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Ankita Bhandari Case: SIT formed on Ankita Bhandari murder case, court did not approve CBI investigation!
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Ankita Bhandari Case: अंकिता भंडारी हत्याकांड पर SIT गठित, CBI जांच को कोर्ट ने नहीं दी मंजूरी!
वीडियो डेस्क, अमर उजाला डॉट कॉम Published by: भास्कर तिवारी Updated Sun, 28 Dec 2025 01:02 AM IST
अंकिता भंडारी हत्याकांड पर, ADGP लॉ एंड ऑर्डर, डॉ. वी. मुरुगेसन ने कहा, "जब सरकार को घटना की जानकारी मिली, तो सरकार ने तुरंत एक महिला IPS अधिकारी की लीडरशिप में एक SIT बनाई। सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया.कोर्ट ने SIT जांच को मंज़ूरी दी और कहा कि CBI जांच की ज़रूरत नहीं है.SIT जांच की सुनवाई निचली अदालत में हुई और उम्रकैद की सज़ा दी गई। मामला अभी भी हाई कोर्ट में पेंडिंग है। सोशल मीडिया पर चल रहे ऑडियो क्लिप के सिलसिले में दो FIR दर्ज की गई हैं.यह बहुत गंभीर मामला है, और पूरी जांच चल रही है। राज्य सरकार का साफ़ मकसद है कि निष्पक्ष, पारदर्शी और पूरी जांच हो, और कोई भी तथ्य या सबूत नज़रअंदाज़ न हो"
उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले की रहने वाली 19 वर्षीय अंकिता भंडारी, ऋषिकेश के पास वनंतरा रिसॉर्ट में रिसेप्शनिस्ट के तौर पर काम करती थीं। 18 सितंबर 2022 को वह संदिग्ध परिस्थितियों में रिसॉर्ट से लापता हो गई थीं। परिजनों द्वारा शिकायत दर्ज कराने के बाद शुरुआती जांच राजस्व पुलिस द्वारा की गई, लेकिन जनता के भारी दबाव और मामले की गंभीरता को देखते हुए इसे नियमित पुलिस (SIT) को सौंप दिया गया। जांच के दौरान पता चला कि रिसॉर्ट के मालिक और उसके साथियों ने मिलकर अंकिता की हत्या कर दी थी।
पुलिस जांच और अंकिता की चैट से यह बात सामने आई कि रिसॉर्ट मालिक पुलकित आर्य अंकिता पर किसी 'वीआईपी' (VIP) गेस्ट को 'एक्स्ट्रा सर्विस' (अनैतिक कार्य) देने के लिए दबाव बना रहा था। अंकिता ने इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया था और कहा था कि वह गरीब जरूर है लेकिन खुद को बेचेगी नहीं। इसी विवाद के चलते 18 सितंबर की रात पुलकित आर्य, अंकित गुप्ता और सौरभ भास्कर अंकिता को ऋषिकेश ले गए, जहां बहस के दौरान उन्होंने अंकिता को चीला शक्ति नहर में धक्का दे दिया, जिससे डूबने से उसकी मृत्यु हो गई। 24 सितंबर 2022 को नहर से अंकिता का शव बरामद किया गया।
इस मामले में मुख्य आरोपी पुलकित आर्य (जो पूर्व भाजपा नेता विनोद आर्य का बेटा है), मैनेजर सौरभ भास्कर और अंकित गुप्ता को गिरफ्तार किया गया। पुलिस ने उनके खिलाफ हत्या, साक्ष्य छिपाने और अनैतिक व्यापार निवारण अधिनियम के तहत चार्जशीट दाखिल की। लंबी कानूनी लड़ाई और लगभग 97 गवाहों की सुनवाई के बाद, 30 मई 2025 को उत्तराखंड की कोटद्वार कोर्ट ने तीनों आरोपियों को दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास (Life Imprisonment) की सजा सुनाई।
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