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पीएलआई की हर किस्त पर लगेगा सर्विस टैक्स
ब्यूरो, अमर उजाला कानपुर
Updated Tue, 06 Jan 2015 03:58 AM IST
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पोस्टल लाइफ इंश्योरेंस (पीएलआई) करवाने वाले सरकारी और अर्द्ध सरकारी कर्मचारी को अब हर किस्त पर सर्विस टैक्स देना होगा। पहली जनवरी से डाक विभाग ने पीएलआई पर सर्विस टैक्स लागू कर दिया है।
वहीं, फरवरी 2014 के बाद इंश्योरेंस करवाने वाले ग्राहकों को प्रति प्रीमियम का 3.09 प्रतिशत सर्विस टैक्स देना पड़ेगा। जनवरी 2015 तक ए प्रतिशत या उससे अधिक साल पूरे कर चुके ग्राहकों को प्रति प्रीमियम 1.545 प्रतिशत टैक्स चुकाना पड़ेगा।
पोस्टल सर्विस बोर्ड के इस नए निर्देश से शहर के करीब 55000 और प्रदेश के पांच लाख कर्मचारियों पर आर्थिक बोझ पड़ेगा। डाक विभाग ने सभी डाकघरों को नए निर्देश जारी कर ग्राहकों को अवगत करवाने को कहा है।
चेक से प्रीमियम अदा करने वाले ग्राहकों से सर्विस टैक्स जोड़कर राशि देने की अपील की गई है। शहरी क्षेत्रों के अलावा ग्रामीण क्षेत्रों के ग्राहकों को भी सर्विस टैक्स देना होगा। पीएलआई और आरपीएलआई (ग्रामीण डाक जीवन बीमा) को सर्विस टैक्स के दायरे में लाया गया है।
निदेशक डाक सेवाएं प्रीति अग्रवाल ने बताया कि पीएलआई के प्रीमियम पर सर्विस टैक्स लगाने का जीओ आ चुका है। इसमें पीएलआई की लिमिट 20 लाख से बढ़ाकर 50 लाख रुपये कर दी गई है।
जबकि आरपीएलआई में ऐसा नहीं हुआ है। इसमें 5 लाख रुपये तक की लिमिट है। उन्होंने बताया कि देशभर में करीब 43 लाख पीएलआई और आरपीएलआई के ग्राहक है।

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पोस्टल सर्विस बोर्ड के इस नए निर्देश से शहर के करीब 55000 और प्रदेश के पांच लाख कर्मचारियों पर आर्थिक बोझ पड़ेगा। डाक विभाग ने सभी डाकघरों को नए निर्देश जारी कर ग्राहकों को अवगत करवाने को कहा है।
चेक से प्रीमियम अदा करने वाले ग्राहकों से सर्विस टैक्स जोड़कर राशि देने की अपील की गई है। शहरी क्षेत्रों के अलावा ग्रामीण क्षेत्रों के ग्राहकों को भी सर्विस टैक्स देना होगा। पीएलआई और आरपीएलआई (ग्रामीण डाक जीवन बीमा) को सर्विस टैक्स के दायरे में लाया गया है।
निदेशक डाक सेवाएं प्रीति अग्रवाल ने बताया कि पीएलआई के प्रीमियम पर सर्विस टैक्स लगाने का जीओ आ चुका है। इसमें पीएलआई की लिमिट 20 लाख से बढ़ाकर 50 लाख रुपये कर दी गई है।
जबकि आरपीएलआई में ऐसा नहीं हुआ है। इसमें 5 लाख रुपये तक की लिमिट है। उन्होंने बताया कि देशभर में करीब 43 लाख पीएलआई और आरपीएलआई के ग्राहक है।