{"_id":"690904470464319add0be2e1","slug":"chakhareti-public-toilet-locked-citizens-upset-saharanpur-news-c-30-1-smrt1053-162225-2025-11-04","type":"story","status":"publish","title_hn":"Saharanpur News: चकहरेटी में सार्वजनिक शौचालय पर लटका ताला, नागरिक परेशान","category":{"title":"City & states","title_hn":"शहर और राज्य","slug":"city-and-states"}}
    Saharanpur News: चकहरेटी में सार्वजनिक शौचालय पर लटका ताला, नागरिक परेशान
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                पुवांरका। महानगर के वार्ड 13 के जनता रोड स्थित गांव चकहरेटी में सार्वजनिक शौचालय तालों में बंद है। ऐसे में लोग खुले में जाने को मजबूर हैं। उनका कहना है कि वह ताला खुलवाने की कई बार मांग कर चुके हैं, लेकिन सुनवाई नहीं है। 
                                
                
                
                 
                    
                                                                                                        
                                                
                        
                        
                        
                                                                                      
                   
                                 
                
चकहरेटी निवासी मनीष यादव ने मेरी आवाज सुनो कॉलम के लिए शौचालय पर ताला जड़े होने की समस्या भेजी थी। तीन नवंबर के संस्करण में समस्या कॉलम में प्रकाशित करने के साथ ही शौचालय की पड़ताल की गई। शौचालय पर ताला जड़े होने के साथ ही वह जर्जर पाया गया। शौचालय में गंदगी और कचरा भरा है। लोग इसकी बगल में लघुशंका करते हैं, जिसकी वजह से दुर्गंध भी है। स्थानीय लोगों ने बताया कि वह कई बार वार्ड पार्षद और नगर निगम अधिकारियों से शिकायत कर चुके हैं, लेकिन सुनवाई नहीं हो रही है।    
             
                                                    
                                 
                                
                               
                                                                
                                                 
                
                                
                
                
                                
                
                                                                                        
                                 
                                
                               
                                
                                                 
                
                                
                
                
                                
                
                                                                                        
                                 
                                
                               
                                
                                                 
                
                                
                
                
                                
                
                                                                                        
                                 
                                
                               
                                
                                                 
                
                                
                
                
                                
                
                                                                                        
                                 
                                
                               
                                
                                                 
                
                                
                
                
                                
                
                                                                                        
                                 
                                
                               
                                
                                                 
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- बोले लोग
                                
                
                
                                
                
                                                                                        
                                 
                                
                               
                                
                                                 
                
- मनीष यादव ने बताया कि लाखों रुपये की लागत से नगर निगम ने शौचालय का निर्माण कराया था, लेकिन इसके दोनों गेट पर ताला लगा हुआ है। बंद होने के कारण लोग को बाहर जाने के लिए मजबूर हो रहे हैं।
                                
                
                
                                
                
                                                                                     
            
                            
                                 
                                
                               
                                
                                                 
                
                                
                
                
                                
                
                                                                                        
                                 
                                
                               
                                
                                                 
                
                                
                
                
                                
                
                                                                                        
                                 
                                
                               
                                
                                                 
                
- जॉनी गौतम ने बताया कि शौचालय बन तो गया, लेकिन शुरुआत से ही कभी सफाई नहीं हुई, न ही इसे नियमित रूप से खोला गया। लोगों को मजबूरी में खुले में या आस-पास के निजी शौचालयों का सहारा लेना पड़ता है।
                                
                
                
                                
                
                                                                                        
                                                                                
                                
                 
                                
                               
                                
                                                 
                
                                
                
                
                                
                
                                                                                        
                                 
                                
                               
                                
                                                 
                
                                
                
                
                                
                
                                                                                        
                                 
                                
                               
                                
                                                 
                
- वंश यादव ने बताया कि निगम ने करोड़ों रुपये खर्च कर शौचालय तो बना दिया, लेकिन रखरखाव की जिम्मेदारी तय नहीं की। न तो कोई कर्मचारी यहां आता है और न ही कोई अधिकारी हाल-चाल लेने।
                                
                
                
                                
                
                                                                                        
                                 
                                
                               
                                
                                                 
                
                                
                
                
                                
                
                                                                                        
                                 
                                
                               
                                
                                                 
                
                                
                
                
                                
                
                                                                                        
                                 
                                
                               
                                
                                                 
                
- संदीप कुमार ने बताया कि आसपास स्कूल और बाजार हैं, जहां रोजाना सैकड़ों लोग आते-जाते हैं। ऐसे में शौचालय बंद रहने से महिलाओं और बुजुर्गों को सबसे ज्यादा दिक्कत होती है
                                
                
                
                                
                
                                                                                        
                                 
                                
                               
                                                                
                                
                                
                
                                                                
                               
                                                        
        
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                                                                चकहरेटी निवासी मनीष यादव ने मेरी आवाज सुनो कॉलम के लिए शौचालय पर ताला जड़े होने की समस्या भेजी थी। तीन नवंबर के संस्करण में समस्या कॉलम में प्रकाशित करने के साथ ही शौचालय की पड़ताल की गई। शौचालय पर ताला जड़े होने के साथ ही वह जर्जर पाया गया। शौचालय में गंदगी और कचरा भरा है। लोग इसकी बगल में लघुशंका करते हैं, जिसकी वजह से दुर्गंध भी है। स्थानीय लोगों ने बताया कि वह कई बार वार्ड पार्षद और नगर निगम अधिकारियों से शिकायत कर चुके हैं, लेकिन सुनवाई नहीं हो रही है।
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            - बोले लोग
- मनीष यादव ने बताया कि लाखों रुपये की लागत से नगर निगम ने शौचालय का निर्माण कराया था, लेकिन इसके दोनों गेट पर ताला लगा हुआ है। बंद होने के कारण लोग को बाहर जाने के लिए मजबूर हो रहे हैं।
- जॉनी गौतम ने बताया कि शौचालय बन तो गया, लेकिन शुरुआत से ही कभी सफाई नहीं हुई, न ही इसे नियमित रूप से खोला गया। लोगों को मजबूरी में खुले में या आस-पास के निजी शौचालयों का सहारा लेना पड़ता है।
- वंश यादव ने बताया कि निगम ने करोड़ों रुपये खर्च कर शौचालय तो बना दिया, लेकिन रखरखाव की जिम्मेदारी तय नहीं की। न तो कोई कर्मचारी यहां आता है और न ही कोई अधिकारी हाल-चाल लेने।
- संदीप कुमार ने बताया कि आसपास स्कूल और बाजार हैं, जहां रोजाना सैकड़ों लोग आते-जाते हैं। ऐसे में शौचालय बंद रहने से महिलाओं और बुजुर्गों को सबसे ज्यादा दिक्कत होती है