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UP: बांकेबिहारी मंदिर ट्रस्ट और कॉरिडोर का विरोध तेज...संत ने खून से लिखा पत्र, सीएम योगी से की ये अपील
संवाद न्यूज एजेंसी, मथुरा
Published by: अरुन पाराशर
Updated Thu, 29 May 2025 10:13 PM IST
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सार
मथुरा के बांकेबिहारी मंदिर ट्रस्ट और कॉरिडोर का विरोध तेज होता जा रहा है। अब संत ने खून से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखा है।

दिनेश फलाहारी
- फोटो : Amar Ujala
विस्तार
मथुरा के वृंदावन में श्रीबांकेबिहारी मंदिर कॉरिडोर को लेकर उठ रहे विवाद के बीच श्रीकृष्ण जन्मस्थान आंदोलन से जुड़े दिनेश फलाहारी ने प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को अपने खून से पत्र लिखकर भावनात्मक अपील की है। साथ ही उन्होंने सीएम के एक्स अकाउंट पर ट्वीट कर मंदिर सेवायतों और ब्रजवासियों के हित में उचित कार्रवाई की मांग की है।
फलाहारी ने पत्र में लिखा है कि यदि बांकेबिहारी मंदिर कॉरिडोर परियोजना के चलते ब्रजवासियों की दुकानों और मकानों का अधिग्रहण किया जाता है तो उन्हें कॉरिडोर के भीतर ही उचित स्थान और मुआवजा दिया जाए। साथ ही उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि मंदिर के नाम पर जमा धनराशि का उपयोग केवल सेवायतों की सहमति से ही होना चाहिए, क्योंकि यह मंदिर स्वामी हरिदास जी के वंशज गोस्वामी समाज का निजी मंदिर है।
उन्होंने लिखा, जिसकी रोजी-रोटी सदियों से चल रही हो, अगर वो अचानक छीन ली जाए, तो उस पर क्या बीतेगी यह आप भली-भांति जानते हैं। उन्होंने यह भी मांग की कि मंदिर ट्रस्ट में किसी बाहरी व्यक्ति को शामिल न किया जाए। पत्र के अंत में उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो वे सेवायतों के साथ भूख हड़ताल पर बैठेंगे और हर स्तर पर उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े रहेंगे।
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फलाहारी ने पत्र में लिखा है कि यदि बांकेबिहारी मंदिर कॉरिडोर परियोजना के चलते ब्रजवासियों की दुकानों और मकानों का अधिग्रहण किया जाता है तो उन्हें कॉरिडोर के भीतर ही उचित स्थान और मुआवजा दिया जाए। साथ ही उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि मंदिर के नाम पर जमा धनराशि का उपयोग केवल सेवायतों की सहमति से ही होना चाहिए, क्योंकि यह मंदिर स्वामी हरिदास जी के वंशज गोस्वामी समाज का निजी मंदिर है।
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उन्होंने लिखा, जिसकी रोजी-रोटी सदियों से चल रही हो, अगर वो अचानक छीन ली जाए, तो उस पर क्या बीतेगी यह आप भली-भांति जानते हैं। उन्होंने यह भी मांग की कि मंदिर ट्रस्ट में किसी बाहरी व्यक्ति को शामिल न किया जाए। पत्र के अंत में उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो वे सेवायतों के साथ भूख हड़ताल पर बैठेंगे और हर स्तर पर उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े रहेंगे।