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डायरिया बना जानलेवा: गौरेला-पेंड्रा-मरवाही में दो बैगा आदिवासियों की गई जान, स्वास्थ्य विभाग बता रहा कुछ और
जिले में एक बार फिर डायरिया की दस्तक हुई है, गौरेला विकासखंड के ही दूरस्थ बैगा ग्राम साल्हेघोरी में दोबारा डायरिया का मामला सामने आया है।इसके पूर्व साल्हेघोरी ग्राम पंचायत के ही छिंदपानी आश्रित ग्राम में पूरा का पूरा गांव डायरिया से बुरी तरह प्रभावित हुआ था। मामले में एक आदिवासी सहित एक बैगा की मौत हुई थी। वहीं मामले को अभी एक महीने ही गुजरा है कि साल्हेघोरी ग्राम पंचायत के आश्रित ग्राम बेंदरापानी में एक बार फिर डायरिया का प्रकोप हुआ। मामले में दुर्भाग्य जनक पहलू यह है कि डायरिया से दो बैगा आदिवासियों की मौत हो गई है। दोनों ही बैगा आदिवासी एक ही घर के थे। जिसमें पिता कलेश बैगा उम्र 40 वर्ष और उसकी पुत्री मंगली बाई जिसकी उम्र 20 वर्ष थी। दोनों की मौत होने के बाद स्वास्थ्य विभाग हरकत में आया। तब कहीं जाकर विभाग गांव में पहुंचा और डायरिया पीड़ित डेढ़ दर्जन बैगा आदिवासी लोगों को लेकर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र गौरेला लाया गया। जहां पर उनका इलाज जारी है। डायरिया के प्रकोप का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि बड़े छोटों से लेकर आदिवासी छात्रावासों और आश्रम शालाओं में रह रहे छात्र भी इससे प्रभावित हुए हैं। उनका इलाज भी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में जारी है। वहीं पूरा का पूरा स्वास्थ्य विभाग इस पूरे मामले को छुपाने में लगा हुआ है। अब तक विभाग ने यह नहीं माना है कि दोनों की मौत डायरिया से हुई है। जबकि परिजन सब बता रहे हैं कि दोनों मृतक को लगातार उल्टी दस्त हो रही थी। जिसके बाद पहले पिता की मौत हुई फिर थोड़ी देर बाद पुत्री की भी मौत हो गई। ज्ञात हो की गौरेला पेंड्रा मरवाही जिला छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल का प्रभार वाला जिला भी है। लेकिन एक ही गांव में एक महीने में दूसरी बार यदि यही मामला सामने आता है तो शासन की कार्य प्रणाली पर भी सवालिया निशान खड़े होने लाजमी है। यदि पहले मामले से विभाग ने सबक लिया होता और लगातार गांव का सर्वे के साथ-साथ दवाइयां का वितरण जारी होता तो इस तरह की घटनाएं सामने नहीं आती।
बाइट बिहारी बैगा पीले रंग का टी शर्ट पहने हुए।।
बाइट डॉ सतीश अर्गल खंड चिकित्सा अधिकारी गौरेला।।गुलाबी शर्ट पहने हुए।।
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