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UK: अकबरपुर के लक्ष्मी नारायण विश्व में बाबा नीब करौरी के नाम से हुए प्रसिद्ध, 11 साल की उम्र में हुआ था विवाह

रवींद्र पांडे रवि Published by: हीरा मेहरा Updated Fri, 28 Nov 2025 01:14 PM IST
सार

बाबा नीब करौरी का जन्म 1900 में फिरोजाबाद जिले के अकबरपुर गांव में हुआ था। उनका वास्तविक नाम लक्ष्मी नारायण शर्मा था। उनका जन्मोत्सव इस वर्ष आज को मनाया जा रहा है। वे एक संत होने के साथ-साथ एक आदर्श पति, पिता और पुत्र भी थे।

 

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Lakshmi Narayan of Akbarpur became famous in the world by the name of Baba Neeb Karori
बाबा नीब करौरी - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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बाबा नीब करौरी का जन्म वर्ष 1900 में उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद स्थित अकबरपुर गांव में हुआ था। कम ही लोग जानते हैं कि बाबा नीब करौरी का जन्म वर्ष 1900 में मार्गशीष माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी को हुआ था जो इस वर्ष आज पड़ रही है। लक्ष्मी नारायण शर्मा यानी बाबा नीब करौरी संत के साथ ही आदर्श पति, पिता और पुत्र भी थे।

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बाबा की बेटी गिरिजा से बातचीत के आधार पर उनके जीवन के अनछुए पहलुओं पर ‘महाप्रभु महाराज जी श्री नीब करौरी बाबा- पावन कथामृत’ पुस्तिका की लेखिका डॉ. कुसुम शर्मा ने उनकी जीवन से संबंधित बिंदुओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि बाबा नीब करौरी के पिता वेदाचार्य पंडित दुर्गा प्रसाद शर्मा अनुशासनप्रिय धार्मिक और विद्वान व्यक्ति थे जबकि माता कौशल्या देवी धर्मपरायण महिला थीं। बालक लक्ष्मी नारायण शर्मा (बाबा नीब करौरी) बचपन से ही धार्मिक, आध्यात्मिक, जिज्ञासु, भावुक और अत्यंत दयालु प्रवृति के थे। प्रारंभिक पढ़ाई के बाद वह पढ़ने बनारस गए जहां वेद और संस्कृत का ज्ञान लिया। माता के स्वर्गवास के बाद बाबा का जीवन अध्यात्म की ओर ले गया। सेंट मैरी कॉन्वेंट की शिक्षिका डॉ. कुसुम का कहना है कि बाबा कहते थे कि गृहस्थ जीवन ही सबसे बड़ी तपस्या है। हनुमानगढ़ मंदिर के प्रबंधक एमपी सिंह ने पावन कथामृत की प्रति हनुमानगढ़ के धार्मिक ग्रंथों में होने की पुष्टि की है। 

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11 वर्ष की उम्र में हुआ विवाह
बाबा का विवाह 11 वर्ष की उम्र में नौ वर्ष की रामबेटी से हुआ। लगभग 12–13 साल की उम्र में वे अध्यात्म की खोज में घर से निकल गए। कई वर्षों तक साधनारत रहकर कभी घने जंगल, कभी पर्वतों तो कभी विभिन्न आश्रमों में जीवन व्यतीत करते रहे। नीब करौरी गांव के भक्तों से उन्हें नीब करौरी बाबा नाम मिला। इसके बाद ही बाबा नीब करौरी महाराज के नाम से जाने गए।

पत्नी ने भी कई वर्ष तपस्विनी का जीवन जिया
बाबा के घर से जाने के बाद उनकी पत्नी रामबेटी अपने मायके बादाम बांस चली गईं। उन्होंने पति के लौटने की आशा में एक तपस्विनी जैसा जीवन शुरू कर दिया। कई वर्षों बाद बाबा के पिता पंडित दुर्गा प्रसाद शर्मा उन्हें वापस घर ले आए। यहीं से उनके गृहस्थ जीवन की नई शुरुआत हुई। दस वर्षों बाद बाबा वापस अकबरपुर हवेली में आए। बाबा व रामबेटी की तीन संतानों में अनेग सिंह शर्मा, धर्मनारायण शर्मा और पुत्री गिरिजा शर्मा हैं।

भारत में बाबा के कई हैं आश्रम
प्रसिद्ध कैंची धाम, हनुमानगढ़ी, भूमियाधार, काकड़ीघाट और वृंदावन, पिथौरागढ़, पनकी मंदिर कानपुर, हनुमानसेतु लखनऊ, हनुमानमंदिर शिमला, दिल्ली में महरौली, जौनपुर बेला रोड, धारचूला, जिब्ती, बीरापुरमआज, गर्जिला, बद्रीनाथ, ऋषिकेश स्थित आश्रम करोड़ों लोगों भक्तों की आस्था के केंद्र हैं।

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