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राजनीति: वोटरों को डबल इंजन की पावर से खींच पाएंगे 'योगी', क्या आसमानी बातों से दबेगी ईवीएम!

Jitendra Bhardwaj जितेंद्र भारद्वाज
Updated Wed, 03 Nov 2021 09:59 PM IST
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सार

सपा और बसपा जैसी पार्टियां अपनी भूख बढ़ा रही हैं। धर्म के अंदर भी अंतर्विरोध है। जाति के तौर पर चुनाव विभाजित होता जा रहा है। अगर इसे देखें तो सभी पार्टियों के अपने-अपने दावे हैं। सपा व बसपा, यादव, मुस्लिम, पिछड़ों व दलितों को अपना बता रही हैं।

Uttar Pradesh Political Analysis CM yogi adityanath Priyanka Gandhi Akhilesh Yadav Asduddin owaisi mayawati
अखिलेश केजरीवाल और मायावती - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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उत्तर प्रदेश में चुनावी सक्रियता ने अब जोर पकड़ लिया है। कौन-सी पार्टी किस एजेंडे के साथ चुनावी मैदान में उतर रही है, यह भी स्पष्ट होने लगा है। जनहित के मुद्दों से परे जाकर पाकिस्तान, अफगानिस्तान और जिन्ना पर बात हो रही है। भाजपा इस प्रयास में लगी है कि राम मंदिर का फायदा केवल उन्हें ही मिल जाए, लेकिन अब प्रियंका गांधी से लेकर केजरीवाल तक 'मंदिर' के मुद्दे में सेंध लगा रहे हैं। जेएनयू के पूर्व प्रोफेसर और राजनीतिक विश्लेषक डॉ. आनंद कुमार बताते हैं कि यूपी चुनाव में योगी के पास डबल इंजन की पावर रही है। इसके जरिए वे वोटरों को खींचने का प्रयास कर रहे हैं। चूंकि, उत्तर प्रदेश है तो वोट केवल एक ही मुद्दे से नहीं मिलता। जाति, धर्म और क्षेत्रवाद सब देखा जाता है। 

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दवाई-कमाई और महंगाई भी हैं मुद्दा
प्रो. आनंद कुमार कहते हैं कि राम मंदिर बन रहा है, ठीक है। लोगों की आस्था का प्रतीक है, लेकिन मंदिर दर्शन के बाद वापस आए लोगों को जब पता चले कि इस बीच फसल आवारा पशु चट कर गए तो उन्हें कैसा लगेगा। दवाई, कमाई व महंगाई पर भी तो लोग पूछेंगे। भाजपा सहित दूसरे दलों को 'भितरघात' का सामना भी करना है। केवल आसमानी बातों से ईवीएम दबेगी, ऐसा नहीं है। उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में पिछले दिनों 'अब्बाजान' और 'तालिबान' का जिक्र भी खूब हुआ है। मुख्यमंत्री योगी, अफगानिस्तान को एयर स्ट्राइक का भय दिखा देते हैं। 
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सारी पार्टियां कर रहीं आसमानी बातें
असदुद्दीन ओवैसी की आल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) भी कुछ जगहों पर यूपी के चुनावी समीकरण को बदलने के प्रयासों में लगी है। भाजपा को अयोध्या में राम मंदिर निर्माण से बहुत उम्मीद है। कांग्रेस को भरोसा है कि यूपी में प्रियंका गांधी का जादू चल जाएगा। महिलाओं को 40 फीसदी टिकट देने की घोषणा कर प्रियंका गांधी ने पांच करोड़ महिला वोटरों को अपने पक्ष में साधने का बड़ा सियासी दांव चल दिया है। सोशल इंजीनियरिंग के प्लेटफार्म पर कमजोर पड़ रही भाजपा को मंत्रिमंडल विस्तार करना पड़ा। प्रो. आनंद कुमार के मुताबिक, आसमानी बातें तो सारी पार्टियां कर रही हैं, मगर इससे वोट तो नहीं मिलते। हिन्दू मुस्लिम का भय दिखाकर वोट ले लेना, अब ये मुद्दे उतने कारगर नहीं रह गए हैं। वैसे भी मुख्यमंत्री योगी सार्वजनिक तौर पर यह दावा कर चुके हैं कि हमने यूपी में साढ़े चार साल के दौरान कोई बड़ा दंगा नहीं होने दिया है।  

अयोध्या की शरण में सभी राजनीतिक दल
महंगाई का सवाल है तो इस मुद्दे को समय-समय पर विभिन्न राजनीतिक दलों ने उठाया है, लेकिन इसमें भी उन दलों की गंभीरता देखने को नहीं मिली। प्रो. आनंद कुमार ने कहा कि कई दलों की सक्रियता तो लखीमपुर खीरी की घटना के बाद देखने को मिली है। उससे पहले तो सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर ही उनके बाणों की बौछार हो रही थी। महंगाई एक बड़ा मुद्दा है, मगर राजनीतिक तौर पर इसे कम आंका जा रहा है। मतदान में इसका असर देखने को मिल सकता है। सपा या बसपा को इसका जवाब नहीं देना है, मगर कांग्रेस और भाजपा जैसे दलों को बताना होगा। अगर कोई पार्टी यह सोचकर चलती है कि राम मंदिर या पूजा से सामने वाले परास्त हो जाएंगे तो वह गलतफहमी में है। अरविंद केजरीवाल भी राम मंदिर में पहुंच चुके हैं। दूसरी पार्टियां भी माथा टेक रही हैं। मंदिर दर्शन के बाद जब खेत में आवारा पशुओं द्वारा तबाह की गई फसल को देखेंगे तो वोटर कुछ सोचेगा। मुख्यमंत्री योगी के पास डबल इंजन यानी केंद्र और राज्य सरकार, दोनों की पावर है, ऐसे में तो कोई मुद्दा बचना ही नहीं चाहिए था। दवाई, कमाई व महंगाई, इन मुद्दों का जमीन पर असर है। 

किसानों का मुद्दा दिखा सकता है चमत्कार
प्रो. आनंद कुमार बताते हैं, सपा और बसपा जैसी पार्टियां अपनी भूख बढ़ा रही हैं। धर्म के अंदर भी अंतर्विरोध है। जाति के तौर पर चुनाव विभाजित होता जा रहा है। अगर इसे देखें तो सभी पार्टियों के अपने-अपने दावे हैं। सपा व बसपा, यादव, मुस्लिम, पिछड़ों व दलितों को अपना बता रही हैं। कांग्रेस पार्टी, जिसके झंडे तले पहले अधिकांश वर्ग रहे हैं, अब वैसे ही चमत्कार की उम्मीद कर रही है। कुछ छोटी पार्टियां हैं जो पिछड़े वर्गों के वोटरों में सेंध लगाने का दावा करती हैं। गैर जाट और गैर यादव के मामले में योगी के पास केवल राजपूत वर्ग ही बचेगा। बाकी बिरादरी भी किसी न किसी वजह से खुश नहीं हैं। हालांकि इन सभी बातों से परे, योगी को न केवल हिंदुओं, बल्कि मुस्लिम समुदाय से भी कुछ वोट प्रतिशत मिलने का भरोसा है। जो पार्टियां यह मान रही हैं कि किसी दल से समझौता होने के बाद उनके वोट आपस में शिफ्ट हो जाएंगे तो ये बड़ा मुश्किल है। बसपा और सपा को इसका अनुभव है। बसपा के वोटरों ने सपा को वोट दे दिया, मगर सपा के लोग बसपा के पक्ष में मतदान करने का साहस नहीं दिखा पाए। किसानों का मुद्दा पश्चिम यूपी में असर दिखा सकता है। विपक्ष, उसे भुनाने में लगा है। यूपी में सरकारी कर्मी, बड़ी तादाद में हैं। वे अभी चुप हैं। कोई बड़ा दंगा भी नहीं हुआ तो योगी को लोगों के सामने वह चमत्कार तो बताना होगा कि जिसके आधार पर लोग उनकी पार्टी को वोट देने के लिए खुद को तैयार कर सकें। बतौर, आनंद कुमार, इसमें कोई शक नहीं है कि वोटर, मुख्यमंत्री योगी से डबल इंजन वाली पावर का हिसाब मांगेंगे। 

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