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Meerut: बीजेपी नेताओं पर भड़के 661/6 कॉम्प्लेक्स के व्यापारी, आज से धरना; कमिश्नर के आदेश पर अवमानना संभव

अमर उजाला नेटवर्क, मेरठ Published by: मोहम्मद मुस्तकीम Updated Thu, 30 Oct 2025 10:19 PM IST
सार

पीड़ित व्यापारियों ने कहा कि हम बर्बाद हो गए। जनप्रतिनिधि बाजार खुलवाकर, मिठाई खिलाकर और पटाखे चलाकर चले गए, हमसे मिले तक नहीं। न ही हमारी मदद करने का आश्वासन दिया। 

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Meerut: Traders of 661/6 Complex enraged at BJP leaders, sit-in protest from today
जमींदोज किया गया अवैध कॉम्प्लेक्स। - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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शास्त्रीनगर सेंट्रल मार्केट के 661/6 कॉम्प्लेक्स के व्यापारी अनदेखी से नाराज हैं। उन्होंने बृहस्पतिवार को बैठक कर जनप्रतिनिधियों पर उपेक्षा का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि कोई भी जनप्रतिनिधि उन्हें दिलासा देने नहीं आया। उन्हें राहत देने की बात नहीं की। सेंट्रल मार्केट बाजार बंद होने पर जनप्रतिनिधि आए और मिठाई खिलाकर दुकान खुलवाकर चले गए। उनसे संपर्क तक नहीं किया।

 

सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सेंट्रल मार्केट के आवासीय भवन 661/6 में व्यावसायिक कॉम्प्लेक्स 25 अक्तूबर को ध्वस्त कर दिया गया था। दो दिन तक लगातार कार्रवाई कर पूरा कॉम्प्लेक्स जमींदोज कर दिया गया। आवास एवं विकास परिषद की ओर से 661/6 के साथ ही 31 अन्य भूखंड के ध्वस्तीकरण को भी नोटिस चस्पा कर दिया। 22 सितंबर को आवासीय भवन में शुरू हुए जैना ज्वेलर्स को 15 दिन में बंद करने का नोटिस लगाया।
 
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इसके बाद शनिवार को बाजार के व्यापारियों ने एकजुटता का आह्वान करते हुए बाजार बंद का ऐलान कर दिया था। मामले में मंगलवार शाम को सांसद अरुण गोविल, कैंट विधायक अमित अग्रवाल, महापौर हरिकांत अहलूवालिया व्यापारियों के बीच धरनास्थल पर पहुंचे। उन्होंने कमिश्नर संग 27 अक्तूबर को हुई बैठक के बाद ध्वस्तीकरण रोकने के आदेश का हवाला दिया और दुकान का शटर उठाकर बाजार खुलवाए।
 

व्यापारी नेता किशोर वाधवा ने कहा कि 661/6 के ध्वस्त होने से 22 व्यापारियों का सब कुछ छिन गया। जनप्रतिनिधि उनके पास नहीं आए, जबकि वे सभी भाजपाई ही हैं। जनप्रतिनिधियों पर उपेक्षा का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि उनके पास आना तो दूर फोन पर भी हाल नहीं जाना गया। 
 

किशोर वाधवा ने बताया कि 661/6 के व्यापारियों संग बैठक कर शुक्रवार से धरना देने पर सहमति बनी है। उनकी मांग है कि 661/6 के व्यापारियों को राहत दी जाए और अन्य स्थल पर दुकानें मिलें। जनप्रतिनिधि उनके बीच आकर उन्हें आदेशों की कॉपी दें, तभी धरना खत्म होगा।
 

कमिश्नर के आदेश पर अवमानना संभव
उधर, सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन न होने पर एक पक्ष में खासी हलचल है। आरटीआई कार्यकर्ता लोकेश खुराना का कहना है कि सर्वोच्च न्यायालय का आदेश किसी अधिकारी द्वारा रोका ही नहीं जा सकता। उन्होंने कमिश्नर कार्यालय से 27 अक्तूबर को जनप्रतिनिधियों और आवास एवं विकास परिषद के अधिकारियों के साथ हुई बैठक में लिए गए निर्णय का आधार पूछा है। उन्होंने पूछा है कि किस नियम के तहत आवासीय भवनों को बाजार स्ट्रीट का दर्जा देने का प्रावधान है। मामले में पैरवी कर रहे सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता तुषार जैन का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के विरुद्ध अगर कोई आदेश किया गया है तो वह अवमानना के दायरे में आएगा।
 
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