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Exclusive: बीएचयू में पढ़ें भारतीय सौंदर्यशास्त्र- प्राणतत्व, विज्ञान-गणित के स्नातक होंगे योग्य
हिमांशु अस्थाना, अमर उजाला ब्यूरो, वाराणसी।
Published by: प्रगति चंद
Updated Mon, 17 Nov 2025 04:46 PM IST
सार
Varanasi News: बीएचयू में भारतीय सौंदर्यशास्त्र और प्राणतत्व समेत तीन नए कोर्स अगले सत्र में शुरू होंगे। इसके लिए भारत अध्ययन केंद्र की ओर से प्रस्ताव दिया गया है।
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बीएचयू कैंपस में जाती छात्राएं
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
बीएचयू में अगले सत्र 2026-27 से भारतीय सौंदर्य शास्त्र, प्राणतत्व विद्या और आगम-पुराण कोर्स शुरू होंगे। सौंदर्यशास्त्र के तहत मानवीय भावना, अनुभूति, 49 भाव और नौ रसों के साथ प्राणतत्व में शरीर और मन के बीच संयम व आगम-पुराण में ऋषि परंपराएं सिखाई जाएंगी। भारत अध्ययन केंद्र की ओर से मूल्य वर्धित कोर्स के तहत छह-छह महीने की पढ़ाई कराई जाएगी। इन कोर्स को बीएचयू के स्नातक छात्र व छात्रा पढ़ सकेंगे। हर एक कोर्स के कुल 60-60 लेक्चर हैं और हर लेक्चर के लिए 4-4 क्रेडिट तय किए गए हैं। इनमें कुल 100 सीटें होंगी।
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कोर्स के प्रस्तावक और भारत अध्ययन केंद्र के समन्वयक प्रो. सदाशिव कुमार द्विवेदी ने बताया कि संस्कृत, हिंदी और धर्म विज्ञान के साथ ही विज्ञान, कृषि, अर्थशास्त्र, भूगोल और गणित से स्नातक करने वाले छात्र-छात्राएं भी इन तीनों विषयों की पढ़ाई कर सकेंगे। इस कोर्स के लिए कोई भी स्नातक योग्य होगा। नई शिक्षा नीति के तहत भारतीय ज्ञान परंपरा के चलते ये कोर्स शुरू किए जा रहे हैं।
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इंसान मशीन न बने, इसलिए बना है रस सिद्धांत
इन तीनों कोर्स के सिलेबस पर विद्वत परिषद की बैठक में मंथन किया गया। अगले सत्र में दाखिले के साथ इस कोर्स को शुरू करने पर सहमति बनी। सौंदर्यशास्त्र में बताया जाएगा कि कविता निर्माण के सूत्र के निर्माण और मूल्यांकन के मापदंड क्या थे। साहित्य शास्त्र में कितने भाव हैं। इंसान निष्ठुर और मशीन न बने, इसके लिए उसके अंदर रस और भाव जगाने की जरूरत है। भाव का अर्थ है मन की अवस्थाएं जो कि 49 तरह की होती हैं। 30 घंटे भारतीय कला और विद्या लय, 15 घंटे रस सिद्धांत और 15 घंटे पंचकल्पवाद आदि की कक्षाएं चलाई जाएंगी। इसमें नाट्यशास्त्र, रीति, धवानी, वक्रोक्ति, औचित्य आदि के बारे में बताया जाएगा।
अपने शरीर को स्वस्थ रहना सिखाएंगे
प्राणतत्व में मानव शरीर की संरचना का पूरा अध्ययन होगा। अपने शरीर को खुद के वश में रखना सिखाया जाएगा। शरीर और इंद्रियों पर संयम रखते हुए अपने आपको किस तरह से स्वस्थ रखना है, इसकी कक्षाएं चलेंगी। प्राण के पांच प्रकार होते हैं और नियंत्रण के तरीके भी अलग-अलग। इससे भी छात्र अवगत होंगे। हमारे ऋषियों ने प्राणतत्व के कई सूत्र बताए हैं। वहीं, आगम और पुराण कोर्स में भारत का प्राचीन इतिहास, सूर्यवंश, चंद्रवंश, ऋषि परंपरा, मुनि परंपरा के बारे में पढ़ाया जाएगा।