Uk: अतिक्रमण मामले में प्रभावितों को सुनवाई का मौका, कोर्ट ने पूछा... दिशानिर्देशों का पालन किया जा रहा या नही
उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने प्रदेश में राजमार्गों, सड़कों और सार्वजनिक जगहों से अतिक्रमण हटाए जाने के मामले में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद सरकार को रिपोर्ट पेश करने के निर्देश देते हुए मामले की अगली सुनवाई के लिए आठ जनवरी की तिथि नियत की है।
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उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने प्रदेश में राजमार्गों, सड़कों और सार्वजनिक जगहों से अतिक्रमण हटाए जाने के मामले में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद सरकार को रिपोर्ट पेश करने के निर्देश देते हुए मामले की अगली सुनवाई के लिए आठ जनवरी की तिथि नियत की है।
मुख्य न्यायाधीश जी नरेन्दर एवं न्यायमूर्ति सुभाष उपाध्याय की खंडपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। मामले के अनुसार उत्तराखंड राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की। न्यायमित्र की ओर से कोर्ट में कहा गया कि अदालत ने 17 अक्टूबर, 2023 को एक आदेश जारी किया था। इसके अनुसार प्रदेश सरकार को जिला स्तर पर सभी जिलाधिकारियों की अगुवाई में एक कमेटी गठित करने और सुनवाई के बाद अतिक्रमण हटाने के निर्देश दिए थे, लेकिन आदेश का उचित अनुपालन नहीं किया गया है। याचिका में कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने भी पिछले साल एक आदेश जारी कर सभी राज्य सरकारों को अतिकमणकारियों को उचित सुनवाई का मौका देने का निर्देश दिया था। उन्होंने कहा कि कुछ अतिक्रमणकारियों ने आरोप लगाया है कि सरकार ने तीन और सात दिन का नोटिस जारी कर अतिक्रमण के खिलाफ कार्यवाही की है। उन्हें सुनवाई का मौका तक नहीं दिया गया है। सरकार की ओर से कहा गया कि राज्य सरकार ने आदेश का अनुपालन किया है। जिलों में कमेटियों का गठन किया गया है। सभी को सुनवाई का मौका दिया जा रहा है।
नैनीताल जनपद के पदमपुरी और खुटानी में सड़क किनारे सरकारी भूमि पर अतिक्रमण को लेकर प्रभात गांधी ने हाईकोर्ट को एक पत्र लिखा था। हाईकोर्ट ने इस पत्र का स्वतः संज्ञान लिया था। पत्र में कहा था कि पदमपुरी-खुटानी राजमार्ग के किनारे सरकारी और वन भूमि पर अतिक्रमण कर दुकानें और व्यावसायिक प्रतिष्ठान बनाए गये हैं। यहां तक कि एक मंदिर का निर्माण भी किया गया है।

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