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UP: डाकू छविराम...जिसने उतारा था 15 पुलिसकर्मियों को माैत के घाट, गैंग का पकड़ा सदस्य; कई मुकदमे हैं दर्ज
संवाद न्यूज एजेंसी, मैनपुरी
Published by: अरुन पाराशर
Updated Mon, 01 Dec 2025 07:27 PM IST
सार
डाकू छविराम गैंग में सक्रिय सदस्य रहे थाना दन्नाहार क्षेत्र के गांव रठेरा निवासी भूदेव पर हत्या, जानलेवा हमला, लूट के कई मुकदमे दर्ज हुए थे। थाने में हिस्ट्रीशीट भी खुली हुई है। पुलिस उसकी तलाश में जुटी थी।
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छविराम गैंग का सदस्य भूदेव।
- फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी
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विस्तार
मैनपुरी के दन्नाहार थाना पुलिस ने सोमवार को न्यायालय से वारंट जारी होने के बाद कभी कई राज्यों में आतंक का पर्याय रहे डाकू छविराम गैंग के सक्रिय सदस्य रहे भूदेव को गिरफ्तार कर एक बड़ी सफलता हासिल की। वह लंबे समय से साधू का भेष बना कर छिपा हुआ था। दन्नाहार थाने में उसकी हिस्ट्रीशीट खुली है, हत्या, लूट सहित कई आपराधिक मामले दर्ज हैं। उसे न्यायालय में पेश किया जहां से उसे पुलिस अभिरक्षा में जेल भेज दिया गया है।
गांव रठेरा के रहने वाले भूदेव एक जमाने में उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और राजस्थान में डकैती, अपहरण, हत्या आदि की घटनाओं को अंजाम देने वाले कुख्यात डाकू छविराम के सदस्य थे। ऐसा माना जाता था कि एक समय पुलिस के लिए भी इस गैंग से लोहा लेना टेढ़ी खीर था। वर्ष 1982 में पुलिस एनकाउंटर में कुख्यात छविराम की मौत के बाद शासन-प्रशासन ने राहत की सांस ली थी।
छविराम की मौत के बाद से गैंग में बिखराव भी शुरू हो गया था। इसके बाद कई गैंग सक्रिय हुए, हालांकि पुलिस ने उन्हें अधिक समय तक पनपने नहीं दिया। इसी गैंग में एक सक्रिय सदस्य रहे थाना दन्नाहार क्षेत्र के गांव रठेरा निवासी भूदेव पर भी हत्या, जानलेवा हमला, लूट के कई मुकदमे दर्ज हुए, थाने में हिस्ट्रीशीट भी खुली हुई है। मगर, काफी समय से वह न्यायालय में अनुपस्थित चल रहे थे। पुलिस उनकी तलाश में थी, कुछ समय पहले उनकी गिरफ्तारी को गैर जमानती वारंट जारी हुए थे। इसके बाद पुलिस एक बार फिर से तलाश को लेकर सक्रिय हो गई थी।
सोमवार को एक सूचना पर प्रभारी निरीक्षक वीरेंद्र पाल सिंह ने टीम के साथ नगला कोडर में छिपे भूदेव को गिरफ्तार करने में सफलता हासिल की। भूदेव को गिरफ्तारी के बाद न्यायालय में पेश किया गया, वहां से पुलिस अभिरक्षा में जेल भेजा गया।
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गांव रठेरा के रहने वाले भूदेव एक जमाने में उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और राजस्थान में डकैती, अपहरण, हत्या आदि की घटनाओं को अंजाम देने वाले कुख्यात डाकू छविराम के सदस्य थे। ऐसा माना जाता था कि एक समय पुलिस के लिए भी इस गैंग से लोहा लेना टेढ़ी खीर था। वर्ष 1982 में पुलिस एनकाउंटर में कुख्यात छविराम की मौत के बाद शासन-प्रशासन ने राहत की सांस ली थी।
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छविराम की मौत के बाद से गैंग में बिखराव भी शुरू हो गया था। इसके बाद कई गैंग सक्रिय हुए, हालांकि पुलिस ने उन्हें अधिक समय तक पनपने नहीं दिया। इसी गैंग में एक सक्रिय सदस्य रहे थाना दन्नाहार क्षेत्र के गांव रठेरा निवासी भूदेव पर भी हत्या, जानलेवा हमला, लूट के कई मुकदमे दर्ज हुए, थाने में हिस्ट्रीशीट भी खुली हुई है। मगर, काफी समय से वह न्यायालय में अनुपस्थित चल रहे थे। पुलिस उनकी तलाश में थी, कुछ समय पहले उनकी गिरफ्तारी को गैर जमानती वारंट जारी हुए थे। इसके बाद पुलिस एक बार फिर से तलाश को लेकर सक्रिय हो गई थी।
सोमवार को एक सूचना पर प्रभारी निरीक्षक वीरेंद्र पाल सिंह ने टीम के साथ नगला कोडर में छिपे भूदेव को गिरफ्तार करने में सफलता हासिल की। भूदेव को गिरफ्तारी के बाद न्यायालय में पेश किया गया, वहां से पुलिस अभिरक्षा में जेल भेजा गया।
साधु का भेष बनाकर रह रहा था भूदेव
कभी छविराम गैंग में खुलेआम आपराधिक घटनाओं को अंजाम देने वाला भूदेव अब वृद्ध हो चुका है, दर्ज मुकदमों में तारीखों को करते हुए परेशान हो चुका है। कुछ समय पहले अचानक से गायब हो गया, इसके बाद भूदेव का कोई पता नहीं लग सका। पुलिस ने जब उसे गिरफ्तार किया तो वह साधु के भेष में था, बढ़ी हुई दाढ़ी और भगवा वस्त्र पहने भूदेव पुलिस को चकमा देता आ रहा था। मगर, किसी ने उसकी मुखबिरी कर दी और पुलिस को साधु भेष में भूदेव का असली चेहरा पता लग गया।
डाकू छविराम और गैंग का आपराधिक इतिहास
जिले के थाना औंछा क्षेत्र के गांव हरनागरपुर निवासी छविराम महज 20 साल की उम्र में ही डकैत बन गया था। धीरे-धीरे आतंक ने उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और राजस्थान में शासन-प्रशासन को भी चुनौती देना शुरू कर दिया था। डकैती, हत्या करने वाले छविराम का नाम सुनकर ही लोग कांप जाते थे। गिरोह पर एक विधायक की हत्या कर शव ज़मीन में गाड़ने का आरोप भी था। जून 1980 में जब वीपी सिंह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। उस समय छविराम का आतंक भी चरम पर था। वीपी सिंह ने मध्य प्रदेश सरकार के साथ मिल कर उत्तर प्रदेश में डाकुओं के उन्मूलन का एक बड़ा अभियान चलाया था। सरकार ने छविराम को पकड़ने के लिए पांच लाख रुपये का इनाम घोषित किया था।
अलीगंज क्षेत्र में सात अगस्त 1981 को मुखबिर की सूचना पर पुलिस ने नथुआपुर गांव में मौजूद 60-70 बदमाशों की घेराबंदी की। कई घंटों तक चली मुठभेड़ में पुलिस के पास गोलियां कम पड़ गईं। जिसके चलते डाकू छविराम ने चारों तरफ से घेराबंदी कर इंस्पेक्टर राजपाल सिंह सहित 15 पुलिसकर्मियों की बेरहमी से हत्या कर दी थी, जिसमें तीन ग्रामीणों की भी मौत हुई थी। जिसके बाद उत्तर प्रदेश , मध्य प्रदेश और राजस्थान की सरकारों ने वारंट जारी किए। 1982 में डाकू छविराम के एनकाउंटर के बाद ही तत्कालीन केंद्र व प्रदेश सरकार ने राहत की सांस ली थी।
कभी छविराम गैंग में खुलेआम आपराधिक घटनाओं को अंजाम देने वाला भूदेव अब वृद्ध हो चुका है, दर्ज मुकदमों में तारीखों को करते हुए परेशान हो चुका है। कुछ समय पहले अचानक से गायब हो गया, इसके बाद भूदेव का कोई पता नहीं लग सका। पुलिस ने जब उसे गिरफ्तार किया तो वह साधु के भेष में था, बढ़ी हुई दाढ़ी और भगवा वस्त्र पहने भूदेव पुलिस को चकमा देता आ रहा था। मगर, किसी ने उसकी मुखबिरी कर दी और पुलिस को साधु भेष में भूदेव का असली चेहरा पता लग गया।
डाकू छविराम और गैंग का आपराधिक इतिहास
जिले के थाना औंछा क्षेत्र के गांव हरनागरपुर निवासी छविराम महज 20 साल की उम्र में ही डकैत बन गया था। धीरे-धीरे आतंक ने उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और राजस्थान में शासन-प्रशासन को भी चुनौती देना शुरू कर दिया था। डकैती, हत्या करने वाले छविराम का नाम सुनकर ही लोग कांप जाते थे। गिरोह पर एक विधायक की हत्या कर शव ज़मीन में गाड़ने का आरोप भी था। जून 1980 में जब वीपी सिंह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। उस समय छविराम का आतंक भी चरम पर था। वीपी सिंह ने मध्य प्रदेश सरकार के साथ मिल कर उत्तर प्रदेश में डाकुओं के उन्मूलन का एक बड़ा अभियान चलाया था। सरकार ने छविराम को पकड़ने के लिए पांच लाख रुपये का इनाम घोषित किया था।
अलीगंज क्षेत्र में सात अगस्त 1981 को मुखबिर की सूचना पर पुलिस ने नथुआपुर गांव में मौजूद 60-70 बदमाशों की घेराबंदी की। कई घंटों तक चली मुठभेड़ में पुलिस के पास गोलियां कम पड़ गईं। जिसके चलते डाकू छविराम ने चारों तरफ से घेराबंदी कर इंस्पेक्टर राजपाल सिंह सहित 15 पुलिसकर्मियों की बेरहमी से हत्या कर दी थी, जिसमें तीन ग्रामीणों की भी मौत हुई थी। जिसके बाद उत्तर प्रदेश , मध्य प्रदेश और राजस्थान की सरकारों ने वारंट जारी किए। 1982 में डाकू छविराम के एनकाउंटर के बाद ही तत्कालीन केंद्र व प्रदेश सरकार ने राहत की सांस ली थी।