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UP Vidhan Mandal Winter Session: Vijma Yadav and Pooja Pal clashed on law and order and asked many sharp quest
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UP Vidhan Mandal Winter Session: कानून व्यवस्था पर विजमा यादव- पूजा पाल भिड़ीं दागे कई तीखे सवाल!
वीडियो डेस्क, अमर उजाला डॉट कॉम Published by: भास्कर तिवारी Updated Thu, 25 Dec 2025 03:00 AM IST
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उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था को लेकर समाजवादी पार्टी की विधायकों, विजमा यादव (प्रतापगढ़ की पट्टी सीट से विधायक) और पूजा पाल (चायल सीट से विधायक), ने समय-समय पर सदन के भीतर और बाहर अपनी बात रखी है। इन दोनों नेताओं के बयानों में एक बात समान रही है—उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था पर तीखा प्रहार। विजमा यादव ने कानून व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए कहा है कि सरकार "जीरो टॉलरेंस" की बात तो करती है, लेकिन धरातल पर अपराधियों के हौसले बुलंद हैं। उन्होंने कई बार पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठाए हैं और आरोप लगाया है कि पुलिस आम जनता की रक्षा करने के बजाय राजनीतिक दबाव में काम कर रही है। उनका मानना है कि प्रदेश में न्याय केवल चुनिंदा लोगों को मिल रहा है, जबकि गरीब और मजलूम अपनी शिकायतों के लिए भटक रहे हैं।
पूजा पाल, जिन्होंने खुद बाहुबली अतीक अहमद के खिलाफ लंबी कानूनी लड़ाई लड़ी है, कानून व्यवस्था के मुद्दे पर बेहद मुखर रही हैं। उन्होंने सदन में स्पष्ट कहा है कि कानून व्यवस्था का मतलब केवल बुलडोजर चलाना नहीं होना चाहिए, बल्कि अपराधियों के मन में कानून का असली खौफ होना चाहिए। उन्होंने यह भी रेखांकित किया है कि कई बार पुलिस कार्रवाई एकतरफा होती है और असली अपराधियों के बजाय उनके परिवार वालों को निशाना बनाया जाता है, जो न्याय के सिद्धांत के खिलाफ है।
दोनों विधायकों ने अक्सर कहा है कि मुकदमों की सुनवाई और सजा मिलने में बहुत समय लगता है, जिससे अपराधियों के मन से डर खत्म हो जाता है।उन्होंने आरोप लगाया है कि समाज के कमजोर वर्गों के साथ होने वाली घटनाओं में पुलिस एफआईआर दर्ज करने में भी आनाकानी करती है। उन्होंने राज्य सरकार की "एनकाउंटर नीति" और "बुलडोजर कार्रवाई" को कभी-कभी भेदभावपूर्ण बताते हुए इसकी आलोचना की है।
विजमा यादव और पूजा पाल का तर्क यह है कि कानून व्यवस्था केवल आंकड़ों में सुधार दिखाने से नहीं, बल्कि आम जनता के मन में सुरक्षा का भाव पैदा करने से सुधरती है। उनके अनुसार, प्रदेश में अपराध की घटनाएं कम होने के बजाय स्वरूप बदल रही हैं और सरकार को जमीनी स्तर पर काम करने की जरूरत है।
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