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जन आस्था का केंद्र है किले का शिव मंदिर
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झांसी का किला।
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झांसी। महारानी लक्ष्मीबाई के ऐतिहासिक दुर्ग में भगवान शिव का प्राचीन मंदिर है। जो आज भी श्रद्धालुओं की आस्था का विशेष केंद्र है। महाशिवरात्रि पर पर्व हजारों भक्त अपने आराध्य महादेव के दर्शन के लिए परिवार सहित उमड़ते हैं। इस दौरान विशाल मेला भी लगता है। बीते साल की तरह इस बार भी त्योहार पर प्रवेश सैलानियों व भक्तों के लिए निशुल्क रहेगा।
दुर्ग के शंकर गढ़ क्षेत्र में मान्यता है, कि शिव मंदिर का निर्माण 17 वीं सदी में झांसी के पहले मराठा सूबेदार नारो शंकर ने कराया था। गर्भगृह में शिवलिंग, मां पार्वती, गणेश जी आदि देवता विराजमान हैं। मंदिर के मुख्य गुंबद के चारों कोनों पर एक - एक लघु मंदिर भी है। जो काफी आकर्षक नजर आता है। मंदिर से जुड़ी कई मान्यताएं हैं। इनमें प्रमुख है, तत्कालीन मराठा राजाओं व रानी लक्ष्मीबाई का मंदिर पर विशेष आस्था होना। महारानी नियमित भगवान शिव की पूजा मंदिर में करती थीं। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के संरक्षण सहायक अभिषेक ने बताया कि शिव रात्रि पर किला में प्रवेश निशुल्क रहेगा।
विशेष महत्व है महाशिवरात्रि का
महाशिवरात्रि पर भगवान शिव की पूजा व साधना का विशेष महत्व है। ज्योतिषविद् गिरीश कुमार शास्त्री ने बताया कि प्रत्येक माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को शिवरात्रि कहते हैं। लेकिन फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को महाशिवरात्रि कहते हैं। भगवान विष्णु व सृष्टि के रचियता ब्रह्मा जी ने सर्वप्रथम शिवलिंग की पूजा की थी।
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विशेष महत्व है महाशिवरात्रि का
महाशिवरात्रि पर भगवान शिव की पूजा व साधना का विशेष महत्व है। ज्योतिषविद् गिरीश कुमार शास्त्री ने बताया कि प्रत्येक माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को शिवरात्रि कहते हैं। लेकिन फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को महाशिवरात्रि कहते हैं। भगवान विष्णु व सृष्टि के रचियता ब्रह्मा जी ने सर्वप्रथम शिवलिंग की पूजा की थी।