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Sonebhadra: सलखन फॉसिल्स पार्क में अध्ययन के लिए पहुंची BSIP की टीम, यूनेस्को विश्व धरोहर बनाने को बड़ा कदम
अमर उजाला नेटवर्क, वाराणसी।
Published by: वाराणसी ब्यूरो
Updated Tue, 18 Nov 2025 12:04 PM IST
सार
बीएसआईपी की टीम सलखन फॉसिल्स पार्क में अध्ययन के लिए पहुंची। फॉसिल्स पार्क को यूनेस्को विश्व धरोहर बनाने की दिशा में यह बड़ा कदम है।
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सलखन फॉसिल्स पार्क में अध्ययन के लिए पहुंची बीएसआईपी की टीम
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
सोनभद्र। उत्तर प्रदेश इको टूरिज्म विकास बोर्ड और बीरबल साहनी इंस्टीट्यूट ऑफ पाली साइंसेज (बीएसआईपी) के साझा प्रयास से सोनभद्र के सलखन फॉसिल्स पार्क का सूक्ष्म वैज्ञानिक अभिलेखन शुरू हो गया है। दो दिवसीय इस फील्ड अध्ययन की शुरुआत सोमवार को बीएसआईपी की विशेषज्ञ टीम ने की।
टीम ने सोमवार को कैमूर की प्राचीन चट्टानों पर करोड़ों साल पुराने जीवन के निशानों को दर्ज किया गया। डीएफओ कैमूर की टीम ने बीएसआईपी के सेंटर फॉर प्रमोशन ऑफ जियो हेरिटेज एंड जियो टूरिज्म की संयोजक डॉ. शिल्पा पांडेय के मार्गदर्शन में चट्टानी सतहों पर संरक्षित स्ट्रोमैटोलाइट्स, साइनोबैक्टीरिया की ओर से निर्मित अद्भुत परतदार संरचनाओं का विस्तृत वैज्ञानिक दस्तावेजीकरण किया। फील्ड अध्ययन में डॉ. शिल्पा पांडेय ने वन अधिकारियों के साथ संवाद किया।
उन्होंने आगंतुकों और स्थानीय ग्रामीणों को बताया कि यहां दिखाई देने वाली अवसादी संरचनाएं सिर्फ जीवाश्म नहीं, बल्कि रासायनिक-जीववैज्ञानिक स्मारक हैं, जो पृथ्वी के निर्जीव से सजीव ग्रह बनने की अद्भुत ऐतिहासिक यात्रा के प्रत्यक्ष साक्ष्य समेटे हुए हैं। टीम के सदस्य डॉ. संजय सिंह ने अध्ययन भ्रमण पर आए विवि के विद्यार्थियों को जब स्ट्रोमैटोलाइट्स की वैज्ञानिक दुनिया से रूबरू कराया। उन्होंने इन दुर्लभ संरचनाओं की बनावट, वैश्विक महत्व और संरक्षण की आवश्यकता को सरल व प्रभावी शैली में समझाया।
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टीम ने सोमवार को कैमूर की प्राचीन चट्टानों पर करोड़ों साल पुराने जीवन के निशानों को दर्ज किया गया। डीएफओ कैमूर की टीम ने बीएसआईपी के सेंटर फॉर प्रमोशन ऑफ जियो हेरिटेज एंड जियो टूरिज्म की संयोजक डॉ. शिल्पा पांडेय के मार्गदर्शन में चट्टानी सतहों पर संरक्षित स्ट्रोमैटोलाइट्स, साइनोबैक्टीरिया की ओर से निर्मित अद्भुत परतदार संरचनाओं का विस्तृत वैज्ञानिक दस्तावेजीकरण किया। फील्ड अध्ययन में डॉ. शिल्पा पांडेय ने वन अधिकारियों के साथ संवाद किया।
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उन्होंने आगंतुकों और स्थानीय ग्रामीणों को बताया कि यहां दिखाई देने वाली अवसादी संरचनाएं सिर्फ जीवाश्म नहीं, बल्कि रासायनिक-जीववैज्ञानिक स्मारक हैं, जो पृथ्वी के निर्जीव से सजीव ग्रह बनने की अद्भुत ऐतिहासिक यात्रा के प्रत्यक्ष साक्ष्य समेटे हुए हैं। टीम के सदस्य डॉ. संजय सिंह ने अध्ययन भ्रमण पर आए विवि के विद्यार्थियों को जब स्ट्रोमैटोलाइट्स की वैज्ञानिक दुनिया से रूबरू कराया। उन्होंने इन दुर्लभ संरचनाओं की बनावट, वैश्विक महत्व और संरक्षण की आवश्यकता को सरल व प्रभावी शैली में समझाया।
1.4 अरब वर्ष पुराने प्राकृतिक इतिहास संरक्षित : मंत्री
पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने बताया कि सोनभद्र जिले के प्राकृतिक परिदृश्यों के बीच स्थित सलखन फॉसिल्स पार्क भारत के सबसे महत्वपूर्ण भूवैज्ञानिक एवं प्राकृतिक धरोहर स्थलों में से एक है। लगभग 1.4 अरब वर्ष पुराने इस पार्क के संरक्षण और विकास के लिए उत्तर प्रदेश ईको-टूरिज्म डेवलपमेंट बोर्ड ने हाल के वर्षों में कई कदम उठाए हैं। इनमें व्याख्यात्मक साइनेज, फेंसिंग, नेचर ट्रेल, विश्राम स्थल और पेयजल सुविधाओं का विकास शामिल है। जून 2025 में सलखन फॉसिल पार्क को यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल की टेंटेटिव लिस्ट (प्राकृतिक धरोहर श्रेणी) में शामिल किया गया है।
पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने बताया कि सोनभद्र जिले के प्राकृतिक परिदृश्यों के बीच स्थित सलखन फॉसिल्स पार्क भारत के सबसे महत्वपूर्ण भूवैज्ञानिक एवं प्राकृतिक धरोहर स्थलों में से एक है। लगभग 1.4 अरब वर्ष पुराने इस पार्क के संरक्षण और विकास के लिए उत्तर प्रदेश ईको-टूरिज्म डेवलपमेंट बोर्ड ने हाल के वर्षों में कई कदम उठाए हैं। इनमें व्याख्यात्मक साइनेज, फेंसिंग, नेचर ट्रेल, विश्राम स्थल और पेयजल सुविधाओं का विकास शामिल है। जून 2025 में सलखन फॉसिल पार्क को यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल की टेंटेटिव लिस्ट (प्राकृतिक धरोहर श्रेणी) में शामिल किया गया है।