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Unnao Rape Case: Will Kuldeep Sengar's troubles increase further in the Unnao case? | Amar Ujala |
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Unnao R^ape Case: उनाव मामलें में अब और बढ़ेगी कुलदीप सेंगर की मुश्किलें? | Amar Ujala |
अमर उजाला नेटवर्क, नई दिल्ली Published by: तन्मय बरनवाल Updated Thu, 25 Dec 2025 06:40 PM IST
उन्नाव दुष्कर्म केस मामले में पूर्व भाजपा नेता कुलदीप सिंह सेंगर की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। उनके जेल की सजा निलंबित करने के इस फैसले से पीड़ित फैमिली निराश है. हाकोर्ट के फैसले पर हंगामा मचा है दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ अब सुप्रीम कोर्ट में एक विशेष याचिका दायर की गई है। मामले में वकील अंजले पटेल और पूजा शिल्पकार की ओर से दायर याचिका में हाई कोर्ट के फैसले पर तुरंत रोक लगाने की मांग की गई है। उन्होंने दलील दी कि हाई कोर्ट ने यह विचार किए बिना आदेश पारित किया कि ट्रायल कोर्ट ने सेंगर को बचे हुए जीवन जेल में बिताने योग्य माना था। उन्होंने कहा कि गंभीर आपराधिक रिकॉर्ड और दुष्कर्म जैसे जघन्य अपराधों में उसकी पक्की संलिप्तता के बावजूद सेंगर को सजा निलंबित करके हाई कोर्ट ने कानून और तथ्यों दोनों के मामले में गंभीर गलती की है।याचिका में कहा गया 'हाई कोर्ट पीड़ित पक्ष की ओर से पेश किए गए सबूतों को समझने में नाकाम रहा, जो कि आरोपी की बर्बरता और क्रूरता को दिखाता है। इस बात का अंदाजा इससे भी लगाया जा सकता है कि जब पीड़िता के पिता न्यायिक हिरासत में थे, तब आरोपी ने परिवार को चुप कराने और न्याय की प्रक्रिया को रोकने के लिए पीड़िता के पिता की हत्या की साजिश रची और उसे अंजाम दिया।' बता दें कि 23 दिसंबर को, दिल्ली हाईकोर्ट ने उन्नाव दुष्कर्म केस में कुलदीप सिंह सेंगर की उम्रकैद की सजा निलंबित कर दी। कोर्ट ने कहा कि सेंगर ने 7 साल और 5 महीने जेल में बिता लिए हैं, इसलिए उनकी सजा को निलंबित किया जाता है। हालांकि सेंगर जेल में ही रहेगा क्योंकि वह पीड़िता के पिता की हिरासत में मौत के मामले में 10 साल की सजा काट रहा है और उस मामले में उसे जमानत नहीं मिली है। मामले में हाई कोर्ट ने कई शर्तें लगाते हुए सेंगर को राहत दी थी। कोर्ट ने 15 लाख रुपये के पर्सनल बॉन्ड, इतनी राशि की तीन जमानतों और दिल्ली में पीड़िता के घर के 5 किमी के दायरे में न आने जैसी कड़ी शर्तों के साथ उसे राहत दी थी। दिसंबर 2019 में ट्रायल कोर्ट ने नाबालिग के अपहरण और रेप के मामले में सेंगर को दोषी ठहराया था। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर ही यह पूरा मामला 2019 में उत्तर प्रदेश से दिल्ली ट्रांसफर किया गया था। फिलहाल अब सुप्रीम कोर्ट यह तय करेगा कि इस मामले में सजा निलंबन का आदेश कानूनन उचित है या नहीं।
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