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मौसम का अलर्ट, बाढ़ राहत चौकियों नहीं सतर्क
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मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मानसून सीजन शुरू होने पर आपदा के मद्देनजर अफसरों के तीन महीने की छुट्टियों पर रोक लगा दी है। आपदा प्रबंधन विभाग ने अलर्ट जारी किया है। इसके बाद भी गंगा के मुहाने पर बसे गांवों में बनाई गई बाढ़ राहत चौकियों पर तैनात कर्मचारियों का अता पता नहीं।
आपदा प्रबंधन विभाग की ओर से मौसम को लेकर अलर्ट जारी करने के बाद बाढ़ राहत चौकियों पर कोई सतर्कता नजर नहीं आई। गैंडीखाता, बिशनपुर, श्यामपुर वन विश्रामगृह और जसवावाला में बाढ़ राहत चौकी खोली गई है। अमर उजाला ने बृहस्पतिवार को कई बाढ़ राहत चौकियों की पड़ताल की। इसमें विभागीय दावों का सच्चाई सामने आई। बाढ़ राहत चौकियों पर ताले लटके हुए मिले। ऐसे में यदि गंगा का जलस्तर बढ़ने से बाढ़ की आशंका बनती तो हजारों ग्रामीणों का जीवन संकट में पड़ सकता है। 15 जून से बाढ़ राहत चौकियों को सक्रिय करने के जिला प्रशासन के दावे भी हवा हवाई साबित हुई।
गैंडीखाता चौकी पर लटका रहा ताला
लालढांग। गैंडीखाता में बाढ़ राहत चौकी बनाई गई है। इसका मकसद बाढ़ आने पर ग्रामीणों को सचेत किया जा सके। पहाड़ों में तेज बारिश के बाद गंगा का जलस्तर बढ़ रहा है और ऐसे मौके पर गैंडीखाता बाढ़ राहत चौकी पर ताला लटका मिला। लेखपाल सुभाष चौहान ने बताया कि आजकल प्रधानमंत्री स्वामित्व योजना में ड्यूटी चल रही है। जिसके कारण वह बाढ़ राहत चौकी पर नहीं आ सके।
चौकी पर ताला, अफसर भी लापरवाह
पथरी। गंगा के एकदम मुहाने पर बसे बिशनपुर में पंचायत घर में बाढ़ राहत चौकी खोली गई है। मगर बाढ़ राहत चौकी पर ताला लटका हुआ मिला। अभी तक बाढ़ राहत चौकी पर कोई कर्मचारी नहीं पहुंचा है। किसी भी अधिकारी ने अभी तक बाढ़ राहत चौकी की कोई सुध नहीं ली है। पूर्व प्रधान सुखदेव पाल, अमित कुमार, ब्रजपाल, अनुज कुमार आदि लोगों का कहना है कि बाढ़ राहत चौकी पर तैराक पुलिसकर्मी तैनात होने चाहिए। यदि कोई गंगा में डूबता है तो उसे बचाया जा सके।
बाढ़ राहत चौकी पर ये हों सुविधाएं
बाढ़ राहत चौकियों को 24 घंटे खोलने का नियम है। जिनमें कम से कम पुलिस, राजस्व और विकास विभाग से कम से कम तीन कर्मचारी हर समय मौजूद रहने चाहिए। चौकी पर खोज और बचाव के लिए रस्सी, बांस, लाइफ जैकेट, टॉर्च, स्टेचर, लाउड स्पीकर आदि होने चाहिए।
बाढ़ राहत चौकियों पर कर्मचारियों के नहीं मिलने पर अधिकारियों को कार्रवाई के लिए पत्र लिखा जाएगा। ताकि लापरवाह कर्मचारियों पर कार्रवाई होने के साथ ही आगे से वह चौकी पर नियमानुसार ड्यूटी कर सकें।
- मीरा कैंतुरा, जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी, हरिद्वार
मानसूून सीजन को देखते हुए बाढ़ राहत चौकियों को अलर्ट मोड में रखा गया है। बाढ़ राहत चौकियों पर कर्मचारियों की ड्यूटी भी लगाई गई है। यदि कहीं बाढ़ राहत चौकी पर कर्मचारी ड्यूटी पर नहीं मिलते है तो उनका वेतन रोकने की कार्रवाई की जाएगी।
- पूरण सिंह राणा, एसडीएम हरिद्वार
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गैंडीखाता चौकी पर लटका रहा ताला
लालढांग। गैंडीखाता में बाढ़ राहत चौकी बनाई गई है। इसका मकसद बाढ़ आने पर ग्रामीणों को सचेत किया जा सके। पहाड़ों में तेज बारिश के बाद गंगा का जलस्तर बढ़ रहा है और ऐसे मौके पर गैंडीखाता बाढ़ राहत चौकी पर ताला लटका मिला। लेखपाल सुभाष चौहान ने बताया कि आजकल प्रधानमंत्री स्वामित्व योजना में ड्यूटी चल रही है। जिसके कारण वह बाढ़ राहत चौकी पर नहीं आ सके।
चौकी पर ताला, अफसर भी लापरवाह
पथरी। गंगा के एकदम मुहाने पर बसे बिशनपुर में पंचायत घर में बाढ़ राहत चौकी खोली गई है। मगर बाढ़ राहत चौकी पर ताला लटका हुआ मिला। अभी तक बाढ़ राहत चौकी पर कोई कर्मचारी नहीं पहुंचा है। किसी भी अधिकारी ने अभी तक बाढ़ राहत चौकी की कोई सुध नहीं ली है। पूर्व प्रधान सुखदेव पाल, अमित कुमार, ब्रजपाल, अनुज कुमार आदि लोगों का कहना है कि बाढ़ राहत चौकी पर तैराक पुलिसकर्मी तैनात होने चाहिए। यदि कोई गंगा में डूबता है तो उसे बचाया जा सके।
बाढ़ राहत चौकी पर ये हों सुविधाएं
बाढ़ राहत चौकियों को 24 घंटे खोलने का नियम है। जिनमें कम से कम पुलिस, राजस्व और विकास विभाग से कम से कम तीन कर्मचारी हर समय मौजूद रहने चाहिए। चौकी पर खोज और बचाव के लिए रस्सी, बांस, लाइफ जैकेट, टॉर्च, स्टेचर, लाउड स्पीकर आदि होने चाहिए।
बाढ़ राहत चौकियों पर कर्मचारियों के नहीं मिलने पर अधिकारियों को कार्रवाई के लिए पत्र लिखा जाएगा। ताकि लापरवाह कर्मचारियों पर कार्रवाई होने के साथ ही आगे से वह चौकी पर नियमानुसार ड्यूटी कर सकें।
- मीरा कैंतुरा, जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी, हरिद्वार
मानसूून सीजन को देखते हुए बाढ़ राहत चौकियों को अलर्ट मोड में रखा गया है। बाढ़ राहत चौकियों पर कर्मचारियों की ड्यूटी भी लगाई गई है। यदि कहीं बाढ़ राहत चौकी पर कर्मचारी ड्यूटी पर नहीं मिलते है तो उनका वेतन रोकने की कार्रवाई की जाएगी।
- पूरण सिंह राणा, एसडीएम हरिद्वार
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