Meerut: 'सैयारा' ने दिखाई तलाक का दंश झेलने वाली महिलाओं की कशमकश, जूही बब्बर का शानदार अभिनय
''पहली शादी उसने अपने से 24 साल बड़े प्रोफेसर से उसकी बीवी व बच्चे होने के बावजूद की। कुछ समय बाद प्रोफेसर के बच्चों को पता चला तो वो खुद सैयारा के घर उसे मारने पहुंच गया।


विस्तार
तलाक का दंश झेलने वाली महिला किस तरह की कशमकश में जिंदगी गुजारती है। क्या जद्दोजहद उसकी जिंदगी में चलती है। वो कैसे उससे निपटती है और फिर से खुद को कैसे खड़ा करती है।
तलाक के बाद सैयारा ने अकेले जीने और आगे बढ़ने की चुनौतियों का बखूबी सामना किया। सैयारा के इस किरदार को अभिनेत्री जूही बब्बर ने मंच पर जीवंत कर दिया। अपने अभिनय के विभिन्न रंगों से ऐसा समां बांधा कि दर्शक मंत्रमुग्ध हो गए।
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एक बड़े कारोबारी की बेटी, मुंबई की एकल महिला सैयारा दो बार तलाक से उबरने के बाद अपनी इसी किताब के लिए परेशान है, जिसमें प्रकाशक अपने हिसाब से बदलाव करना चाहते हैं। ऐसे में सैयारा लोगों से रूबरू होते हुए अपने जीवन के पन्नों को खोलना शुरू करती है। सैयारा की दो बार शादी होती है। दोनों ही बार पति से प्रताड़ित होकर उसका तलाक हो जाता है।

इस बारे में उसने अपने पति से बात करनी चाही, तो वह इसे बखेड़ा बताकर तलाक देने की बात करता है। इस घटना से भीतर तक टूट चुकी सैयारा को माता-पिता से हौसला मिला। वह उसे दोबारा घर ले आए और जिंदगी जैसे फिर पटरी पर लौट आई हो। पिता अपना सारा कारोबार सैयारा को दे देते हैं।

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सफल हो चुकी सैयारा की जिंदगी में इस बार एक डॉक्टर आते हैं और दोनों का निकाह हो जाता है। सैयारा को पता चलता है कि उसके डॉक्टर पति के अस्पताल की एक नर्स उसके बच्चे की मां बनने वाली है। सैयारा उससे यह बताती है तो वह उल्टे उसे ही बुरा भला कहना शुरू कर देता है और सैयारा को तीन तलाक दे देता है। इसके बाद हर दूसरा आदमी उसे आसानी से उपलब्ध महिला समझकर उस पर गलत नजर रखता है। हालांकि जिंदगी की जद्दोजहद से वह हार नहीं मानती और उस पर गलत नजर रखने वालों को सबक भी सिखाती है।
तालियों से गूंजता रहा सभागार, दर्शक हंसे भी...रोए भी
माता-पिता की सलाह न मानकर सिर्फ आकर्षण में पड़कर लड़कियों का शादी करने लेना, मानसिक तनाव, तीन तलाक, जैसे गंभीर मुद्दों को भी जूही ने अपने अभिनय में ऐसे शामिल किया कि सभागार बार-बार तालियों से गूंजता रहा। भावपूर्ण दृश्यों ने दर्शकों ने जहां रुला दिया, वहीं जूही गुदगुदाने पर हास्य की फुहार भी फूटीं।

महिलाएं ही नहीं, पुरुष भी पीड़ित
सैयारा बनीं जूही ने अपने अभिनय में मानसिक तनाव के दोनों पहलुओं को उजागर किया। उन्होंने यह भी बताया कि महिलाएं किस तरह के मानसिक तनावों से गुजरती हैं, साथ ही यह कहा कि समाज में सिर्फ महिलाएं ही पीड़ित नहीं हैं बल्कि तमाम कारणों से पुरुष भी मानसिक तनाव से जूझ रहे हैं।
ऐसे लोगों से जब हम पूछते हैं कि कैसे हैं आप तो इनका जवाब होता कि आई एम ओके। सैयारा ने कहा कि ये जी ओके होता है न, ये बिल्कुल भी ओके नहीं होता। हमारे बीच रहने वाले ये लोग ओके बोलकर सब कुछ छिपा लेते हैं। जरूरत है दोस्तों, परिजनों से खुलकर बात करने की।

विश्वास से सींचा जाता है प्यार का पौधा
सैयारा ने अपनी कहानी में बताया कि सफल वैवाहिक जीवन के तीन स्तंभ हैं, प्यार, विश्वास और सम्मान। इनमें से एक भी पिलर हिला तो जिंदगी के रंग बिगड़ने लगते हैं। दुनिया में किसी भी धर्म, किसी भी देश, किसी भी भाषा के लोग हों, सबका आधार सिर्फ प्यार है।
प्यार एक ऐसा पौधा है, जिसे विश्वास से जितना सींचा जाए वह उतना ही बड़ा होता है। महिलाओं को जागरूक रहना चाहिए कार्यस्थल पर होने वाले इशारों के प्रति अंजान न रहें। कम उम्र में कई रिश्तेदार भी गलत नजर रखते हैं, उनसे भी सावधान रहें।
इन्होंने किया दीप प्रज्जवलन
चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय कुलसचिव अनिल यादव, शायर अजहर इकबाल, केएल इंटरनेशनल स्कूल के डायरेक्टर हरनीत खुराना और डॉ. वीरोत्तम तोमर।