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Haridwar News: चेक बाउंस के दोषी को तीन माह का कारावास
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चेक बाउंस के मामले में सुनवाई करते हुए न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम रोहित जोशी की अदालत ने आरोपी ललित कुमार को दोषी करार देते हुए तीन माह के साधारण कारावास और 2,50,000 रुपये के अर्थदंड की सजा सुनाई है।
परिवादी के अधिवक्ता ने बताया कि उमेंद्र सिंह निवासी श्रीनाथ नगर पश्चिम ज्वालापुर से जान-पहचान के चलते ललित कुमार निवासी शिवालिक नगर रानीपुर ने जून 2014 में छह लाख रुपये दो वर्ष के लिए उधार लिए थे।
तय समय के बाद जब उमेंद्र सिंह ने रकम वापस मांगी तो ललित कुमार ने दो लाख रुपये का एक चेक 4 अप्रैल 2018 को अपने हस्ताक्षर सहित दिया। इसके अतिरिक्त चार लाख रुपये का एक और चेक अपनी पत्नी के खाते का दिया और कुछ समय बाद बैंक में लगाने की बात कही।
उमेंद्र सिंह ने दो लाख रुपये वाले चेक को बैंक में जमा किया लेकिन वह बाउंस हो गया। इसके बाद उन्होंने 21 जुलाई 2018 को अपने अधिवक्ता के माध्यम से नोटिस भेजा लेकिन नोटिस मिलने के बावजूद आरोपी ने भुगतान नहीं किया। जिसके बाद उमेंद्र सिंह ने अदालत में में वाद दायर किया।
मामले की सुनवाई के बाद अदालत ने आरोपी ललित कुमार को दोषी पाते हुए तीन माह के साधारण कारावास और 2,50,000 रुपये के अर्थदंड की सजा सुनाई। अदालत ने आदेश दिया कि इनमें से 5,000 रुपये सरकारी खाते में जमा होंगे जबकि शेष 2,45,000 रुपये परिवादी को प्रतिकार के रूप में दिए जाएं।
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परिवादी के अधिवक्ता ने बताया कि उमेंद्र सिंह निवासी श्रीनाथ नगर पश्चिम ज्वालापुर से जान-पहचान के चलते ललित कुमार निवासी शिवालिक नगर रानीपुर ने जून 2014 में छह लाख रुपये दो वर्ष के लिए उधार लिए थे।
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तय समय के बाद जब उमेंद्र सिंह ने रकम वापस मांगी तो ललित कुमार ने दो लाख रुपये का एक चेक 4 अप्रैल 2018 को अपने हस्ताक्षर सहित दिया। इसके अतिरिक्त चार लाख रुपये का एक और चेक अपनी पत्नी के खाते का दिया और कुछ समय बाद बैंक में लगाने की बात कही।
उमेंद्र सिंह ने दो लाख रुपये वाले चेक को बैंक में जमा किया लेकिन वह बाउंस हो गया। इसके बाद उन्होंने 21 जुलाई 2018 को अपने अधिवक्ता के माध्यम से नोटिस भेजा लेकिन नोटिस मिलने के बावजूद आरोपी ने भुगतान नहीं किया। जिसके बाद उमेंद्र सिंह ने अदालत में में वाद दायर किया।
मामले की सुनवाई के बाद अदालत ने आरोपी ललित कुमार को दोषी पाते हुए तीन माह के साधारण कारावास और 2,50,000 रुपये के अर्थदंड की सजा सुनाई। अदालत ने आदेश दिया कि इनमें से 5,000 रुपये सरकारी खाते में जमा होंगे जबकि शेष 2,45,000 रुपये परिवादी को प्रतिकार के रूप में दिए जाएं।