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जमुनिया के डार मैं तोड़ लाई राजा : विदुषी मालिनी के स्वर ने सजाई शाम, श्रीलंका के कलाकारों ने भी दी प्रस्तुति

अमर उजाला नेटवर्क, वाराणसी। Published by: अमन विश्वकर्मा Updated Thu, 06 Feb 2025 11:37 PM IST
सार

तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी में लोक गायिका मालिनी अवस्थी ने अपनी गायकी से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। भारत के बाहर से भी आए कलाकारों ने अपनी प्रस्तुति दी जो काफी सराहा गया।

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Malini awasthi voice lit up evening in bhu artists from Sri Lanka also performed
संगोष्ठी के दाैरान मंचासीन अतिथिगण। - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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बीएचयू के संगीत एवं मंच कला संकाय में तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र के बाद लोक गायिका मालिनी अवस्थी ने अपने एक से बढ़कर एक गीतों से कार्यक्रम को यादगार बना दिया। कार्यक्रम में प्रो. विश्वंभर नाथ मिश्र, मालिनी अवस्थी को कौस्तुभ कला रत्न सम्मान से नवाजा गया।



संकाय में आयोजित कार्यक्रम में मुख्य अतिथि संकट मोचन मंदिर के महंत प्रो. विश्वंभर नाथ मिश्र ने बीएचयू के कुलगीत की महत्ता बताई। साथ ही संगीत के क्षेत्र की संभावनाओं की भी चर्चा की। 
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मालिनी अवस्थी ने कहा कि कलाकार अपने चिंतन से कला संस्कृति की परिभाषा रचता है। उन्होंने संगीत में नवाचार और संगीत के लोक पक्ष के बारे में बताया। ठुमरी साम्राज्ञी विदुषी गिरिजा देवी अप्पाजी की स्मृतियों को साझा किया।

सभागार में मालिनी अवस्थी ने कार्यक्रम की शुरुआत दादरा के बोल चले जयहों... से की। इसके बाद जमुनिया के डार में तोड़ लाई राजा... और फिर सोहर चुनरिया पहराई दे भौजी मोरी... की प्रस्तुति दी। 

मालिनी ने इस दौरान अपने सुप्रसिद्ध गीत सइयां मिले लड़कैयां क्या करूं... जैसे ही गाया पूरा सभागार तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। संवादिनी पर डॉ. विजय कपूर, तबले पर पंकज राय, सारंगी पर अनीश मिश्रा ने संगत किया। 

कार्यक्रम में श्रीलंका से आए सितारवादक महेश पथमा ने किरवानी राग की प्रस्तुति दी। फिर राग भैरवी में एक धुन बजाकर सभी को आनंदित किया। संकाय प्रमुख प्रो. संगीता पंडित, सह संयोजक प्रो. राजेश शाह, डॉ. विधि नागर, डॉ. ज्ञानेश चंद्र पांडेय मौजूद रहे।

नेपाल के कलाकारों ने जीता दिल

पंडित ओंकारनाथ ठाकुर सभागार में नेपाल से आए कलाकारों ने भी अपनी प्रस्तुति दी। गायन में डॉ. रमेश पोखरेल, अजर जंगम, वादन पर डॉ. अच्युत भंडारी (मादल), तबले पर डॉ. कृष खारेल और बांसुरी पर परशुराम प्रसाद, डॉ. निरंजन भंडारी ने प्रस्तुति दी।

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