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रायपुर इस्पात कारखाना से नए गर्डर की पहली खेप हुलासनगरा रवाना
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मीरानपुर कटरा (शाहजहांपुर)। लखनऊ-दिल्ली राष्ट्रीय राजमार्ग के बरेली-सीतापुर खंड पर स्थित हुलासनगरा रेलवे क्रॉसिंग पर ओवरब्रिज का निर्माण जल्द शुरू हो जाने की उम्मीद बढ़ गई है। अधिकारिक सूत्रों के अनुसार निर्माणाधीन ओवरब्रिज के बनाए जा रहे गर्डर रेलवे विभाग की ओर से एनओसी (अनापत्ति प्रमाण पत्र) मिल गई है। रायपुर (छत्तीसगढ़) के इस्पात कारखाना से हुलासनगरा रेलवे ओवरब्रिज के लिए गर्डर की पहली खेप रवाना हो चुकी है। नए गर्डर क्रॉसिंग पर तीन-चार दिन में क्रॉसिंग पर पहुंचने लगेंगे।
केंद्रीय सड़क एवं भूतल परिवहन मंत्रालय से भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) को दिल्ली-लखनऊ नेशनल हाईवे का चौड़ीकरण कर उसे फोरलेन बनाने की मंजूरी करीब 11 वर्ष पूर्व मिली थी। तब बरेली से सीतापुर के बीच करीब 166 किमी सड़क के चौड़ीकरण का कार्य नोएडा की ऐरा इंफ्रा कांस्ट्रक्शंस कंपनी को मिला था। ऐरा कंपनी को दिए गए ठेके में हुलासनगरा रेलवे क्रासिंग पर ओवरब्रिज बनाया जाना भी शामिल था। इसके बाद कंपनी ने तेजी से काम करना शुरू किया, लेकिन अभी यह कंपनी आधा काम भी नहीं निपटा पाई थी कि वह काम को अधूरा छोड़कर चली गई।
बाद में कई वर्ष तक हाईवे पर निर्माण कार्य बंद रहा। करीब दो साल पहले एनएचएआई ने बरेली-सीतापुर के बीच के हिस्से को बनाने का ठेका अलग-अलग कंपनियों को दिया। इसमें हुलासनगरा रेलवे क्रासिंग पर ओवरब्रिज के निर्माण की जिम्मेदारी पीआरएल कंपनी को दी गई। पीआरएल ने रेलवे क्रासिंग के दोनों ओर एप्रोच रोड का काम काफी समय पहले पूरा कर लिया। उसके बाद ओवरब्रिज के ऊपर रखे जाने वाले गर्डरों को लेकर पेंच गया।
चूंकि, ऐरा कंपनी द्वारा लाए गार्डर कई वर्ष तक जमीन पर पड़े रहे। इसलिए रेलवे विभाग ने तकनीकी जांच कराकर उन्हें गुणवत्ता की कसौटी पर फेल कर दिया। नतीजा यह हुआ कि एनएचएआई ने पीआरएल कंपनी को नए गर्डर बनवाने का आदेश दिया। अब रेलवे विभाग की निगरानी में ओवरब्रिज के लिए छत्तीसगढ़ के रायपुर इस्पात संयंत्र में गर्डर ढालने का काम चल रहा है। रेलवे द्वारा नियुक्त की गई एजेंसी नवनिर्मित गर्डरों का निरीक्षण कर कार्यदायी संस्था को एनओसी जारी कर चुकी है।
अधिकारियों के अनुसार नए गर्डरों की पहली खेप रायपुर (छत्तीसगढ़) से हुलासनगरा के लिए रवाना हो चुकी है, जो 30 दिसंबर तक यहां पहुंचने की उम्मीद जताई जा रही है। ऐसे में ओवरब्रिज का निर्माण कर रही कंपनी के अधिकारी गर्डरों के आने के बाद दो से ढाई महीने के अंदर ओवरब्रिज को चालू कर दिए जाने का दावा कर रहे हैं।
रायपुर में रेलवे के निरीक्षण के बाद एनओसी दी जा चुकी है। वहां से गर्डरों की पहली खेप हुलासनगरा के लिए रवाना हो चुकी है। जो 30 दिसंबर तक यहां पहुंच जाएगी। गर्डर के आने के बाद मार्च के लास्ट तक अथवा अप्रैल के कुछ दिन के अंदर ओवरब्रिज को चालू कर दिया जाएगा।
-टीके शर्मा, महाप्रबंधक, पीआरएल (हुलासनगरा ओवरब्रिज की कार्यदायी संस्था)
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बाद में कई वर्ष तक हाईवे पर निर्माण कार्य बंद रहा। करीब दो साल पहले एनएचएआई ने बरेली-सीतापुर के बीच के हिस्से को बनाने का ठेका अलग-अलग कंपनियों को दिया। इसमें हुलासनगरा रेलवे क्रासिंग पर ओवरब्रिज के निर्माण की जिम्मेदारी पीआरएल कंपनी को दी गई। पीआरएल ने रेलवे क्रासिंग के दोनों ओर एप्रोच रोड का काम काफी समय पहले पूरा कर लिया। उसके बाद ओवरब्रिज के ऊपर रखे जाने वाले गर्डरों को लेकर पेंच गया।
चूंकि, ऐरा कंपनी द्वारा लाए गार्डर कई वर्ष तक जमीन पर पड़े रहे। इसलिए रेलवे विभाग ने तकनीकी जांच कराकर उन्हें गुणवत्ता की कसौटी पर फेल कर दिया। नतीजा यह हुआ कि एनएचएआई ने पीआरएल कंपनी को नए गर्डर बनवाने का आदेश दिया। अब रेलवे विभाग की निगरानी में ओवरब्रिज के लिए छत्तीसगढ़ के रायपुर इस्पात संयंत्र में गर्डर ढालने का काम चल रहा है। रेलवे द्वारा नियुक्त की गई एजेंसी नवनिर्मित गर्डरों का निरीक्षण कर कार्यदायी संस्था को एनओसी जारी कर चुकी है।
अधिकारियों के अनुसार नए गर्डरों की पहली खेप रायपुर (छत्तीसगढ़) से हुलासनगरा के लिए रवाना हो चुकी है, जो 30 दिसंबर तक यहां पहुंचने की उम्मीद जताई जा रही है। ऐसे में ओवरब्रिज का निर्माण कर रही कंपनी के अधिकारी गर्डरों के आने के बाद दो से ढाई महीने के अंदर ओवरब्रिज को चालू कर दिए जाने का दावा कर रहे हैं।
रायपुर में रेलवे के निरीक्षण के बाद एनओसी दी जा चुकी है। वहां से गर्डरों की पहली खेप हुलासनगरा के लिए रवाना हो चुकी है। जो 30 दिसंबर तक यहां पहुंच जाएगी। गर्डर के आने के बाद मार्च के लास्ट तक अथवा अप्रैल के कुछ दिन के अंदर ओवरब्रिज को चालू कर दिया जाएगा।
-टीके शर्मा, महाप्रबंधक, पीआरएल (हुलासनगरा ओवरब्रिज की कार्यदायी संस्था)