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महोबा: कई बार फोन किया, नहीं आई एंबुलेंस, नवजात की मौत
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, महोबा
Published by: शिखा पांडेय
Updated Thu, 26 Aug 2021 08:57 PM IST
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सार
पिता ने आरोप लगाया कि एंबुलेंस संचालन की मनमानी का खामियाजा उसे भुगतना पड़ा। यदि उन्हें समय से एंबुलेंस मिल जाती तो शायद उसकी बच्ची की जान बच जाती।

सांकेतिक तस्वीर
- फोटो : सोशल मीडिया
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विस्तार
महोबा जिले में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र चरखारी में प्रसव के बाद नवजात शिशु की हालत बिगड़ गई। डॉक्टरों ने जच्चा-बच्चा को जिला महिला अस्पताल भेजा। एसएनसीयू वार्ड में उपचार के बाद भी नवजात की हालत में सुधार न होने पर डॉक्टरों ने मेडिकल कॉलेज झांसी रेफर कर दिया।
परिजन एंबुुलेंस के लिए बार-बार फोन लगाते रहे लेकिन तीन घंटे तक एंबुलेंस नहीं आई। जिससे नवजात की मौत हो गई। इससे नाराज परिजनों ने महिला अस्पताल के बाहर हंगामा करते हुए लापरवाही का आरोप लगाया। कोतवाली चरखारी के बैहारी गांव निवासी लक्ष्मी प्रसाद की पत्नी अर्चना को प्रसव पीड़ा होने पर बुधवार की रात परिजन उसे सीएचसी चरखारी लाए।
जहां महिला ने नवजात बच्ची को जन्म दिया। जन्म के बाद नवजात की हालत बिगड़ने पर उसे महिला जिला अस्पताल भेजा गया। जहां इलाज के बाद हालत में सुधार नहीं हुई। तब डॉक्टरों ने गुरुवार की सुबह करीब नौ बजे मेडिकल कॉलेज झांसी के लिए रेफर कर दिया।
लक्ष्मीप्रसाद 108 नंबर एंबुलेंस को कई बार फोन लगाता रहा लेकिन दोपहर 12 बजे तक एंबुलेंस नहीं आई। जिससे मासूम की मौत हो गई। एंबुलेंस सेवा के अभाव में नवजात की मौत होने से परिजन आक्रोशित हो गए। दादी जानकी नवजात को गोद में लेकर बिलखती रही।

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परिजन एंबुुलेंस के लिए बार-बार फोन लगाते रहे लेकिन तीन घंटे तक एंबुलेंस नहीं आई। जिससे नवजात की मौत हो गई। इससे नाराज परिजनों ने महिला अस्पताल के बाहर हंगामा करते हुए लापरवाही का आरोप लगाया। कोतवाली चरखारी के बैहारी गांव निवासी लक्ष्मी प्रसाद की पत्नी अर्चना को प्रसव पीड़ा होने पर बुधवार की रात परिजन उसे सीएचसी चरखारी लाए।
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जहां महिला ने नवजात बच्ची को जन्म दिया। जन्म के बाद नवजात की हालत बिगड़ने पर उसे महिला जिला अस्पताल भेजा गया। जहां इलाज के बाद हालत में सुधार नहीं हुई। तब डॉक्टरों ने गुरुवार की सुबह करीब नौ बजे मेडिकल कॉलेज झांसी के लिए रेफर कर दिया।
लक्ष्मीप्रसाद 108 नंबर एंबुलेंस को कई बार फोन लगाता रहा लेकिन दोपहर 12 बजे तक एंबुलेंस नहीं आई। जिससे मासूम की मौत हो गई। एंबुलेंस सेवा के अभाव में नवजात की मौत होने से परिजन आक्रोशित हो गए। दादी जानकी नवजात को गोद में लेकर बिलखती रही।
पिता ने आरोप लगाया कि एंबुलेंस संचालन की मनमानी का खामियाजा उसे भुगतना पड़ा। यदि उन्हें समय से एंबुलेंस मिल जाती तो शायद उसकी बच्ची की जान बच जाती। उधर, जिला महिला अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. डीके सुल्लेरे का कहना है कि नवजात की हालत गंभीर थी।
जिसे रेफर किया गया था। एंबुलेंस न आने पर उसका इलाज चलता रहा। एंबुलेंस की जिम्मेदारी उनकी नहीं है। एंबुलेंस सेवा लखनऊ से संचालित होती है। अस्पताल में कोई एंबुुलेंस नहीं हैं, यदि यहां उपलब्ध होती तो भेजा जाता।
जिसे रेफर किया गया था। एंबुलेंस न आने पर उसका इलाज चलता रहा। एंबुलेंस की जिम्मेदारी उनकी नहीं है। एंबुलेंस सेवा लखनऊ से संचालित होती है। अस्पताल में कोई एंबुुलेंस नहीं हैं, यदि यहां उपलब्ध होती तो भेजा जाता।