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Sonebhadra News: खनन स्थल के निरीक्षण में देरी पर डीएम को भरनी पड़ेगी पेनाल्टी
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सोनभद्र। एनजीटी के निर्देश पर बालू खनन स्थल के निरीक्षण और स्पष्टीकरण तलब करने के बावजूद रिपोर्ट दाखिल करने में देरी डीएम के लिए भारी पड़ी है। एनजीटी की मुख्य बेंच ने नाराजगी जताते हुए जहां 10 हजार की पेनाल्टी अविलंब जमा करने के लिए कहा। वहीं, डीएम की उदासीनता पर भी कड़ी टिप्पणी की।
यह मामला वर्तमान में बंद बालू खनन की एक साइट से जुड़ा हुआ है। इस साइट पर पर्यावरण स्वीकृति प्रपत्र की समाप्ति के बाद भी खनन कार्य जारी रखने का आरोप लगाते हुए एनजीटी (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) में याचिका दाखिल की गई थी। 23 अप्रैल 2025 को एनजीटी की प्रधान पीठ ने आरोपों की गंभीरता को देखते हुए एक संयुक्त समिति गठित की थी।
इसमें क्षेत्रीय अधिकारी पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय लखनऊ, सदस्य सचिव सीपीसीबी के एक प्रतिनिधि, सदस्य सचिव यूपीपीसीबी और जिला मजिस्ट्रेट को शामिल किया गया था। निर्देश दिया गया था कि डीएम संयुक्त समिति में नोडल एजेंसी के रूप में कार्य करेंगे। संयुक्त समिति खनन स्थल का दौरा करेगी। अवैध खनन की सीमा का पता लगाएगी और मध्य धारा खनन के आरोपों की सत्यता, अपेक्षित पर्यावरणीय मंज़ूरियों की स्थिति, पर्यावरण स्वीकृति प्रपत्र की समाप्ति के बाद भी खनन जारी रखने के आरोपों की सत्यता जांचेंगी।
आठ सप्ताह के भीतर रिपोर्ट प्रस्तुत कर दी जाएगी। रिपोर्ट 23 जून 2025 तक प्रस्तुत की जानी थी लेकिन जब 19 अगस्त को सुनवाई हुई तो पता चला कि संयुक्त समिति ने निरीक्षण ही 30 जून को किया। रिपोर्ट अभी तैयार हो रही है। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने इस पर सवाल उठाते हुए आरोप लगाया गया था कि डीएम की देरी से अवैध खनन से जुड़े साक्ष्यों को समाप्त करने में संचालकों को मदद मिली है।
इस पर डीएम को निर्देश दिया गया था कि वह निरीक्षण में विलंब को लेकर शपथपत्र के रूप में चार सप्ताह के भीतर स्पष्टीकरण प्रस्तुत करें। संयुक्त समिति द्वारा रिपोर्ट दाखिल करने की अवधि को भी चार सप्ताह के लिए बढ़ाया गया। इसके बावजूद निर्धारित समय में न तो रिपोर्ट पहुंची न स्पष्टीकरण।
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यह मामला वर्तमान में बंद बालू खनन की एक साइट से जुड़ा हुआ है। इस साइट पर पर्यावरण स्वीकृति प्रपत्र की समाप्ति के बाद भी खनन कार्य जारी रखने का आरोप लगाते हुए एनजीटी (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) में याचिका दाखिल की गई थी। 23 अप्रैल 2025 को एनजीटी की प्रधान पीठ ने आरोपों की गंभीरता को देखते हुए एक संयुक्त समिति गठित की थी।
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इसमें क्षेत्रीय अधिकारी पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय लखनऊ, सदस्य सचिव सीपीसीबी के एक प्रतिनिधि, सदस्य सचिव यूपीपीसीबी और जिला मजिस्ट्रेट को शामिल किया गया था। निर्देश दिया गया था कि डीएम संयुक्त समिति में नोडल एजेंसी के रूप में कार्य करेंगे। संयुक्त समिति खनन स्थल का दौरा करेगी। अवैध खनन की सीमा का पता लगाएगी और मध्य धारा खनन के आरोपों की सत्यता, अपेक्षित पर्यावरणीय मंज़ूरियों की स्थिति, पर्यावरण स्वीकृति प्रपत्र की समाप्ति के बाद भी खनन जारी रखने के आरोपों की सत्यता जांचेंगी।
आठ सप्ताह के भीतर रिपोर्ट प्रस्तुत कर दी जाएगी। रिपोर्ट 23 जून 2025 तक प्रस्तुत की जानी थी लेकिन जब 19 अगस्त को सुनवाई हुई तो पता चला कि संयुक्त समिति ने निरीक्षण ही 30 जून को किया। रिपोर्ट अभी तैयार हो रही है। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने इस पर सवाल उठाते हुए आरोप लगाया गया था कि डीएम की देरी से अवैध खनन से जुड़े साक्ष्यों को समाप्त करने में संचालकों को मदद मिली है।
इस पर डीएम को निर्देश दिया गया था कि वह निरीक्षण में विलंब को लेकर शपथपत्र के रूप में चार सप्ताह के भीतर स्पष्टीकरण प्रस्तुत करें। संयुक्त समिति द्वारा रिपोर्ट दाखिल करने की अवधि को भी चार सप्ताह के लिए बढ़ाया गया। इसके बावजूद निर्धारित समय में न तो रिपोर्ट पहुंची न स्पष्टीकरण।