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Siddharthnagar News: धान खरीद घोटाला में कई पर गिरेगी गाज
संवाद न्यूज एजेंसी, सिद्धार्थनगर
Updated Mon, 12 May 2025 11:38 PM IST
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- 16 करोड़ रुपये से अधिक के धान खरीद घोटाले की जद में आया था पूर्व प्रबंधक
- घोटाला के मामले में जिले के विभिन्न थानों में सात केस
- घोटाला के मामले में अबतक छह क्रय केंद्र प्रभारी और एक परिवहन ठेकेदार की हो चुकी है गिरफ्तारी
सिद्धार्थनगर। जिले में 16 करोड़ रुपये से अधिक के धान खरीद घोटाले के मुख्य आरोपी पीसीएफ के पूर्व जिला प्रबंधक अमित कुमार चौधरी को शासन ने बर्खास्त कर दिया है। घोटाला के मामले में उनके पर कई केस दर्ज हैं। वहीं, घोटाला की जद में आए छह क्रय केंद्र प्रभारी और एक परिवहन ठेकेदार जेल जा चुके हैं। जबकि, अकाउंटेंट और एक परिवहन ठेकेदार व पूर्व प्रबंधक के जांच कर रही एसआईटी नोटिस चस्पा कर चुकी है। साथ ही घोटाले की जद में आए लोगों की गिरफ्तारी के लिए लगातार दौड़ लगा रही है।
जिले में 2023-2024 में धान खरीद में 16 करोड़ रुपये से अधिक का घोटाला उजागर हुआ था। इस मामले में पीसीएफ क्षेत्रीय प्रबंधक ने जिला प्रबंधक अमित चौधरी व एक अन्य पर घोटाला के मामले में केस दर्ज करवाया था। डीआईजी बस्ती ने मामले को संज्ञान में लेते हुए एसआईटी गठित की। टीम मामले की जांच करके लगातार कार्रवाई कर रही है। मुख्य आरोपी केस दर्ज होने के बाद से भागा हुआ है। इस मामले में किसानों के खाते खंगाले जाने के साथ ही घोटाला की जद में आए छह क्रय केंद्र प्रभारी और एक परिवहन ठेकेदार जेल चला गया है।
वहीं, घोटाला के मामले में फंसे पीसीएफ प्रबंधक की जांच शासन स्तर से चल रही थी। उन पर कार्रवाई तय माना जा रहा था। शासन ने विभागीय कार्रवाई करते हुए पूर्व जिला प्रबंधक पीसीएफ अमित चौधरी को बर्खास्त कर दिया है। शासन की ओर से इस कार्रवाई के बारे में विभाग के मंत्री ने जानकारी दी है। वहीं, प्रबंधक के बर्खास्तगी के बाद विभाग में हलचल मच गई है। घोटाले की जद में आए अन्य लोगों की सांसें अटक गई हैं।
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विभाग के मंत्री ने दी कार्रवाई की जानकारी
उत्तर प्रदेश कोऑपरेटिव फेडरेशन लिमिटेड बस्ती मंडल में वर्ष 2023-24 में धान खरीद एवं सीएमआर की डिलिवरी में पाई गई। अनियमितताओं की जांच सहकारिता मंत्री जेपीएस राठौर के निर्देश पर कराई गई। प्रथम दृष्टया प्रकरण में लगभग 11.09 करोड़ रुपये की वित्तीय अनियमितता सामने आई थी। जांच में जनपद सिद्धार्थनगर, बस्ती एवं संतकबीरनगर के दोषी पाए गए पीसीएफ के अधिकारियों एवं कर्मचारियों सहित उक्त कार्य में संलिप्त एवं दुरभि संधि स्थापित कर की गई अनियमित्ता, वित्तीय क्षति के लिए विभिन्न थानों में कुल 10 एफआईआर कराए गए। इसके तहत दोषी अधिकारियों एवं क्रय केंद्र प्रभारियों में से छह अभियुक्तों की गिरफ्तारियां हो गई है। यह जानकारी सहकारिता मंत्री जेपीएस राठौर ने दी।
उन्होंने बताया कि जिला प्रबंधक पीसीएफ सहित अन्य लोगों को निलंबित कर प्रारंभ की गई विभागीय कार्यवाही में जिला प्रबंधक पीसीएफ अमित कुमार चौधरी की पद से हटा दिया गया है। इसके अतिरिक्त अन्य दोषी विभागीय अधिकारियों के विरुद्ध शीघ्र ही कड़ी कार्रवाई की जाएगी। प्रकरण में संलिप्त किसी भी दोषी को बक्शा नहीं जाएगा। साथ की पूरे प्रकरण की जांच प्रदेश सरकार की विशिष्ट जांच एजेंसी (आर्थिक अपराध अनुसंधान संगठन) को सौंप दी गई है। वर्तमान में वसूली की कार्रवाई के बाद करीब 6.63 करोड़ रुपये की धनराशि की वसूली अभी तक नहीं हो पाई है।
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चार हजार से अधिक किसानों की हो रही है जांच
धान खरीद घोटाला में कुल 37 क्रय केंद्रों दायरे में आए हैं। इसमें बिक्री करने वाले किसानों का बयान लेने के साथ ही जांच टीम बैंक खाते को खंगाल गई। जांच में जो जानकारी सामने आ रही है उसमें चार हजार से अधिक किसान जांच के दायरे में हैं। उनके खाते आदि की जांच की जा रही है। कई किसान से जांच एजेंसी को यह बता चुके हैं कि उन्होंने धान बेचा ही नहीं है। वहीं, कुछ भूमिहीन हैं, जिनके नाम से भुगतान कर दिया गया है। 37 क्रय केंद्र में एक सेमरहना स्थित केंद्र हैं, जहां 23 किसानों ने 63 बार धान बेचना है। साथ ही एक ही खाते में भुगतान की भी बात सामने आ चुकी है।
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सत्यापन करने वाले आएंगे जद
धान बिक्री करने वालों का सत्यापन होता है। इस सत्यापन के बाद ही किसान धान बेच सकता है। अब बिना रकबा वाले किसान का कैसे पंजीकरण हो गया। किसकी खतौनी लगा दी और कैसे उस पर रिपोर्ट लग गई? यह बड़ा सवाल है। अगर इस पहलु पर काम हुआ तो सरकारी सिस्टम में बैठे लोग भी जद में आ जाएंगे। इससे घोटाला की लिस्ट और लंबी हो जाएगी। फिलहाल मामले की जांच जारी है।
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- घोटाला के मामले में अबतक छह क्रय केंद्र प्रभारी और एक परिवहन ठेकेदार की हो चुकी है गिरफ्तारी
सिद्धार्थनगर। जिले में 16 करोड़ रुपये से अधिक के धान खरीद घोटाले के मुख्य आरोपी पीसीएफ के पूर्व जिला प्रबंधक अमित कुमार चौधरी को शासन ने बर्खास्त कर दिया है। घोटाला के मामले में उनके पर कई केस दर्ज हैं। वहीं, घोटाला की जद में आए छह क्रय केंद्र प्रभारी और एक परिवहन ठेकेदार जेल जा चुके हैं। जबकि, अकाउंटेंट और एक परिवहन ठेकेदार व पूर्व प्रबंधक के जांच कर रही एसआईटी नोटिस चस्पा कर चुकी है। साथ ही घोटाले की जद में आए लोगों की गिरफ्तारी के लिए लगातार दौड़ लगा रही है।
जिले में 2023-2024 में धान खरीद में 16 करोड़ रुपये से अधिक का घोटाला उजागर हुआ था। इस मामले में पीसीएफ क्षेत्रीय प्रबंधक ने जिला प्रबंधक अमित चौधरी व एक अन्य पर घोटाला के मामले में केस दर्ज करवाया था। डीआईजी बस्ती ने मामले को संज्ञान में लेते हुए एसआईटी गठित की। टीम मामले की जांच करके लगातार कार्रवाई कर रही है। मुख्य आरोपी केस दर्ज होने के बाद से भागा हुआ है। इस मामले में किसानों के खाते खंगाले जाने के साथ ही घोटाला की जद में आए छह क्रय केंद्र प्रभारी और एक परिवहन ठेकेदार जेल चला गया है।
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वहीं, घोटाला के मामले में फंसे पीसीएफ प्रबंधक की जांच शासन स्तर से चल रही थी। उन पर कार्रवाई तय माना जा रहा था। शासन ने विभागीय कार्रवाई करते हुए पूर्व जिला प्रबंधक पीसीएफ अमित चौधरी को बर्खास्त कर दिया है। शासन की ओर से इस कार्रवाई के बारे में विभाग के मंत्री ने जानकारी दी है। वहीं, प्रबंधक के बर्खास्तगी के बाद विभाग में हलचल मच गई है। घोटाले की जद में आए अन्य लोगों की सांसें अटक गई हैं।
विभाग के मंत्री ने दी कार्रवाई की जानकारी
उत्तर प्रदेश कोऑपरेटिव फेडरेशन लिमिटेड बस्ती मंडल में वर्ष 2023-24 में धान खरीद एवं सीएमआर की डिलिवरी में पाई गई। अनियमितताओं की जांच सहकारिता मंत्री जेपीएस राठौर के निर्देश पर कराई गई। प्रथम दृष्टया प्रकरण में लगभग 11.09 करोड़ रुपये की वित्तीय अनियमितता सामने आई थी। जांच में जनपद सिद्धार्थनगर, बस्ती एवं संतकबीरनगर के दोषी पाए गए पीसीएफ के अधिकारियों एवं कर्मचारियों सहित उक्त कार्य में संलिप्त एवं दुरभि संधि स्थापित कर की गई अनियमित्ता, वित्तीय क्षति के लिए विभिन्न थानों में कुल 10 एफआईआर कराए गए। इसके तहत दोषी अधिकारियों एवं क्रय केंद्र प्रभारियों में से छह अभियुक्तों की गिरफ्तारियां हो गई है। यह जानकारी सहकारिता मंत्री जेपीएस राठौर ने दी।
उन्होंने बताया कि जिला प्रबंधक पीसीएफ सहित अन्य लोगों को निलंबित कर प्रारंभ की गई विभागीय कार्यवाही में जिला प्रबंधक पीसीएफ अमित कुमार चौधरी की पद से हटा दिया गया है। इसके अतिरिक्त अन्य दोषी विभागीय अधिकारियों के विरुद्ध शीघ्र ही कड़ी कार्रवाई की जाएगी। प्रकरण में संलिप्त किसी भी दोषी को बक्शा नहीं जाएगा। साथ की पूरे प्रकरण की जांच प्रदेश सरकार की विशिष्ट जांच एजेंसी (आर्थिक अपराध अनुसंधान संगठन) को सौंप दी गई है। वर्तमान में वसूली की कार्रवाई के बाद करीब 6.63 करोड़ रुपये की धनराशि की वसूली अभी तक नहीं हो पाई है।
चार हजार से अधिक किसानों की हो रही है जांच
धान खरीद घोटाला में कुल 37 क्रय केंद्रों दायरे में आए हैं। इसमें बिक्री करने वाले किसानों का बयान लेने के साथ ही जांच टीम बैंक खाते को खंगाल गई। जांच में जो जानकारी सामने आ रही है उसमें चार हजार से अधिक किसान जांच के दायरे में हैं। उनके खाते आदि की जांच की जा रही है। कई किसान से जांच एजेंसी को यह बता चुके हैं कि उन्होंने धान बेचा ही नहीं है। वहीं, कुछ भूमिहीन हैं, जिनके नाम से भुगतान कर दिया गया है। 37 क्रय केंद्र में एक सेमरहना स्थित केंद्र हैं, जहां 23 किसानों ने 63 बार धान बेचना है। साथ ही एक ही खाते में भुगतान की भी बात सामने आ चुकी है।
सत्यापन करने वाले आएंगे जद
धान बिक्री करने वालों का सत्यापन होता है। इस सत्यापन के बाद ही किसान धान बेच सकता है। अब बिना रकबा वाले किसान का कैसे पंजीकरण हो गया। किसकी खतौनी लगा दी और कैसे उस पर रिपोर्ट लग गई? यह बड़ा सवाल है। अगर इस पहलु पर काम हुआ तो सरकारी सिस्टम में बैठे लोग भी जद में आ जाएंगे। इससे घोटाला की लिस्ट और लंबी हो जाएगी। फिलहाल मामले की जांच जारी है।