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Kannauj News: स्विटजरलैंड की तर्ज पर 10.64 करोड़ से तीन तालाबाें का होगा कायाकल्प
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कन्नौज। सरकार की अमृत 2.0 योजना के तहत शहर के तीन प्रमुख तालाबों का कायाकल्प किया जाएगा। इसके लिए शासन ने 10.64 करोड़ रुपये का बजट अवमुक्त करते हुए कार्यदायी संस्था सी एंड डीएस (कांस्ट्रक्शन एंड डिजायनिंग सर्विसेज) को नामित किया है। सर्किट हाउस में समाज कल्याण मंत्री असीम अरुण ने बुधवार को कार्यदायी संस्था के अधिकारियों के साथ बैठक की और परियोजना को मूर्त रूप देने के लिए कार्ययोजना तैयार की। इसमें धीरा ताल पर अधिक फोकस किया गया। बनने के बाद उसे हर्ष सरोवर के नाम से जाना जाएगा।
शहर के तिर्वा रोड स्थित रेलवे फ्लाईओवर के पास स्थित ऐतिहासिक धीरा ताल, वन विभाग के दफ्तर के पास तालाब और कलक्ट्रेट स्थित तालाब के कायाकल्प के लिए मंत्री असीम अरुण ने पहल की थी। मुख्यमंत्री योगी ने तीनों तालाबाें के जीर्णोद्धार और सुंदरीकरण के लिए परियोजना को स्वीकृत कर 10.64 करोड़ रुपये का बजट अवमुक्त कर दिया।
बैठक में सी एंड डीएस के प्रोजेक्ट मैनेजर ने बताया कि धीराताल की जलधारण क्षमता अभी 37,800 किलोलीटर है, जिसे बढ़ाकर 53 हजार किलोलीटर किया जाएगा। साथ ही गहराई को बढ़ाकर 2.40 मीटर किया जाएगा। इसके आसपास बने मकानों से दूषित पानी आता है, जिसे शुद्ध करने के लिए एक मिनी कॉमन ट्रीटमेंट प्लांट लगाया जाएगा। पानी को जर्मनी की नैनो बबल टेक्नोलॉजी से शुद्ध किया जाएगा। इसके अलावा किनारों पर प्लांटेशन भी किया जाएगा। धीरा ताल के कायाकल्प में 5.08 करोड़ रुपये खर्च होंगे।
इसी तरह वन विभाग के दफ्तर वाले तथा कलक्ट्रेट परिसर के तालाब के कायाकल्प की जलधारण क्षमता 18842 किलोलीटर से बढ़ाकर 30 हजार किलोलीटर की जाएगी। इसी गहराई भी डेढ़ मीटर से बढ़ाकर तीन मीटर तक की जाएगी। तालाब के किनारे पर एक पाथ वे और बनाया जाएगा और रात के लिए बेहतरीन लाइटिंग व्यवस्था की जाएगी। इन दाेनों तालाबों के कायाकल्प में 4.08 करोड़ रुपये व्यय होंगे। मछलियों तथा अन्य जलीय जीवों को बचाने के लिए नैनो बबल तकनीक वरदान सिद्ध होगी तो बतख व जलमुर्गी के लिए भी पारिस्थिकीय तंत्र को विकसित किया जाएगा।
महापुरुषों के नाम पर होगा तालाबों का नामकरण
मंत्री ने बताया कि धीरा ताल को हर्ष सरोवर के नाम से जाना जाएगा। इसका नामकरण कन्नौज के प्रतापी सम्राट हर्षवर्धन के नाम पर किया जाएगा। बाकी दोनों तालाबों का जल्द ही नामकरण होगा। सबसे खास बात यह है कि स्विटजरलैंड के तालाबों की तर्ज पर तीनों को विकसित किया जाएगा और इनके निर्माण में पॉन ऑफ इंडिया के नाम से प्रधानमंत्री द्वारा सम्मानित रामवीर तंवर की मदद भी ली जाएगी। इसके अलावा जन सहभागिता से भी तालाबों का सुंदरीकरण किया जाएगा। उन्होंने कहा कि विकसित भारत के लक्ष्य की संकल्पना में संस्कृति के पुनर्जीवीकरण में यह तीनों तालाब मुख्य भूमिका का निर्वहन करेंगे।
कलक्ट्रेट तालाब के पास बनेगा योगा सेंटर
बैठक में मंत्री ने सुझाव दिया कि कलक्ट्रेट तालाब के पास योगा सेंटर बनाया जाए। ताकि प्रतिदिन मॉर्निंग वॉक पर आने वाले लोग यहां योगासन व प्राणायाम कर सकें और उन्हें शुद्ध प्राकृतिक वातावरण मिले। इसके अलावा म्यूजिकल फाउंटेन, हाईटेक सेल्फी प्वाइंट तथा बच्चों के लिए झूलों आदि की व्यवस्था की जाएगी। तालाब के किनारे डिजिटल एडवरटाइजिंग डिस्प्ल बोर्ड भी लगेंगे। तालाब में बच्चों के लिए मोटर बोटिंग की व्यवस्था होगी। ओवरफ्लो पानी को पंपिंग तकनीक से बाहर निकाल दिया जाएगा।
काम समय पर पूरा न होने पर लगेगी पैनाल्टी
समाज कल्याण मंत्री असीम अरुण ने कार्यदायी संस्था सी एंड डीएस के अधिकारियों को चेतावनी दी कि यदि एक साल के अंदर कार्य पूर्ण नहीं हुआ तो पैनाल्टी भी लगाई जाएगी तथा कार्य की गुणवत्ता से कोई समझौता नहीं किया जाएगा। उन्होंने बताया कि कार्यदायी संस्था के अलावा राजकीय इंजीनियरिंग कॉलेज, आईआईटी रोपड़, नगर पालिका परिषद, स्थानीय मीडिया तथा जल संरक्षण की दिशा में काम करने वाले लोगों का भी सहयोग लिया जाएगा। बैठक में इंजीनियरिंग कॉलेज के निदेशक प्रो. मनोज शुक्ल, अधिशासी अधिकारी श्यामेंद्र मोहन चौधरी समेत कार्यदायी संस्था के सभी अधिकारी उपस्थित रहे।

शहर के तिर्वा रोड स्थित रेलवे फ्लाईओवर के पास स्थित ऐतिहासिक धीरा ताल, वन विभाग के दफ्तर के पास तालाब और कलक्ट्रेट स्थित तालाब के कायाकल्प के लिए मंत्री असीम अरुण ने पहल की थी। मुख्यमंत्री योगी ने तीनों तालाबाें के जीर्णोद्धार और सुंदरीकरण के लिए परियोजना को स्वीकृत कर 10.64 करोड़ रुपये का बजट अवमुक्त कर दिया।
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बैठक में सी एंड डीएस के प्रोजेक्ट मैनेजर ने बताया कि धीराताल की जलधारण क्षमता अभी 37,800 किलोलीटर है, जिसे बढ़ाकर 53 हजार किलोलीटर किया जाएगा। साथ ही गहराई को बढ़ाकर 2.40 मीटर किया जाएगा। इसके आसपास बने मकानों से दूषित पानी आता है, जिसे शुद्ध करने के लिए एक मिनी कॉमन ट्रीटमेंट प्लांट लगाया जाएगा। पानी को जर्मनी की नैनो बबल टेक्नोलॉजी से शुद्ध किया जाएगा। इसके अलावा किनारों पर प्लांटेशन भी किया जाएगा। धीरा ताल के कायाकल्प में 5.08 करोड़ रुपये खर्च होंगे।
इसी तरह वन विभाग के दफ्तर वाले तथा कलक्ट्रेट परिसर के तालाब के कायाकल्प की जलधारण क्षमता 18842 किलोलीटर से बढ़ाकर 30 हजार किलोलीटर की जाएगी। इसी गहराई भी डेढ़ मीटर से बढ़ाकर तीन मीटर तक की जाएगी। तालाब के किनारे पर एक पाथ वे और बनाया जाएगा और रात के लिए बेहतरीन लाइटिंग व्यवस्था की जाएगी। इन दाेनों तालाबों के कायाकल्प में 4.08 करोड़ रुपये व्यय होंगे। मछलियों तथा अन्य जलीय जीवों को बचाने के लिए नैनो बबल तकनीक वरदान सिद्ध होगी तो बतख व जलमुर्गी के लिए भी पारिस्थिकीय तंत्र को विकसित किया जाएगा।
महापुरुषों के नाम पर होगा तालाबों का नामकरण
मंत्री ने बताया कि धीरा ताल को हर्ष सरोवर के नाम से जाना जाएगा। इसका नामकरण कन्नौज के प्रतापी सम्राट हर्षवर्धन के नाम पर किया जाएगा। बाकी दोनों तालाबों का जल्द ही नामकरण होगा। सबसे खास बात यह है कि स्विटजरलैंड के तालाबों की तर्ज पर तीनों को विकसित किया जाएगा और इनके निर्माण में पॉन ऑफ इंडिया के नाम से प्रधानमंत्री द्वारा सम्मानित रामवीर तंवर की मदद भी ली जाएगी। इसके अलावा जन सहभागिता से भी तालाबों का सुंदरीकरण किया जाएगा। उन्होंने कहा कि विकसित भारत के लक्ष्य की संकल्पना में संस्कृति के पुनर्जीवीकरण में यह तीनों तालाब मुख्य भूमिका का निर्वहन करेंगे।
कलक्ट्रेट तालाब के पास बनेगा योगा सेंटर
बैठक में मंत्री ने सुझाव दिया कि कलक्ट्रेट तालाब के पास योगा सेंटर बनाया जाए। ताकि प्रतिदिन मॉर्निंग वॉक पर आने वाले लोग यहां योगासन व प्राणायाम कर सकें और उन्हें शुद्ध प्राकृतिक वातावरण मिले। इसके अलावा म्यूजिकल फाउंटेन, हाईटेक सेल्फी प्वाइंट तथा बच्चों के लिए झूलों आदि की व्यवस्था की जाएगी। तालाब के किनारे डिजिटल एडवरटाइजिंग डिस्प्ल बोर्ड भी लगेंगे। तालाब में बच्चों के लिए मोटर बोटिंग की व्यवस्था होगी। ओवरफ्लो पानी को पंपिंग तकनीक से बाहर निकाल दिया जाएगा।
काम समय पर पूरा न होने पर लगेगी पैनाल्टी
समाज कल्याण मंत्री असीम अरुण ने कार्यदायी संस्था सी एंड डीएस के अधिकारियों को चेतावनी दी कि यदि एक साल के अंदर कार्य पूर्ण नहीं हुआ तो पैनाल्टी भी लगाई जाएगी तथा कार्य की गुणवत्ता से कोई समझौता नहीं किया जाएगा। उन्होंने बताया कि कार्यदायी संस्था के अलावा राजकीय इंजीनियरिंग कॉलेज, आईआईटी रोपड़, नगर पालिका परिषद, स्थानीय मीडिया तथा जल संरक्षण की दिशा में काम करने वाले लोगों का भी सहयोग लिया जाएगा। बैठक में इंजीनियरिंग कॉलेज के निदेशक प्रो. मनोज शुक्ल, अधिशासी अधिकारी श्यामेंद्र मोहन चौधरी समेत कार्यदायी संस्था के सभी अधिकारी उपस्थित रहे।