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CG News: डिजिटल युग में भी कायम है हस्तलिखित पत्र लेखन की परंपरा, 81 वर्षीय हीरालाल दे रहे युवाओं को प्रेरणा
बालोद ब्यूरो
Updated Mon, 13 Oct 2025 01:55 PM IST
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आज के डिजिटल दौर में जहां सोशल मीडिया और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जरिए संवाद मिनटों में हो जाता है, वहीं बालोद जिले के कनेरी गांव के 81 वर्षीय हीरालाल यादव पुराने जमाने की हस्तलिखित पत्रों की परंपरा को जीवित रखकर सभी के लिए एक मिसाल कायम कर रहे हैं। उनके पत्र न सिर्फ शब्दों का सार्थक संकलन होते हैं, बल्कि उनमें अपनत्व, संस्कार और समाज सेवा की गहराई भी छुपी होती है।हीरालाल यादव, जो पूर्व पंचायत विभाग के ऑडिटर रह चुके हैं, ने सेवा निवृत्ति के बाद अपने जीवन को समाज सुधार के लिए समर्पित कर दिया है। उन्होंने डिजिटल प्लेटफॉर्म से दूरी बनाकर, त्योहारों, शादी-ब्याह और दुख की घड़ी जैसे महत्वपूर्ण पलों पर अपनी भावनाओं को सजीव करते हुए, हस्तलिखित पत्रों के माध्यम से संदेश भेजने की परंपरा शुरू की। उनके पत्रों की खासियत यह है कि वे हर पत्र में सिर्फ शुभकामनाएं नहीं देते, बल्कि त्योहारों या प्रसंगों के सामाजिक और आध्यात्मिक महत्व को समझाते हैं। यही कारण है कि उनके पत्र युवाओं को भी गहराई से प्रभावित करते हैं। हीरालाल यादव का कहना है कि जब कोई व्यक्ति अपने हाथों से कलम उठाकर लिखता है, तो उसके शब्द दिल और आत्मा की गहराई से निकलते हैं। ऐसे पत्र पढ़ने वाले के मन में स्थायी छाप छोड़ते हैं, जो सामाजिक और भावनात्मक तौर पर गहरा असर डालते हैं।डिजिटल संदेशों की बात करें तो वे अधिकतर क्षणभंगुर होते हैं और जल्दी भुला दिए जाते हैं, लेकिन एक हस्तलिखित पत्र सालों तक संभाल कर रखा जाता है और हर बार उसे पढ़ने पर अपनत्व का एहसास जीवित होता है।
रिश्तेदार अभिन्न यादव बताते हैं कि दादाजी के पत्रों में त्योहारों की पृष्ठभूमि, उनके महत्व और उनसे मिलने वाले सीख का विस्तार होता है। वे न केवल शुभकामनाएं भेजते हैं, बल्कि समाज में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए युवाओं को भी प्रेरित करते हैं। उनके पत्रों में जो संस्कार छिपे होते हैं, वे कई डिजिटल संदेशों से कहीं अधिक असरदार होते हैं।
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