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Sonebhadra News: बैच नंबर और निर्माण तिथि के बिना बेच रहे आटा-चावल, गुणवत्ता का भी पता नहीं

Varanasi Bureau वाराणसी ब्यूरो
Updated Sat, 13 Sep 2025 12:59 AM IST
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Flour and rice are being sold without batch number and manufacturing date, quality is also not known
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सोनभद्र। बाजार में पहुंचाए जा रहे खाद्य पदार्थों में बड़े पैमाने पर पैकिंग-लेवलिंग नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। आटा-चावल जैसी रोजमर्रा के जरूरत की चीजों की पैकिंग में प्रावधानों की अनदेखी हो रही है। पूर्व में मिली चेतावनी के बाद भी बगैर बैच नंबर-निर्माण तिथि के उत्पाद बाजार में पहुंचाए जा रहे हैं। इसे सेहत के लिए खतरा तो माना ही जा रहा है सामग्री की गुणवत्ता पर भी सवाल उठ रहे हैं।
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जिले के दूसरे हिस्सों की छोड़ दें तो महज जिला मुख्यालय के बाजार में औसतन रोज 10 से 12 टन चावल और आटा की खपत है। आटे की आपूर्ति फ्लोर मिलों और चावल की आपूर्ति राइस मिलों से होती है। यह सामग्री पांच किलो, 25 किलो की बोरियों में पैक कर दुकानों पर पहुंचाई जाती है। जब इसकी सच्चाई जानी गई तो पता चला कि अधिकांश बोरियों पर बैच नंबर और निर्माण तिथि का उल्लेख नहीं है। पैकिंग-लेबलिंग नियमों का पालन न किए जाने से जहां सामग्री की गुणवत्ता खराब होने की आशंका रहती है। वहीं, अगर सामग्री खराब मिलती है तो उसके लिए किसी को जिम्मेदार ठहरा पाना खासा मुश्किल हो जाता है।
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दो साल पहले पकड़ी गई थीं खामियां :
अगस्त 2023 में आईजीआरएस के जरिए शिकायत की गई थी। इस पर मुख्य खाद्य सुरक्षा अधिकारी की अगुवाई में टीम गठित कर 10 केक, ब्रेकरी, नमकीन और आटा मिलों का निरीक्षण किया गया। डीएम को रिपोर्ट दी गई कि कुछ प्रतिष्ठान पैकिंग व लेबलिंग नियम का पालन नहीं कर रहे थे, जिसे लेकर नोटिस जारी करते हुए सुधार का निर्देश दिए गए। बावजूद इसकी निगरानी न किए जाने का परिणाम है कि महज मुख्यालय पर ही पैकिंग नियमों की अनदेखी करने वाले खाद्य पदार्थ पैकेटों-बोरियों की भरमार है।

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दुकानदारों की विवशता का आपूर्तिकर्ता उठाते हैं फायदा
चूंकि आटा और चावल ऐसे पदार्थ हैं जिसकी प्रत्येक व्यक्ति के घर में रोजाना खपत है। नगरीय क्षेत्र में निवास करने वाले ज्यादातर लोग पैकिंग वाले ही आटा-चावल की खरीदारी करते हैं। इसकी उपलब्धता न करा पाने वाले दुकानदार को ग्राहक बिगड़ने का डर रहता है। इसके चलते जब कभी कोई दुकानदार आपूर्तिकर्ताओं से इस पर आपत्ति जताता है तो उसकी आपूर्ति ही रोक दी जाती है या कम कर दी जाती है। इसके चलते अधिकांश दुकानदार इसका जिक्र ही नहीं करते।
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दुकानों की बजाय मिलों पर हो कार्रवाई, तभी लगेगा अंकुश
दुकानदारों के यहां जब कभी इस तरह का माल पकड़ा जाता है तो बैच नंबर और निर्माण तिथि अंकित न होने से संबंधित विनिर्माण इकाइयां-मिलें पल्ला झाड़ लेती है। ठोस सबूत के अभाव में खाद्य सुरक्षा विभाग से भी कोई कार्रवाई नहीं हो पाती। लोगों का कहना है कि दुकानों की बजाय जब तक सीधे मिलों-निर्माण इकाइयों पर कार्रवाई नहीं होगी, तब तक इस पर रोक लग पाना मुश्किल है।
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वर्जन
सभी निरीक्षकों को अपने-अपने क्षेत्र में निगरानी-कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं। गड़बड़ी बरतने वाली विनिर्माण इकाइयों पर कड़ी कार्रवाई के लिए कहा गया है। - योगेश त्रिवेदी, उपायुक्त द्वितीय खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन।
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