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रानी लक्ष्मीबाई ने बंद कराया था फांसीघर

Jhansi Bureau झांसी ब्यूरो
Updated Mon, 13 Jan 2020 01:09 AM IST
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rani jhansi locked hang house
झांसी किले के अंदर बना प्राचीन फांसी घर का उपरी भाग यहां से फांसी की सजा पाने वाले को लटका जाता था।
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झांसी। महानगर के ऐतिहासिक किला में बेहद पुराना फांसीघर है। इसमें मराठा राजाओं के दौर में जघन्य अपराध करने वालों को मौत की सजा दी जाती थी। हालांकि इसे रानी लक्ष्मीबाई ने बंद करा दिया था। लगभग 60 फीट ऊंचा यह फांसी घर हमेशा सैलानियों के लिए आकर्षण का केंद्र रहता है।
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निर्भया मामले के दोषियों को फांसी की सजा दी जानी है। इस तरह की सजा का प्रचलन काफी पुराना है। झांसी में भी मराठा शासन में अपराधियों को फांसी की सजा दी जाती थी। किला के आमोद उद्यान पर यह फांसी घर बना हुआ है। झांसी के इतिहास के जानकारों के अनुसार एक बार किसी व्यक्ति ने गद्दारी की थी। राजा गंगाधर राव के आदेश पर उसे फांसी दी जाने लगी, जिसे देख रानी लक्ष्मीबाई घबरा गईं। उन्हें इस तरह से किसी की जान लेना अच्छा नहीं लगा। रानी के आग्रह पर फांसी की सजा बंद कर दी गई।
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अंग्रेजों ने भी किया था उपयोग
मराठा शासन के बाद 1857 - 58 की क्रांति के बाद अंग्रेजों ने इस फांसी घर का उपयोग किया और किले में युद्ध दौरान जो पकडे़ गए, उन्हें यहां आनन फानन में सूली पर चढ़ाया गया। विद्वानों का कहना है कि मराठा शासन दौरान कितने लोगों को फांसी की सजा दी गई। इसका विवरण प्राप्त नहीं है।
यह कहना है झांसी के इतिहास के जानकारों का
वरिष्ठ साहित्यकार एवं इतिहासकार जानकी शरण वर्मा का कहना है कि किले के फांसीघर में जघन्य अपराध करने वालों को फांसी की सजा दी जाती थी। पुलिंद कला दीर्घा के अध्यक्ष मुकुंद महरोत्रा का कहना है कि किला निर्माण के प्रारंभिक दौर में फांसीघर बनवाया गया था। इसमें कितने लोगों को सजा दी, इसका कोई उल्लेख नहीं है। श्रीराम गुंठे ने बताया कि इस फांसी घर को रानी ने बंद कराया था। इसकी एक बड़ी वजह समीप में शिव मंदिर होना भी रहा है।
करीब 60 फीट ऊंचा है फांसीघर
लगभग 60 फीट ऊंचे फांसी घर में आज भी लोहे की वह गिरियां देखने को मिलती हैं, जिससे रस्सी जोड़ी जाती थी। दो दीवारों के मध्य लगभग आठ फीट खाली जगह है और ऊपर में एक विशाल कक्ष बना है। जहां जल्लाद फांसी की तैयारियां करते थे। इसकी दो दराजों से रस्सी नीचे की ओर लटकती थी। बताया जाता है कि एक साथ दो लोगों को फांसी दिए जाने की व्यवस्था बनाई गई थी।
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