 13.90 करोड़ सफाई जैसी मूलभूत सहूलियतों पर खर्च होंगे। फंड मिलने से अधिकारियों ने राहत की सांस ली है।
15वें वित्त आयोग के जरिये केंद्र सरकार नगर निकायों को वित्तीय मदद देती है। यह राशि तभी जारी होती है जब पिछले कार्यों का ब्योरा शासन को मिल जाता है। मई के बाद से नगर निगम इस किस्त के इंतजार में था लेकिन, कई कार्यों का ब्योरा न भेजे जाने से किस्त समय पर नहीं मिल सकी। इससे कई कार्य लटक गए। 15वें वित्त आयोग से बजट मिलने की उम्मीद में निगम प्रशासन ने अक्तूबर में 60 कार्यों की निविदा भी कर ली थी। 34 कार्य स्वीकृत कर लिए गए जबकि 26 कार्यों की निविदा फिर से कराई गई लेकिन, बजट न होने से ये काम आरंभ नहीं हो सके।
15वें वित्त आयोग से दूसरी किस्त मिली
डोर-टू-डोर कूड़ा उड़ान पर भी संकट के बादल मंडराने लगे। मार्च से अक्तूबर का भुगतान न होने से कार्यदायी एजेंसी का 16.82 करोड़ रुपये बकाया हो गया। एजेंसी की ओर से लगातार भुगतान के लिए दबाव बनाया जा रहा था लेकिन, निगम प्रशासन के पास टालने के सिवाय कोई चारा नहीं था। अब जाकर 15वें वित्त आयोग से दूसरी किस्त नगर निगम के खाते में आई है। कुछ दिनों पहले ही टाइड फंड के तौर पर 13.90 करोड़ रुपये एवं अनटाइट फंड के तौर पर 9.27 करोड़ रुपये दिए गए।
आयोग के मुताबिक राशि होगी खर्च
15वें वित्त आयोग की शर्तों के मुताबिक टाइड फंड को सिर्फ सफाई कार्यों में खर्च किया जा सकता है जबकि अनटाइट फंड में मिली रकम नगर निगम अवस्थापना संबंधी कार्यों को कराने में खर्च कर सकता है। नगर आयुक्त आकांक्षा राणा का कहना है कि 15वें वित्त आयोग की शर्तों के मुताबिक ही यह राशि खर्च की जाएगी।
निगम पर 30 करोड़ से अधिक की देनदारी
नगर निगम की आय मुख्य रूप से चतुर्थ राज्य वित्त आयोग, 15वें वित्त आयोग एवं कर वसूली से होती है लेकिन, पर्याप्त आय न होने से निगम की माली हालत लगातार खस्ता होती जा रही है। अब हालत यह है कि नगर निगम के सरकारी खजाने पर करीब 30 करोड़ रुपये की देनदारी हो गई है। 15वें वित्त आयोग से अनटाइट फंड में मिले 13.90 करोड़ रुपये का एक हिस्सा देनदारी चुकाने में ही खर्च हो जाएगा। नगर आयुक्त आकांक्षा राणा का भी कहना है कि नगर निगम अपनी वित्तीय हालत सुधारने के लिए आय के नए साधन तलाशने में जुटा है।
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15वें वित्त आयोग के जरिये केंद्र सरकार नगर निकायों को वित्तीय मदद देती है। यह राशि तभी जारी होती है जब पिछले कार्यों का ब्योरा शासन को मिल जाता है। मई के बाद से नगर निगम इस किस्त के इंतजार में था लेकिन, कई कार्यों का ब्योरा न भेजे जाने से किस्त समय पर नहीं मिल सकी। इससे कई कार्य लटक गए। 15वें वित्त आयोग से बजट मिलने की उम्मीद में निगम प्रशासन ने अक्तूबर में 60 कार्यों की निविदा भी कर ली थी। 34 कार्य स्वीकृत कर लिए गए जबकि 26 कार्यों की निविदा फिर से कराई गई लेकिन, बजट न होने से ये काम आरंभ नहीं हो सके।
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15वें वित्त आयोग से दूसरी किस्त मिली
डोर-टू-डोर कूड़ा उड़ान पर भी संकट के बादल मंडराने लगे। मार्च से अक्तूबर का भुगतान न होने से कार्यदायी एजेंसी का 16.82 करोड़ रुपये बकाया हो गया। एजेंसी की ओर से लगातार भुगतान के लिए दबाव बनाया जा रहा था लेकिन, निगम प्रशासन के पास टालने के सिवाय कोई चारा नहीं था। अब जाकर 15वें वित्त आयोग से दूसरी किस्त नगर निगम के खाते में आई है। कुछ दिनों पहले ही टाइड फंड के तौर पर 13.90 करोड़ रुपये एवं अनटाइट फंड के तौर पर 9.27 करोड़ रुपये दिए गए।
आयोग के मुताबिक राशि होगी खर्च
15वें वित्त आयोग की शर्तों के मुताबिक टाइड फंड को सिर्फ सफाई कार्यों में खर्च किया जा सकता है जबकि अनटाइट फंड में मिली रकम नगर निगम अवस्थापना संबंधी कार्यों को कराने में खर्च कर सकता है। नगर आयुक्त आकांक्षा राणा का कहना है कि 15वें वित्त आयोग की शर्तों के मुताबिक ही यह राशि खर्च की जाएगी।
निगम पर 30 करोड़ से अधिक की देनदारी
नगर निगम की आय मुख्य रूप से चतुर्थ राज्य वित्त आयोग, 15वें वित्त आयोग एवं कर वसूली से होती है लेकिन, पर्याप्त आय न होने से निगम की माली हालत लगातार खस्ता होती जा रही है। अब हालत यह है कि नगर निगम के सरकारी खजाने पर करीब 30 करोड़ रुपये की देनदारी हो गई है। 15वें वित्त आयोग से अनटाइट फंड में मिले 13.90 करोड़ रुपये का एक हिस्सा देनदारी चुकाने में ही खर्च हो जाएगा। नगर आयुक्त आकांक्षा राणा का भी कहना है कि नगर निगम अपनी वित्तीय हालत सुधारने के लिए आय के नए साधन तलाशने में जुटा है।