हनुमत दरबार में राग सरस्वती का अवतरण, नृत्य और संगीत से जीता दिल

संकट मोचन दरबार में छह दिवसीय संगीत समारोह की पहली निशा में मंगलवार को जब अहमदाबाद की कलाकार विदूषी मंजू मेहता ने सितार पर राग सरस्वती में अपनी प्रस्तुति दी तो ऐसा लगा मानो दरबार में विद्या की देवी मां सरस्वती उतर गईं हों। इसके बाद उन्होंने तबले पर संगत कर रहे पं किशन महाराज के पुत्र पं. पूरन महाराज के साथ गतकारी बजाई।

इसमें उन्होंने विलंबित लय, मध्य लय और झाला बजाकर खूब तालियां बटोरी। मंजू ने कहा कि यह मेरे लिए सौभाग्य की बात है कि इतने बड़े मंच पर मुझे प्रस्तुति करने का मौका मिला है। कार्यक्रम का शुभारंभ अमेरिका से आईं कुचिपुड़ी नृत्यांगना डॉ. येल्ला विजय दुर्गा ने अपने नृत्य से किया। उन्होंने अरण्य कांड के हनुमान और भगवान राम के मिलन को प्रस्तुत किया। जबकि दशावतार से उन्होंने अपने कार्यक्रम का समापन किया। उन्होंने कहा कि इस पवित्र दरबार में प्रस्तुति देकर मन प्रफुल्लित हो गया।
दूसरी प्रस्तुति पद्मश्री डॉ. सोनल मानसिंह के ओडिसी नृत्य से हुई। इन्होंने समाज में बढ़ रहे आसुरी प्रवृत्ति को देखते हुए महिषासुर मर्दिनी पर नृत्य किया। अगली प्रस्तुति में वे भगवान शिव के परिवार को नृत्य के माध्यम से प्रस्तुत किया। उन्होंने नृत्य के माध्यम से बताया कि भगवान शंकर के गले में लिपटा सांप भगवान गणेश की सवारी चूहे को खाना चाह रहा है, तो भगवान कार्तिकेय की सवारी मोर सर्प को खाने की चेष्ठा रखता है और स्वयं भोले नाथ के सिर से निकली मां गंगा से माता पार्वती को ईश्या हो रही है।
इसके बाद भी भगवान उसको कैसे संचालित कर रहे हैं। इसकी भावपूर्ण प्रस्तुति दी। अगली प्रस्तुति भोलेनाथ और भष्मासुर को नृत्य के माध्यम से दर्शाया गया है। अंत में उन्होंने हनुमान चालीसा पर नृत्य किया। इस मौके पर संकट मोचन मंदिर के महंत प्रो. विश्वंभर नाथ मिश्रा, प्रो. विजय नाथ मिश्रा सहित बड़ी संख्या में श्रोता उपस्थित रहे।
शहीदों की याद में बना स्मारक, पेंटिंग के माध्यम से हुई कला की प्रस्तुति

समारोह में शहीदों की याद में एक पेंटिंग प्रदर्शनी बनाई गई है, जिसका उद्घाटन महाराष्ट्र पुलिस अधिकारी आईपीएस देवी गोयल ने किया। इनके साथ 95 बटालियन सीआरपीएफ के प्रतीक सिंह और कैलाश यादव रहे। प्रो. वीएन मिश्रा ने बताया कि इस प्रदर्शनी में कुल 128 पेंटिंग लगाई गई हैं, जिसमें भगवान के विभन्न तरह के चित्रों को दर्शाया गया है।
यह पेंटिंग 62 कलाकारों ने तैयार की है। वहीं एक स्थान पर महापुरुषों की भी पेंटिंग लगाई गई है। इसमें बहरीन के कलाकार अनिल शर्मा, कलाकार राजू कुमार, राजेश कुमार मूर्तिकार, अभिषेक गुप्ता, श्रद्धा चक्रवाल, अंजनी मिश्रा, मालती शर्मा, प्रो. सुनिल विश्वकर्मा, डॉ. शारदा सिंह, वेद प्रकाश मिश्रा, सीएचएस के आर्ट टीचर आशीष गुप्ता, हेमा पटेल, दिव्यांग कलाकार पूनम राय और कलकत्ता से विजया ने अपनी कला का प्रदर्शन किया।
96वें साल से लगातार आयोजित इस समारोह की चमक कभी फीकी नहीं पड़ी। जिस साल मंदिर में विस्फोट हुआ था उस साल भी श्रोता कम नहीं हुए। बल्कि बढ़ चढ़कर हिस्सा लिए। इस समारोह के सुधी श्रोता रात भर कार्यक्रम में मौजूद रहते हैं और कलाकारों का हौसला बढ़ाते रहते हैं।