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Raj Thackeray and Uddhav Thackeray: Politics heated up with Athawale's statement on the alliance of Thackeray
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Raj Thackeray and Uddhav Thackeray:ठाकरे ब्रदर्स के गठबंधन पर अठावले के बयान से गरमाई राजनीति!
वीडियो डेस्क, अमर उजाला डॉट कॉम Published by: भास्कर तिवारी Updated Thu, 25 Dec 2025 05:00 AM IST
केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले ने BMC चुनाव 2026 के लिए उद्धव ठाकरे गुट और MNS के गठबंधन पर कहा, ".राजनीति के लिए उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे दोनों भाई एक साथ आए हैं तो हमारे तरफ से उन्हें बधाई है। लेकिन नगरपालिका चुनाव में हमारे महायुती को सबसे ज्यादा सीट मिली थी और उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे का नाम भी उस चुनाव में नहीं था। अभी मुंबई को ध्यान में रखते हुए ये एक साथ आए हैं लेकिन मुझे लगता है कि 50% मराठी वोट हमें मिल सकता है तो मुझे लगता है कि इनके साथ में आने से कुछ नहीं होगा। ये दोनों स्वार्थ के लिए साथ आए हैं.मुंबई का महापौर महायुती का होगा
ठाकरे भाइयों—उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे—के बीच राजनीतिक गठबंधन की चर्चा महाराष्ट्र की राजनीति में हमेशा एक संवेदनशील और महत्वपूर्ण विषय रही है। शिवसेना में 2005 के ऐतिहासिक विभाजन के बाद से दोनों भाई अलग-अलग राजनीतिक ध्रुवों पर रहे हैं, लेकिन वर्तमान राजनीतिक परिस्थितियों ने इस गठबंधन की संभावनाओं को फिर से जीवित कर दिया है।
बाल ठाकरे के निधन से पहले ही राज ठाकरे ने पार्टी छोड़कर महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) बना ली थी। तब से दोनों के बीच वैचारिक और व्यक्तिगत दूरियां बनी रहीं। उद्धव ठाकरे ने जहां हिंदुत्व के साथ-साथ 'महा विकास अघाड़ी' (MVA) के जरिए समावेशी राजनीति की ओर रुख किया, वहीं राज ठाकरे ने अपनी राजनीति को 'मराठी मानुष' और कट्टर हिंदुत्व के इर्द-गिर्द केंद्रित रखा।
हाल के वर्षों में शिवसेना (UBT) में हुए बड़े विद्रोह (एकनाथ शिंदे गुट का अलग होना) के बाद उद्धव ठाकरे को अपनी शक्ति मजबूत करने के लिए भरोसेमंद साथियों की जरूरत महसूस हुई है। दूसरी ओर, राज ठाकरे की पार्टी MNS भी चुनावी मैदान में अपनी खोई हुई जमीन वापस पाने के लिए संघर्ष कर रही है। दोनों पक्षों के कार्यकर्ताओं और समर्थकों का मानना है कि यदि 'ठाकरे ब्रांड' एक हो जाता है, तो यह मराठी वोटों के बिखराव को रोक सकता है और विरोधियों के लिए एक बड़ी चुनौती पेश कर सकता है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि महाराष्ट्र की राजनीति में "कुछ भी असंभव नहीं है।" हालांकि दोनों भाई सार्वजनिक मंचों पर एक-दूसरे के खिलाफ बोलने से बचते हैं और पारिवारिक कार्यक्रमों में साथ भी दिखते हैं, लेकिन राजनीतिक धरातल पर उनका एक साथ आना पूरी तरह से आगामी चुनावों के समीकरणों और भाजपा-विरोधी या भाजपा-समर्थक लहर पर निर्भर करेगा।
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