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Lakhimpur Kheri News: एआई से लैस एनपीएसएस एप बताएगा फसलों में कौन सा लगा है रोग
संवाद न्यूज एजेंसी, लखीमपुर खीरी
Updated Sun, 14 Sep 2025 01:27 AM IST
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लखीमपुर खीरी। फसलों को रोग व कीटों से बचाने के लिए कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय ने एआई से लैस एनपीएसएस एप बनाया है। फोटो अपलोड करते ही यह एप लगे रोग व कीट बारे में बात देगा। यह तकनीक फसलों को सुरक्षित रखने के लिए काफी कारगर साबित होगी।
अभी तक किसान फसलों में रोग से संबंधित जानकारी के लिए विशेषज्ञों के पास जाते हैं, लेकिन इस तकनीकी से खुद ही रोग की पहचान व बचाव कर सकते हैं। जिला कृषि अधिकारी सूर्य प्रताप सिंह ने बताया कि यह तकनीक फसल की तस्वीर को स्कैन कर उससे जुड़ी सूक्ष्म से सूक्ष्म जानकारी देती है। किसानों को अच्छी और गुणवत्ता वाली फसल उपलब्ध कराने के लिए कृषि विभाग ने यह कदम उठाया है। नेशनल प्लांट सर्विलांस सिस्टम (एनपीएसएस) नाम का यह एप किसानों के लिए एक वरदान होगा।
एप पर इलाज के उपाय भी पता चलेंगे। इस एप के माध्यम से किसान सीधे कृषि विशेषज्ञों से बात कर सकते हैं। फसल के रोगों व उसके उपचार के लिए सलाह ले सकेंगे। एप पर अभी हिंदी, अंग्रेजी जैसी कई भाषाएं हैं।
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कराया जा रहा प्रचार-प्रसार
जिला कृषि अधिकारी ने बताया कि एप का प्रचार-प्रसार कराया जा रहा है, ताकि अधिक से अधिक किसान भाई इसका लाभ उठा सकें। सभी एग्रिजंक्शन, डीलर्स, बीज भंडार आदि जगह जानकारी चस्पा कराई जा रही है। तहसील व किसान दिवस पर स्टैंडी, पोस्टर व बैनर लगाने के निर्देश दिए गए हैं। साथ ही यहां आने वाले किसानों के मोबाइल फोन में एप डाउनलोड करने के लिए कर्मचारियों से कहा गया है।
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रोगों से बचाव के ये करें उपाय
जिला कृषि अधिकारी व प्रभारी जिला कृषि रक्षा अधिकारी सूर्य प्रताप सिंह ने बताया कि सितंबर में धान में कई प्रकार के रोग व कीट का खतरा बढ़ा है। ऐसे में खाद, सिंचाई, कीट-रोग प्रबंधन व खेत की देखभाल करना जरूरी है। तना बेधक कीट नियंत्रण के लिए 5 गंघ ट्रैप प्रति हेक्टेयर लगाएं। पंपत्ती मोड़क, तना छेदक, हिस्पा कीट का प्रकोप दिखने पर क्यूनालफास 25 प्रतिशत ईसी की 1.5 लीटर मात्रा 500-600 लीटर पानी घोलकर छिड़काव करें। धान में शीथ ब्लाईट के नियंत्रण के लिए ट्राईसाइक्लाजोल 75 प्रतिशत डब्लूपी 300 ग्राम 500-600 पानी में घोलकर 15 दिन के अंतराल पर दो छिड़काव करें।

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अभी तक किसान फसलों में रोग से संबंधित जानकारी के लिए विशेषज्ञों के पास जाते हैं, लेकिन इस तकनीकी से खुद ही रोग की पहचान व बचाव कर सकते हैं। जिला कृषि अधिकारी सूर्य प्रताप सिंह ने बताया कि यह तकनीक फसल की तस्वीर को स्कैन कर उससे जुड़ी सूक्ष्म से सूक्ष्म जानकारी देती है। किसानों को अच्छी और गुणवत्ता वाली फसल उपलब्ध कराने के लिए कृषि विभाग ने यह कदम उठाया है। नेशनल प्लांट सर्विलांस सिस्टम (एनपीएसएस) नाम का यह एप किसानों के लिए एक वरदान होगा।
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एप पर इलाज के उपाय भी पता चलेंगे। इस एप के माध्यम से किसान सीधे कृषि विशेषज्ञों से बात कर सकते हैं। फसल के रोगों व उसके उपचार के लिए सलाह ले सकेंगे। एप पर अभी हिंदी, अंग्रेजी जैसी कई भाषाएं हैं।
कराया जा रहा प्रचार-प्रसार
जिला कृषि अधिकारी ने बताया कि एप का प्रचार-प्रसार कराया जा रहा है, ताकि अधिक से अधिक किसान भाई इसका लाभ उठा सकें। सभी एग्रिजंक्शन, डीलर्स, बीज भंडार आदि जगह जानकारी चस्पा कराई जा रही है। तहसील व किसान दिवस पर स्टैंडी, पोस्टर व बैनर लगाने के निर्देश दिए गए हैं। साथ ही यहां आने वाले किसानों के मोबाइल फोन में एप डाउनलोड करने के लिए कर्मचारियों से कहा गया है।
रोगों से बचाव के ये करें उपाय
जिला कृषि अधिकारी व प्रभारी जिला कृषि रक्षा अधिकारी सूर्य प्रताप सिंह ने बताया कि सितंबर में धान में कई प्रकार के रोग व कीट का खतरा बढ़ा है। ऐसे में खाद, सिंचाई, कीट-रोग प्रबंधन व खेत की देखभाल करना जरूरी है। तना बेधक कीट नियंत्रण के लिए 5 गंघ ट्रैप प्रति हेक्टेयर लगाएं। पंपत्ती मोड़क, तना छेदक, हिस्पा कीट का प्रकोप दिखने पर क्यूनालफास 25 प्रतिशत ईसी की 1.5 लीटर मात्रा 500-600 लीटर पानी घोलकर छिड़काव करें। धान में शीथ ब्लाईट के नियंत्रण के लिए ट्राईसाइक्लाजोल 75 प्रतिशत डब्लूपी 300 ग्राम 500-600 पानी में घोलकर 15 दिन के अंतराल पर दो छिड़काव करें।