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यूपी में अवैध खनन की खुली पोल: उन वाहनों से भी हुई खनिज की ढुलाई, जिनका परिवहन विभाग में रिकॉर्ड ही नहीं

मनीष जायसवाल, अमर उजाला ब्यूरो, सोनभद्र। Published by: वाराणसी ब्यूरो Updated Wed, 03 Sep 2025 03:50 PM IST
सार

2017-18 से 2021-22 के डेटा पर जारी ऑडिट रिपोर्ट में सीएजी ने भारत सरकार के जून 1989 की अधिसूचना का उल्लेख किया है। इसके तहत हर राज्य को वाहनों के पंजीकरण के लिए अक्षरों का समूह आवंटित है। 

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Minerals were also transported by vehicles which had no records in the Transport Department
अवैध खनन का खुलासा - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) ने यूपी में अवैध खनन और परिवहन पर रोक लगाने के दावों की पोल खोल दी है। 85 हजार से ज्यादा ऐसे वाहनों से खनिज की ढुलाई की गई जिनका परिवहन विभाग में कोई रिकॉर्ड ही नहीं है। फर्जी नंबर वाले इन वाहनों को 44 हजार ई-ट्रांजिस पास दिए गए।
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2017-18 से 2021-22 के डेटा पर जारी ऑडिट रिपोर्ट में सीएजी ने भारत सरकार के जून 1989 की अधिसूचना का उल्लेख किया है। इसके तहत हर राज्य को वाहनों के पंजीकरण के लिए अक्षरों का समूह आवंटित है। इसके बाद पंजीकरण प्राधिकरण का कोड और चार अंकों की संख्या जोड़ी जाती है। 
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ऑडिट ने जब सोनभद्र में जारी ई-ट्रांजिट पास की जांच की तो उसमें 85928 वाहनों में फर्जी पंजीकरण नंबर का उपयोग पाया गया। इन वाहनों को 448637 ई-ट्रांजिट पास जारी हुए हैं जिनसे 2451021 घन मीटर खनिजों का परिवहन किया गया। इसमें 3883 वाहन ऐसे हैं जिन पर सात से कम अंक व अक्षर अंकित हैं जबकि 765 पर सिर्फ अंक ही हैं। 

इसके अलावा 81280 अवैध नंबर का कोई रिकॉर्ड परिवहन विभाग के वाहन डेटा बेस में उपलब्ध नहीं है। हालांकि इस मामले में विभाग की ओर जुलाई 2023 में यह जवाब दिया गया था कि ई-ट्रांजिट पास पट्टा धारक-परमिट धारक वाहन मालिकों के बताए गए नंबर के आधार पर जारी किए जाते हैं। वाहन नंबरों की जांच का कोई तंत्र उपलब्ध नहीं था। सीएजी ने इस दलील को खारिज कर दिया था।

नियमों को दरकिनार कर रात में हुआ बालू का परिवहन

नियमों के अनुसार रेत खनन का कार्य सुबह 6 से शाम 7 बजे तक किया जाना चाहिए। पर्यावरण मंजूरी की शर्तों में भी केवल दिन के समय सामग्री लोडिंग/परिवहन की अनुमति है। इससे इतर ऑडिट में पाया गया कि 39 लाख से ज्यादा ई-ट्रांजिट पास रात 8 बजे से सुबह 5 बजे के बीच बनाए गए। इनसे 5 करोड़ घन मीटर से अधिक खनिज का परिवहन रात के अंधेरे में किया गया। नियमों के इस उल्लंघन से नदी किनारे के जीव-जंतुओं और पर्यावरण पर बुरा प्रभाव पड़ा। संबंधित अधिकारियों ने इस पर कोई कार्रवाई नहीं की। हालांकि विभाग ने दिन में खनन कार्य के दौरान भंडारित सामग्री के ही रात में परिवहन की दलील दी थी, जिसे स्वीकार नहीं किया गया।

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