Uk: नशे की लत और मौत का रिश्ता, ओरल कैंसर बना साइलेंट किलर...जानिए कैसे?
रुद्रपुर में अप्रैल 2024 से अब तक जिले में सामने आए ओरल कैंसर के आंकड़ों ने स्वास्थ्य विभाग के साथ आमजन की चिंता बढ़ा दी है। बीते 21 महीनों में जिले में कुल 2,26,674 लोगों की जांच की गईं जिनमें से 1364 मरीज ओरल कैंसर से पीड़ित पाए गए।
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रुद्रपुर में अप्रैल 2024 से अब तक जिले में सामने आए ओरल कैंसर के आंकड़ों ने स्वास्थ्य विभाग के साथ आमजन की चिंता बढ़ा दी है। बीते 21 महीनों में जिले में कुल 2,26,674 लोगों की जांच की गईं जिनमें से 1364 मरीज ओरल कैंसर से पीड़ित पाए गए। यह आंकड़ा न केवल चौंकाने वाला है बल्कि जिले में तेजी से फैल रही इस गंभीर और जानलेवा बीमारी की भयावह तस्वीर भी पेश करता है।
स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक जिला अस्पताल और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों सहित विभिन्न स्वास्थ्य केंद्रों में नियमित जांच के दौरान यह खुलासा हुआ। इसमें पाया गया कि ओरल कैंसर से पीड़ित अधिकांश मरीज तंबाकू, गुटखा, खैनी, बीड़ी-सिगरेट और अन्य नशीले पदार्थों का लंबे समय से सेवन कर रहे थे। विशेषज्ञों का कहना है कि यही आदतें ओरल कैंसर की सबसे बड़ी वजह बन रही हैं। संवाद
- मुंह में छाले और लाल धब्बे जैसे मामूली लक्षणों से होती है ओरल कैंसर की शुरूआत
राजकीय मेडिकल काॅलेज में जनरल सर्जरी के विभागाध्यक्ष डाॅ. केएस शाही के मुताबिक ओरल कैंसर की शुरुआत अक्सर मामूली लक्षणों से होती है। मुंह में छाले, सफेद या लाल धब्बे, लंबे समय तक घाव का न भरना, बोलने या मुंह खोलने में परेशानी जैसे लक्षण शुरुआत में नजर आते हैं। दुर्भाग्य से लोग इन्हें सामान्य समस्या समझकर नजरअंदाज कर देते हैं। नतीजा यह होता है कि मरीज तब अस्पताल पहुंचता है, जब कैंसर गंभीर अवस्था में पहुंच चुका होता है। लिहाजा लोगोें को किसी तरह के नशीले पदार्थ के सेवन से परहेज करना चहिए। कहना है कि इन आंकड़ों के अनुसार जिले में लगभग हर 166वां व्यक्ति इस बीमारी की चपेट में है। यह अनुपात जिले के लिए एक बड़ी चेतावनी है। समय रहते जांच और इलाज हो जाए तो ओरल कैंसर से बचाव संभव है।
- स्कूल के सौ मीटर के दायरे में ही शराब का ठेका, ये कैसा तंबाकू निषेध अभियान
स्वास्थ्य विभाग की ओर से तंबाकू निषेध अभियान, जागरूकता कार्यक्रम और स्क्रीनिंग कैंप तो लगाए जा रहे हैं लेकिन जमीनी स्तर पर इनका असर सीमित नजर आता है। स्कूलों, कॉलेजों और सार्वजनिक स्थानों के आसपास अब भी तंबाकू उत्पाद खुलेआम बिक रहे हैं। नियमों के बावजूद न तो बिक्री पर रोक लग पा रही है और न ही उपभोक्ताओं में डर पैदा हो रहा है। शहर के एएन झा इंटर कॉलेज के ठीक सामने तंबाकू, सिगरेट आदि नशीले पदार्थों की खुलेआम बिक्री हो रही है। एसबीएस स्नातकोत्तर महाविद्यालय के पास भी महज 100 मीटर के दायरे में ही दो शराब की दुकानें संचालित हैं।
- शरीर ही नहीं मानसिक तौर पर भी टूट जाता हैं कैंसर का मरीज
राजकीय मेडिकल काॅलेज के कैंसर ब्लॉक में शहर से पहुंचे एक ओरल कैंसर पीड़ित मरीज ने बताया कि नशे की आदत ने उनकी जिंदगी पूरी तरह बदल दी है। इलाज में लाखों रुपये खर्च हो चुके हैं। करीब छह महीने से उपचार चल रहा है। बताया कि लंबे इलाज के दौरान शारीरिक और मानसिक रूप से टूट चूका हूं।
- वर्जन
कैंसर स्क्रीनिंग के लिए जिला अस्पताल और सभी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में हफ्ते में दो बार स्क्रीनिंग की व्यवस्था कराई गई है। इसके लिए बाहर से कैंसर रोग विशेषज्ञ पहुंचते हैं। स्क्रीनिंग के बाद जरूरतमंद मरीजों को हल्द्वानी के सुशीला तिवारी अस्पताल में उपचार के लिए भेजा जाता है। कैंसर के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए निरंतर जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। - डाॅ. केके अग्रवाल, सीएमओ
- खटीमा में सर्वाधिक ओरल कैंसर की चपेट में मरीज
ब्लाॅक मरीजोें की जांच जांच के बाद रेफर मरीज
बाजपुर 19,424 322
गदरपुर 35,876 23
जसपुर 27,998 60
काशीपुर 39,268 37
खटीमा 43,159 797
किच्छा 39,154 16
सितारगंज 21,795 50
शहरी क्षेत्र 39,022 59

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