मिर्जापुरः हत्या के जुर्म में 14 वर्ष बाद मिली उम्र कैद, विशेष न्यायाधीश एससीएसटी एक्ट ने सुनाई सजा
मिर्जापुर में हत्या के मामले की सुनवाई करते हुए विशेष न्यायाधीश एससीएसटी एक्ट अनिल कुमार यादव-प्रथम ने बुधवार को आरोपी को दोषसिद्ध पाते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई।

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मिर्जापुर के एक गांव में हुई हत्या के मामले की सुनवाई करते हुए 14 वर्ष बाद विशेष न्यायाधीश एससीएसटी एक्ट अनिल कुमार यादव-प्रथम ने बुधवार को आरोपी को दोषसिद्ध पाते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई। साथ ही 15 हजार रुपये का अर्थदंड भी लगाया। एक हत्यारोपी की विवेचना के दौरान मौत हो गई।

अदलहाट क्षेत्र के करोड़ी गांव शर्मा मोड़ निवासी डा. शंकर शास्त्री ने दो मार्च 2007 को थाने में तहरीर देकर बताया कि उनका बड़ा पुत्र शिवाकांत राम को 28 फरवरी 2007 को गांव के ही फकीर विश्वकर्मा उर्फ राजेंद्र विश्वकर्मा व बलवंत विश्वकर्मा उर्फ शकीर विश्वकर्मा शाम को घर से सुकृत ले जाने की बात कहकर लिवा गए थे।
दो मार्च 2007 की सुबह सात बजे फकीर विश्वकर्मा घर पर आया। बताया कि हम लोग आ गए, शिवाकांत घर आया कि नहीं। इतना पूछकर वह तेजी से चला गया। वह पुत्र की तलाश में निकला तो इमामबाड़ा के बगल में हकानीपुर नहर में एक व्यक्ति का शव मिलने की सूचना मिली। वहां जा कर देखा तो शव शिवाकांत का था।
एक आरोपी की हो चुकी है मौत
इसके बाद पुलिस ने फकीर विश्वकर्मा व बलवंत विश्वकर्मा के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज कर जेल भेज दिया। इसमें बलवंत विश्वकर्मा की विवेचना के दौरान मौत हो गई। मामले की सुनवाई करते हुए विशेष न्यायाधीश एससीएसटी एक्ट अनिल कुमार यादव-प्रथम ने आरोपी फकीर विश्वकर्मा को दोषसिद्ध पाते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाया। अभियोजन की ओर से अजय कुमार यादव और विशेष लोक अभियोजक प्रदीप कुमार सिंह ने पैरवी की।