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औरत-मर्द का एक साथ जिम करना इस्लामी उसूलों के खिलाफ : गोरा
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संवाद न्यूज एजेंसी
देवबंद (सहारनपुर)। जमीयत दावतुल मुसलीमीन के संरक्षक व आलिम मौलाना कारी इस्हाक गोरा ने मर्द और औरत के एक साथ जिम करने पर एतराज जताया है। उन्होंने कहा कि यह तरीका शरीयत और इस्लामी उसूलों के खिलाफ है।
मौलाना कारी इस्हाक गोरा ने रविवार को जारी बयान में कहा कि आजकल जिम और एक्सरसाइज का ट्रेंड तेज़ी से बढ़ रहा है। मर्दों के साथ ही महिलाएं भी इसमें बढ़ चढ़कर हिस्सा ले रहीं हैं। सेहत की देखभाल करना यकीनन इस्लाम की तालीमात के मुताबिक है, क्योंकि मजबूत और तंदरुस्त मोमिन अल्लाह के नजदीक ज्यादा पसंदीदा है, लेकिन अफसोस की बात यह है कि इस ट्रेंड ने हमारे समाज में नई मुश्किलें पैदा कर दी हैं।
उन्होंने कहा कि देखा जा रहा है कि मर्द और औरतें जिम में एक साथ एक्सरसाइज कर रहे हैं, जो शरीयत और इस्लामी उसूलों के खिलाफ है, क्योंकि पर्दा सिर्फ औरत के लिए ही नहीं, बल्कि मर्द के लिए भी जरूरी है। जब पर्दे की हिफाजत छोड़ दी जाती है तो समाज में गुनाह और बेशर्मी फैलती है। यही वह रास्ता है जो हमें धीरे-धीरे दीन से दूर ले जाता है। उन्होंने कहा कि समय के साथ चलना बुरा नहीं है, लेकिन मजहबी उसूलों को तोड़कर आधुनिकता के नाम पर हराम चीजों को हलाल कर लेना न तो अक्लमंदी है और न ही इस्लाम की रुह के मुताबिक है। इसलिए मुसलमानों को चाहिए कि वह सेहत का ख्याल रखने के साथ-साथ दीन और ईमान की सेहत का भी ख्याल रखें।

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देवबंद (सहारनपुर)। जमीयत दावतुल मुसलीमीन के संरक्षक व आलिम मौलाना कारी इस्हाक गोरा ने मर्द और औरत के एक साथ जिम करने पर एतराज जताया है। उन्होंने कहा कि यह तरीका शरीयत और इस्लामी उसूलों के खिलाफ है।
मौलाना कारी इस्हाक गोरा ने रविवार को जारी बयान में कहा कि आजकल जिम और एक्सरसाइज का ट्रेंड तेज़ी से बढ़ रहा है। मर्दों के साथ ही महिलाएं भी इसमें बढ़ चढ़कर हिस्सा ले रहीं हैं। सेहत की देखभाल करना यकीनन इस्लाम की तालीमात के मुताबिक है, क्योंकि मजबूत और तंदरुस्त मोमिन अल्लाह के नजदीक ज्यादा पसंदीदा है, लेकिन अफसोस की बात यह है कि इस ट्रेंड ने हमारे समाज में नई मुश्किलें पैदा कर दी हैं।
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उन्होंने कहा कि देखा जा रहा है कि मर्द और औरतें जिम में एक साथ एक्सरसाइज कर रहे हैं, जो शरीयत और इस्लामी उसूलों के खिलाफ है, क्योंकि पर्दा सिर्फ औरत के लिए ही नहीं, बल्कि मर्द के लिए भी जरूरी है। जब पर्दे की हिफाजत छोड़ दी जाती है तो समाज में गुनाह और बेशर्मी फैलती है। यही वह रास्ता है जो हमें धीरे-धीरे दीन से दूर ले जाता है। उन्होंने कहा कि समय के साथ चलना बुरा नहीं है, लेकिन मजहबी उसूलों को तोड़कर आधुनिकता के नाम पर हराम चीजों को हलाल कर लेना न तो अक्लमंदी है और न ही इस्लाम की रुह के मुताबिक है। इसलिए मुसलमानों को चाहिए कि वह सेहत का ख्याल रखने के साथ-साथ दीन और ईमान की सेहत का भी ख्याल रखें।