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आयातित कोयले से डेढ़ गुनी तक महंगी होगी बिजली
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कई महीनों से चल रही जद्दोजहद के बाद मंगलवार को राज्य सरकार ने सूबे में स्थापित बिजली घरों के लिए आयातित कोयले की खरीद को मंजूरी दे दी है। आयातित कोयले का इस्तेमाल परियोजनाओं के लिए बड़ी चुनौती बनने वाली है। इससे जहां परियोजनाओं का व्यय भार बढ़ेगा तो आम उपभोक्ताओं को भी बिजली की महंगाई से जूझना पड़ सकता है।
राज्य उत्पादन निगम को सबसे सस्ती बिजली देने वाली परियोजनाओं में अनपरा में स्थापित तापीय परियोजनाएं शीर्ष पर हैं। यहां बिजली की दर अधिकतम तीन से चार रुपये तक है। इसके पीछे एक प्रमुख वजह परियोजनाओं का कोयला खदानों के मुहाने पर होना है। कोयला ढुलाई में आने वाले भारी भरकम खर्च में कमी के चलते ही परियोजना कम लागत में उत्पादन देने में सक्षम होती हैं। अब विदेशों से आने वाले कोयले के दाम के साथ ढुलाई का अतिरिक्त खर्च भी वहन करना होगा। इसका असर परियोजनाओं से उत्पादित होने वाली बिजली की दरों पर पड़ना स्वाभाविक है। बहरहाल, शासन के निर्देश से परियोजनाएं आयातित कोयले को लेकर अपनी तैयारियों में जुट गई हैं। सरकार का निर्देश होने के कारण कोई भी अधिकारी इस पर खुलकर बोलने को तैयार नहीं है। अनपरा तापीय परियोजना के जीएम एडमिन राधे मोहन ने बताया कि सरकार के आदेशों के अनुसार सभी परियोजनाओं को मिलने वाले कोयले का परियोजनाओं में स्टॉक किया जाएगा। इसके बाद पूर्व से परियोजनाओं में मौजूद कोयले के साथ मिश्रित कर इसे भी बिजली बनाने में इस्तेमाल किया जाएगा। वैसे तो कोयला सरकारी वैगनों से पहुंचेगा, पास की खदानों की अपेक्षा आयातित कोयले से ढुलाई खर्च में वृद्धि संभव है। फिलहाल परियोजनाओं में कोयला पहुंचने के बाद उच्च स्तरीय टीम बिजली के दामों का निर्धारण करेगी।
एटीपी के पास अब सिर्फ सवा छह दिन के कोयले का स्टॉक
ऊर्जांचल की सर्वाधिक बिजली उत्पादन करने वाली अनपरा तापीय परियोजना के पास इन दिनों सवा छह दिन के लिए ढाई लाख एमटी कोयले का स्टॉक शेष है। सूबे में लगातार बढ़त की ओर दर्ज हो रही बिजली की मांग के कारण परियोजनाएं कोयले की बचत नहीं कर पा रही हैं। जिससे महीने भर से ऊपर समय बीतने के बाद भी परियोजनाओं में भरपूर मात्रा में कोयले का स्टॉक मेंटेन नहीं हो सका है। मानसून के बदले रुख और सूबे में दिन-रात बढ़ती उमस के कारण बिजली की मांग में काफी तेजी देखी जा रही है। बिजली की मांग भी रोजाना नए रिकार्ड बना रही है। पिछले सप्ताह के शनिवार को 26312 मेगावाट की मांग से बिजली की मांग ने नया रिकार्ड कायम किया था। वहीं बुधवार को दोबारा से बिजली की मांग 26 हजार का आंकड़ा पार कर 26197 मेगावाट दर्ज की गई। मांग में लगातार इजाफा होने के कारण परियोजनाओं को भी अधिक कोयले की खपत करनी पड़ रही है। परियोजना अधिकारियों की बारिश में मांग कम होने पर कोयले की बचत करने की आस धरी रह गई है।
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एटीपी के पास अब सिर्फ सवा छह दिन के कोयले का स्टॉक
ऊर्जांचल की सर्वाधिक बिजली उत्पादन करने वाली अनपरा तापीय परियोजना के पास इन दिनों सवा छह दिन के लिए ढाई लाख एमटी कोयले का स्टॉक शेष है। सूबे में लगातार बढ़त की ओर दर्ज हो रही बिजली की मांग के कारण परियोजनाएं कोयले की बचत नहीं कर पा रही हैं। जिससे महीने भर से ऊपर समय बीतने के बाद भी परियोजनाओं में भरपूर मात्रा में कोयले का स्टॉक मेंटेन नहीं हो सका है। मानसून के बदले रुख और सूबे में दिन-रात बढ़ती उमस के कारण बिजली की मांग में काफी तेजी देखी जा रही है। बिजली की मांग भी रोजाना नए रिकार्ड बना रही है। पिछले सप्ताह के शनिवार को 26312 मेगावाट की मांग से बिजली की मांग ने नया रिकार्ड कायम किया था। वहीं बुधवार को दोबारा से बिजली की मांग 26 हजार का आंकड़ा पार कर 26197 मेगावाट दर्ज की गई। मांग में लगातार इजाफा होने के कारण परियोजनाओं को भी अधिक कोयले की खपत करनी पड़ रही है। परियोजना अधिकारियों की बारिश में मांग कम होने पर कोयले की बचत करने की आस धरी रह गई है।