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Lalitpur News: बीमा कंपनी पर 10 हजार का जुर्माना
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ललितपुर। हादसे में दुर्घटनाग्रस्त वाहन का क्लेम देने से इन्कार करने पर उपभोक्ता फोरम ने बीमा कंपनी पर 10 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है। साथ ही पीड़ित को 1.30 लाख रुपये की बीमा राशि देने का आदेश दिया है।
मोहल्ला गांधीनगर निवासी हितेंद्र जैन ने जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग की अदालत में दर्ज कराए परिवाद में बताया कि ढाई वर्ष पहले 18 मार्च को वह अपनी स्कॉर्पियो से पिता, पत्नी और दो बेटों के साथ मध्य प्रदेश के जिला दमोह में कुंडलपुर जा रहा था। ग्राम गौना नाराहट के पास मोटरसाइकिल सवार को बचाने के प्रयास में वाहन अनियंत्रित होकर 10 से 15 फीट नीचे गिर गया। इससे वाहन काफी क्षतिग्रस्त हो गया।
उसने वाहन का बीमा करा रखा था और दुर्घटना की जानकारी आईसीआईसीआई के एजेंट को दी। वाहन को बीमा कंपनी के नामित वर्कशॉप पर लाया गया और मरम्मत का कुल खर्च 2,89,147 रुपये बताया गया। सर्वेयर ने कई आवश्यक पुर्जे बिना कोई कारण बताए काट दिया। उसके वाहन में कुल खर्च 2,37,121 रुपये हुआ, लेकिन बीमा कंपनी ने मात्र 1,04,285 रुपये ही अदा किया। बाकी राशि 1,32,836 रुपये उक्त कंपनी को अदा कर वाहन ले जाने को कहा।
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग की अदालत ने परिवाद को स्वीकार कर लिया और कंपनी को बीमा राशि 1.30 लाख रुपये सात प्रतिशत ब्याज के साथ 45 दिन में पीड़ित को देने के आदेश दिए।
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मोहल्ला गांधीनगर निवासी हितेंद्र जैन ने जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग की अदालत में दर्ज कराए परिवाद में बताया कि ढाई वर्ष पहले 18 मार्च को वह अपनी स्कॉर्पियो से पिता, पत्नी और दो बेटों के साथ मध्य प्रदेश के जिला दमोह में कुंडलपुर जा रहा था। ग्राम गौना नाराहट के पास मोटरसाइकिल सवार को बचाने के प्रयास में वाहन अनियंत्रित होकर 10 से 15 फीट नीचे गिर गया। इससे वाहन काफी क्षतिग्रस्त हो गया।
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उसने वाहन का बीमा करा रखा था और दुर्घटना की जानकारी आईसीआईसीआई के एजेंट को दी। वाहन को बीमा कंपनी के नामित वर्कशॉप पर लाया गया और मरम्मत का कुल खर्च 2,89,147 रुपये बताया गया। सर्वेयर ने कई आवश्यक पुर्जे बिना कोई कारण बताए काट दिया। उसके वाहन में कुल खर्च 2,37,121 रुपये हुआ, लेकिन बीमा कंपनी ने मात्र 1,04,285 रुपये ही अदा किया। बाकी राशि 1,32,836 रुपये उक्त कंपनी को अदा कर वाहन ले जाने को कहा।
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग की अदालत ने परिवाद को स्वीकार कर लिया और कंपनी को बीमा राशि 1.30 लाख रुपये सात प्रतिशत ब्याज के साथ 45 दिन में पीड़ित को देने के आदेश दिए।