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पंचायत राज परिषद ने दिया धरना, दफ्तर पर लटके ताले
अमर उजाला ब्यूरो-लखीमपुर खीरी।
Updated Fri, 10 Jun 2016 11:04 PM IST
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प्रदर्शन
- फोटो : अमर उजाला
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- ग्राम्य विकास विभाग के नियंत्रण से मुक्त होने की मांग
- जुबानी जंग तेज, ग्राम्य विकास को बताया परजीवी
पंचायत राज सेवा परिषद ने घटक संगठनों के साथ विभिन्न मांगों को लेकर शुक्रवार को एक दिवसीय धरना प्रदर्शन किया, जिसमें निशाने पर रहे ग्राम्य विकास विभाग को शोषक (परजीवी) बताते हुए आरपार की लड़ाई का ऐलान किया है। इस दौरान काम बंद रहा और दफ्तर में ताले लटकते नजर आए। धरने में पंचायती राज विभाग के अधिकारी और कर्मचारी शामिल हुए, जिन्होंने एक स्वर में ग्राम्य विकास विभाग के नियंत्रण से मुक्त होने की मांग बुलंद की। इसके बाद संगठन ने मुख्यमंत्री को संबोधित मांग पत्र डीएम को सौंपा है। शीघ्र मांगे पूरी न होने पर पंचायत राज सेवा परिषद 17 जून को लखनऊ मुख्यालय पर धरना प्रदर्शन करेगा।
विलोबी मेमोरियल परिसर में धरना प्रदर्शन किया गया, जिसमें जिले भर से पंचायती राज विभाग के अधिकारी, कर्मचारी और सफाईकर्मी शामिल हुए। संगठन अध्यक्ष एवं डीपीआरओ सुधीर कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि ग्राम पंचायत से लेकर प्रदेश स्तर तक ग्राम्य विकास विभाग के नियंत्रण से पंचायती राज विभाग को मुक्त कराया जाना आवश्यक हो गया है। विभागों के मध्य समन्वय बनाने के लिए प्रशासनिक संवर्ग के आईएएस एवं पीसीएस अधिकारियों को अधिकृत किया जाए। उन्होंने कहा कि ब्लाकों में एडीओ (पंचायत) पर बीडीओ का नियंत्रण तुरंत समाप्त किया जाए, क्योंकि प्रदेश में ऐसा कोई उदाहरण नहीं है कि एक विभाग का दूसरे विभाग के कार्य एवं कर्मचारियों पर नियंत्रण हो। दो विभागों के बीच समन्वय हो सकता है, लेकिन नियंत्रण नहीं।
एडीओ (पंचायत) रामाधार ने कहा कि ग्राम पंचायत में सचिव का काम देख रहे ग्राम विकास अधिकारियों को ग्राम्य विकास विभाग में वापस किया जाए। एडीओ कुरेंद्र पाल ने कहा कि ग्राम्य विकास विभाग के अधिकारियों के किसी भी आदेश को नहीं मानेंगे और न ही इनके नियंत्रण में कार्य करेंगे। धरने को रामू अवस्थी, दीपक श्रीवास्तव, अहमद हसन, विकास अवस्थी, भजनलाल, उस्मान अली अंसारी, वीरेंद्र कुमार, सुभाष चंद्र, राजू ने भी संबोधित किया। इसके बाद संगठन अध्यक्ष की अगुवाई में कर्मचारियों ने मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन डीएम को सौंपा।
दफ्तर पर लटकते रहे ताले
पंचायती राज विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों के धरना प्रदर्शन मेें जाने के चलते विकास भवन स्थित दफ्तर पर ताले लटकते रहे। दूर-दराज गांवों से आने वाले फरियादियों को असुविधा का सामना करना पड़ा।

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पंचायत राज सेवा परिषद ने घटक संगठनों के साथ विभिन्न मांगों को लेकर शुक्रवार को एक दिवसीय धरना प्रदर्शन किया, जिसमें निशाने पर रहे ग्राम्य विकास विभाग को शोषक (परजीवी) बताते हुए आरपार की लड़ाई का ऐलान किया है। इस दौरान काम बंद रहा और दफ्तर में ताले लटकते नजर आए। धरने में पंचायती राज विभाग के अधिकारी और कर्मचारी शामिल हुए, जिन्होंने एक स्वर में ग्राम्य विकास विभाग के नियंत्रण से मुक्त होने की मांग बुलंद की। इसके बाद संगठन ने मुख्यमंत्री को संबोधित मांग पत्र डीएम को सौंपा है। शीघ्र मांगे पूरी न होने पर पंचायत राज सेवा परिषद 17 जून को लखनऊ मुख्यालय पर धरना प्रदर्शन करेगा।
विलोबी मेमोरियल परिसर में धरना प्रदर्शन किया गया, जिसमें जिले भर से पंचायती राज विभाग के अधिकारी, कर्मचारी और सफाईकर्मी शामिल हुए। संगठन अध्यक्ष एवं डीपीआरओ सुधीर कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि ग्राम पंचायत से लेकर प्रदेश स्तर तक ग्राम्य विकास विभाग के नियंत्रण से पंचायती राज विभाग को मुक्त कराया जाना आवश्यक हो गया है। विभागों के मध्य समन्वय बनाने के लिए प्रशासनिक संवर्ग के आईएएस एवं पीसीएस अधिकारियों को अधिकृत किया जाए। उन्होंने कहा कि ब्लाकों में एडीओ (पंचायत) पर बीडीओ का नियंत्रण तुरंत समाप्त किया जाए, क्योंकि प्रदेश में ऐसा कोई उदाहरण नहीं है कि एक विभाग का दूसरे विभाग के कार्य एवं कर्मचारियों पर नियंत्रण हो। दो विभागों के बीच समन्वय हो सकता है, लेकिन नियंत्रण नहीं।
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एडीओ (पंचायत) रामाधार ने कहा कि ग्राम पंचायत में सचिव का काम देख रहे ग्राम विकास अधिकारियों को ग्राम्य विकास विभाग में वापस किया जाए। एडीओ कुरेंद्र पाल ने कहा कि ग्राम्य विकास विभाग के अधिकारियों के किसी भी आदेश को नहीं मानेंगे और न ही इनके नियंत्रण में कार्य करेंगे। धरने को रामू अवस्थी, दीपक श्रीवास्तव, अहमद हसन, विकास अवस्थी, भजनलाल, उस्मान अली अंसारी, वीरेंद्र कुमार, सुभाष चंद्र, राजू ने भी संबोधित किया। इसके बाद संगठन अध्यक्ष की अगुवाई में कर्मचारियों ने मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन डीएम को सौंपा।
दफ्तर पर लटकते रहे ताले
पंचायती राज विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों के धरना प्रदर्शन मेें जाने के चलते विकास भवन स्थित दफ्तर पर ताले लटकते रहे। दूर-दराज गांवों से आने वाले फरियादियों को असुविधा का सामना करना पड़ा।