{"_id":"68053ddca3a9263eb00f9c86","slug":"lack-of-teachers-in-government-colleges-crisis-on-studies-siddharthnagar-news-c-227-1-sdn1003-136134-2025-04-21","type":"story","status":"publish","title_hn":"Siddharthnagar News: राजकीय कॉलेजों में शिक्षकाें का अभाव, पढ़ाई पर संकट","category":{"title":"City & states","title_hn":"शहर और राज्य","slug":"city-and-states"}}
Siddharthnagar News: राजकीय कॉलेजों में शिक्षकाें का अभाव, पढ़ाई पर संकट
विज्ञापन

शहर में मौजूद राजकीय इंटर कॉलेज। संवाद

संवाद न्यूज एजेंसी
सिद्धार्थनगर। शिक्षा की अलख जगाने के लिए शिक्षा विभाग पूरी तरह से तत्परता दिखा रहा है, लेकिन शिक्षकों के नहीं होने से छात्रों का भविष्य अधर में जा रहा है।
जिले में मौजूद 10 राजकीय इंटर कॉलेजों में से दो कॉलेजों में प्रधानाचार्य के भरोसे पढ़ाई हो रही है, तो वहीं शहर के जीजीआईसी व जीआईसी में सात प्रमुख विषयों के प्रवक्ता ही नहीं है, इससे इंटर में प्रवेश लेने वाले छात्रों को अपने भविष्य को लेकर चिंता सता रही है। छात्रों को कम फीस में योग शिक्षकों से शिक्षण कार्य करवाने के लिए शिक्षा विभाग जिले में 10 राजकीय इंटर कॉलेज को खोला है। सभी इंटर कॉलेजों में छह से 12 तक लगभग पांच हजार छात्र-छात्रा पढ़ाई भी कर रहे है। लेकिन हालात यह है कि किसी भी राजकीय इंटर कॉलेज में सभी विषयों के शिक्षक नहीं है। इससे राजकीय विद्यालय के छात्र-छात्रा बोर्ड परीक्षा का परिणाम आने के बाद जिले में भी स्थान नहीं प्राप्त कर पाते है। इसका परिणाम यह हो रहा है कि अब छात्र के साथ अभिभावक भी राजकीय विद्यालयों को छोड़कर प्राइवेट विद्यालयों में अपना दाखिला करवा रहे है, लेकिन शिक्षा विभाग इसकाे लेकर कोई भी तत्परता नहीं दिखा रही है।
जिले में मौजूद पजौहा, करुआ में बना राजकीय विद्यालय का कार्यवाहक प्रधानाचार्य के भरोसे संचालन किया जा रहा है। ऐसे में इस विद्यालय में पढ़ रहे बच्चों के भविष्य के बारे विचार किया जा सकता है। वहीं ककरहवा बाॅर्डर पर मौजूद दूल्हा सुमाली गांव में बनी राजकीय इंटर कॉलेज में लगभग शिक्षक संबद्ध किए गए है। इससे इस विद्यालय में भी शिक्षण कार्य प्रभावित होता रहता है।
विज्ञापन
Trending Videos
सिद्धार्थनगर। शिक्षा की अलख जगाने के लिए शिक्षा विभाग पूरी तरह से तत्परता दिखा रहा है, लेकिन शिक्षकों के नहीं होने से छात्रों का भविष्य अधर में जा रहा है।
जिले में मौजूद 10 राजकीय इंटर कॉलेजों में से दो कॉलेजों में प्रधानाचार्य के भरोसे पढ़ाई हो रही है, तो वहीं शहर के जीजीआईसी व जीआईसी में सात प्रमुख विषयों के प्रवक्ता ही नहीं है, इससे इंटर में प्रवेश लेने वाले छात्रों को अपने भविष्य को लेकर चिंता सता रही है। छात्रों को कम फीस में योग शिक्षकों से शिक्षण कार्य करवाने के लिए शिक्षा विभाग जिले में 10 राजकीय इंटर कॉलेज को खोला है। सभी इंटर कॉलेजों में छह से 12 तक लगभग पांच हजार छात्र-छात्रा पढ़ाई भी कर रहे है। लेकिन हालात यह है कि किसी भी राजकीय इंटर कॉलेज में सभी विषयों के शिक्षक नहीं है। इससे राजकीय विद्यालय के छात्र-छात्रा बोर्ड परीक्षा का परिणाम आने के बाद जिले में भी स्थान नहीं प्राप्त कर पाते है। इसका परिणाम यह हो रहा है कि अब छात्र के साथ अभिभावक भी राजकीय विद्यालयों को छोड़कर प्राइवेट विद्यालयों में अपना दाखिला करवा रहे है, लेकिन शिक्षा विभाग इसकाे लेकर कोई भी तत्परता नहीं दिखा रही है।
विज्ञापन
विज्ञापन
जिले में मौजूद पजौहा, करुआ में बना राजकीय विद्यालय का कार्यवाहक प्रधानाचार्य के भरोसे संचालन किया जा रहा है। ऐसे में इस विद्यालय में पढ़ रहे बच्चों के भविष्य के बारे विचार किया जा सकता है। वहीं ककरहवा बाॅर्डर पर मौजूद दूल्हा सुमाली गांव में बनी राजकीय इंटर कॉलेज में लगभग शिक्षक संबद्ध किए गए है। इससे इस विद्यालय में भी शिक्षण कार्य प्रभावित होता रहता है।