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Sanjay Raut gives a befitting reply to Waris Pathan's demand for a hijab-clad mayor.
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वारिस पठान के हिजाब वाली मेयर की मांग पर संजय राउत ने दिया करारा जवाब
अमर उजाला डिजिटल डॉट कॉम Published by: आदर्श Updated Fri, 26 Dec 2025 06:51 PM IST
देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में बृहन्मुंबई महानगरपालिका चुनाव 2026 से पहले राजनीति अपने उबाल पर है। मेयर की कुर्सी को लेकर चल रही खींचतान अब सिर्फ सत्ता तक सीमित नहीं रही, बल्कि पहचान, धर्म और जनसांख्यिकी के मुद्दों तक पहुंच गई है। AIMIM नेता वारिस पठान के एक बयान ने इस बहस को और तेज कर दिया है, जिसके बाद शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) और AIMIM आमने-सामने आ गए हैं।
AIMIM नेता वारिस पठान ने कहा कि “एक दिन ऐसा आएगा जब हिजाब पहनने वाली महिला भी मुंबई की मेयर बनेगी।” उन्होंने संविधान का हवाला देते हुए कहा कि अगर देश का संविधान समानता और समान अवसर की बात करता है, तो पठान, खान, अंसारी, शेख या कुरैशी मेयर क्यों नहीं बन सकते। पठान के इस बयान को AIMIM की सियासी रणनीति और मुस्लिम वोट बैंक को साधने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है, खासकर तब जब BMC चुनाव नजदीक हैं।
वारिस पठान के बयान पर शिवसेना (UBT) ने कड़ा पलटवार किया। पार्टी प्रवक्ता आनंद दुबे ने साफ शब्दों में कहा कि “मुंबई का मेयर मराठी हिंदू ही होगा।” उन्होंने AIMIM पर आरोप लगाया कि वह जानबूझकर हिंदू-मुस्लिम का मुद्दा उछालकर माहौल खराब कर रही है और अप्रत्यक्ष रूप से बीजेपी के लिए राजनीति कर रही है। आनंद दुबे ने तीखा तंज कसते हुए कहा कि ऐसी राजनीति भारत में नहीं, बल्कि पाकिस्तान या बांग्लादेश में आजमाई जाए।
इस पूरे विवाद के बीच आंकड़ों की भी खूब चर्चा हो रही है। 2011 की जनगणना के मुताबिक मुंबई में हिंदू आबादी करीब 61 प्रतिशत है, जबकि मुस्लिम आबादी लगभग 25 प्रतिशत है। अलग-अलग राजनीतिक दल इन्हीं आंकड़ों के आधार पर अपने-अपने दावे और रणनीति तय करने में जुटे हैं। माना जा रहा है कि मेयर पद की लड़ाई में जनसांख्यिकी बड़ा फैक्टर बन सकती है।
हालांकि शिवसेना (UBT) के वरिष्ठ नेता और सांसद संजय राउत ने इस बहस को अनावश्यक बताया। वारिस पठान के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए संजय राउत ने कहा कि देश में पहले भी मुस्लिम राष्ट्रपति रह चुके हैं और मौजूदा दौर में बीजेपी सरकार के तहत मुस्लिम राज्यपालों की नियुक्ति भी हुई है। उन्होंने सवाल उठाया कि जब देश के सर्वोच्च संवैधानिक पदों पर मुस्लिम रह सकते हैं, तो इस मुद्दे को बेवजह धार्मिक रंग देना क्यों जरूरी है।
दरअसल, मेयर की कुर्सी को लेकर विवाद तब और गहरा गया जब महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना प्रमुख राज ठाकरे ने उद्धव ठाकरे के साथ संभावित गठबंधन के बाद यह दावा किया कि मुंबई का मेयर मराठी होगा। इसके बाद बयानबाजी का सिलसिला तेज हो गया और राजनीति ने धार्मिक और पहचान की दिशा पकड़ ली।
अब बड़ा सवाल यह है कि क्या यह पहचान और धर्म की बहस BMC चुनाव 2026 के नतीजों को प्रभावित करेगी या फिर मुंबई की जनता विकास, बुनियादी सुविधाओं और प्रशासनिक मुद्दों को प्राथमिकता देगी। फिलहाल इतना तय है कि मेयर की कुर्सी तक पहुंचने का रास्ता इस बार बेहद सियासी और संवेदनशील होने वाला है।
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