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Mau News: 18 जजों पर 1.9 लाख मुकदमों की सुनवाई का भार
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मऊ। जिले के 18 न्यायिक अधिकारियों पर 1.9 लाख मुकदमों की सुनवाई का भार है। कुल 35 में से जजों के 17 पद रिक्त हैं। जिला एवं सत्र न्यायालय, परिवार न्यायालय और वाहन दुर्घटना अधिकरण को लेकर जिले में 35 न्यायालय स्वीकृत हैं। लेकिन वर्तमान में 35 न्यायालयों में मात्र 18 में न्यायिक अधिकारी कार्यरत हैं। वहीं 17 न्यायालय रिक्त है। ऐसे में विभिन्न न्यायालयों में लगभग एक लाख 9 हजार 511 से अधिक मुकदमे लंबित हैं। इसमें फौजदारी के 73885 मामले, सिविल के 29003 मामले, परिवार न्यायालय में 5375 और वाहन दुर्घटना के 1248 मामले शामिल हैं। मुकदमों की संख्या को देखते हुए अधिवक्ताओं, वादकारियों ने उच्च न्यायालय से रिक्त सभी न्यायालयों में पीठासीन अधिकारियों की शीघ्र तैनाती की मांग की है। जिले में जिला एवं सत्र न्यायाधीश के अलावा सात अतिरिक्त सत्र न्यायालय है। इसमें दो फास्ट ट्रैक कोर्ट शामिल हैं।
इसके अलावा, एससी/एसटी का एक न्यायालय, पॉक्सो की तीन अदालत है। इसके अलावा, परिवार न्यायालय की तीन अदालत तथा वाहन दुर्घटना दावा अधिकरण की एक अदालत है। वहीं, निचली अदालत में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के अलावा सिविल जज सीनियर डिवीजन/एसीजेएम की तीन अदालत हैं। सिविल जज जूनियर डिवीजन सदर, मुहम्मदाबाद गोहना, सिविल जज जूनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक कोर्ट, न्यायिक मजिस्ट्रेट, न्यायिक मजिस्ट्रेट फास्ट ट्रैक कोर्ट महिलाओं से संबंधित अपराध के अलावा 9 अतिरिक्त सिविल जज जूनियर डिवीजन कोर्ट तथा एक ग्रामीण न्यायालय, एक विशेष न्यायिक मजिस्ट्रेट और एक किशोर न्यायालय स्वीकृत है। एडीजे के 4, एडीजे फास्ट ट्रैक की एक, पॉक्सो की दो और फैमिली कोर्ट में 2 जजों की पद रिक्त है। वहीं, अतिरिक्त सिविल जज जूनियर डिवीजन की 8 अदालत रिक्त है। पीठासीन अधिकारियों की तैनाती न होने से मुकदमों की सुनवाई में विलंब होना स्वाभाविक है।
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कोट
रिक्त पदों में न्यायिक अधिकारियों की तैनाती को लेकर मुख्य न्यायाधीश हाइकोर्ट से एक प्रतिनिधिमंडल मिला था। उन्होंने आश्वासन दिया। फिर से प्रतिनिधिमंडल मिलकर रिक्त अदालतों में पीठासीन अधिकारी की नियुक्ति की मांग करेगा।
- दारोगा सिंह, अध्यक्ष सिविल कोर्ट सेंट्रल बार एसोसिएशन मऊ
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जिले में स्वीकृत 35 अदालतों में 17 रिक्त हैं। वादकारियों को परेशानी हो रही है। हाइकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश से रिक्त अदालतों में पीठासीन अधिकारियों की नियुक्ति के संबंध में पत्र भेजकर मांग की गई थी, लेकिन अभी नियुक्ति नहीं हो सकी
हरिद्वार राय, पूर्व महामंत्री सिविल कोर्ट सेंट्रल बार एसोसिएशन, मऊ

इसके अलावा, एससी/एसटी का एक न्यायालय, पॉक्सो की तीन अदालत है। इसके अलावा, परिवार न्यायालय की तीन अदालत तथा वाहन दुर्घटना दावा अधिकरण की एक अदालत है। वहीं, निचली अदालत में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के अलावा सिविल जज सीनियर डिवीजन/एसीजेएम की तीन अदालत हैं। सिविल जज जूनियर डिवीजन सदर, मुहम्मदाबाद गोहना, सिविल जज जूनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक कोर्ट, न्यायिक मजिस्ट्रेट, न्यायिक मजिस्ट्रेट फास्ट ट्रैक कोर्ट महिलाओं से संबंधित अपराध के अलावा 9 अतिरिक्त सिविल जज जूनियर डिवीजन कोर्ट तथा एक ग्रामीण न्यायालय, एक विशेष न्यायिक मजिस्ट्रेट और एक किशोर न्यायालय स्वीकृत है। एडीजे के 4, एडीजे फास्ट ट्रैक की एक, पॉक्सो की दो और फैमिली कोर्ट में 2 जजों की पद रिक्त है। वहीं, अतिरिक्त सिविल जज जूनियर डिवीजन की 8 अदालत रिक्त है। पीठासीन अधिकारियों की तैनाती न होने से मुकदमों की सुनवाई में विलंब होना स्वाभाविक है।
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कोट
रिक्त पदों में न्यायिक अधिकारियों की तैनाती को लेकर मुख्य न्यायाधीश हाइकोर्ट से एक प्रतिनिधिमंडल मिला था। उन्होंने आश्वासन दिया। फिर से प्रतिनिधिमंडल मिलकर रिक्त अदालतों में पीठासीन अधिकारी की नियुक्ति की मांग करेगा।
- दारोगा सिंह, अध्यक्ष सिविल कोर्ट सेंट्रल बार एसोसिएशन मऊ
जिले में स्वीकृत 35 अदालतों में 17 रिक्त हैं। वादकारियों को परेशानी हो रही है। हाइकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश से रिक्त अदालतों में पीठासीन अधिकारियों की नियुक्ति के संबंध में पत्र भेजकर मांग की गई थी, लेकिन अभी नियुक्ति नहीं हो सकी
हरिद्वार राय, पूर्व महामंत्री सिविल कोर्ट सेंट्रल बार एसोसिएशन, मऊ