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Murshidabad Babri Masjid: Jagadguru Rambhadracharya made this appeal to Hindus
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Murshidabad Babri Masjid: जगदगुरु रामभद्राचार्य ने हिन्दुओं से की ये अपील
अमर उजाला डिजिटल डॉट कॉम Published by: आदर्श Updated Thu, 25 Dec 2025 08:58 PM IST
पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में प्रस्तावित ‘बाबरी मस्जिद’ को लेकर सियासत और धर्म के बीच टकराव तेज होता जा रहा है। तृणमूल कांग्रेस से निलंबित विधायक हुमायूं कबीर के उस दावे ने विवाद को और भड़का दिया है, जिसमें उन्होंने तीन साल के भीतर बाबरी नाम की मस्जिद बनाए जाने की बात कही है। इसी मुद्दे पर जगदगुरु स्वामी रामभद्राचार्य ने कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए दो टूक कहा है कि ऐसी कोई कोशिश न तो सफल होगी और न ही होने दी जाएगी।
हुमायूं कबीर ने दावा किया है कि मुर्शिदाबाद जिले के बेलडांगा क्षेत्र में फरवरी 2026 से बाबरी मस्जिद के निर्माण का कार्य शुरू होगा। उनके अनुसार, इस मस्जिद के लिए अब तक 20 करोड़ रुपये से अधिक की धनराशि दानदाताओं और समर्थकों से एकत्र की जा चुकी है, जो पूरी तरह निर्माण में खर्च की जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि लाखों ईंटें पहले ही मंगवाई जा चुकी हैं और हर शुक्रवार यहां नमाज अदा की जाएगी। हुमायूं का कहना है कि तीन साल के भीतर मस्जिद का निर्माण पूरा कर लिया जाएगा।
विवाद तब और गहराया जब हुमायूं कबीर ने कहा कि “मेरा बाबर से कोई लेना-देना नहीं है, लेकिन बाबरी मस्जिद नाम इसलिए रखा गया है क्योंकि आज भी लोगों को उससे दर्द होता है।” उन्होंने यह भी तर्क दिया कि अगर चुनावी मंचों पर ‘जय श्रीराम’ बोलना सही माना जाता है, तो ‘अल्लाह हू अकबर’ कहना भी उतना ही जायज़ है। उनके इन बयानों को धार्मिक ध्रुवीकरण से जोड़कर देखा जा रहा है।
उल्लेखनीय है कि 6 दिसंबर को जो अयोध्या विवाद से जुड़ी एक संवेदनशील तारीख मानी जाती है हुमायूं कबीर ने बांग्लादेश सीमा से सटे मुस्लिम बहुल बेलडांगा इलाके में बाबरी मस्जिद की नींव रखी थी। इसके बाद ही उन्हें तृणमूल कांग्रेस से निलंबित कर दिया गया। हालांकि पार्टी की ओर से आधिकारिक तौर पर इस मुद्दे पर दूरी बनाए रखने की कोशिश की जा रही है, लेकिन विपक्ष इसे तृणमूल की “तुष्टीकरण राजनीति” से जोड़कर हमलावर है।
इस पूरे घटनाक्रम पर जगदगुरु स्वामी रामभद्राचार्य का बयान बेहद सख्त रहा। उन्होंने स्पष्ट कहा कि बाबरी मस्जिद के नाम पर किसी भी तरह का निर्माण न तो कानूनी रूप से संभव है और न ही सामाजिक रूप से स्वीकार्य। उनके मुताबिक, इस तरह के बयान और प्रयास देश में शांति भंग करने वाले हैं। उन्होंने हिंदू समाज से एकजुट रहने की अपील करते हुए कहा कि ऐसे मुद्दों पर मजबूती से जवाब दिया जाना चाहिए।
जगदगुरु ने इस बयान को बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हालिया घटनाओं से भी जोड़ते हुए कहा कि पड़ोसी देश में जो हालात बन रहे हैं, वे चिंता का विषय हैं और भारत में भी ऐसे मामलों पर सामूहिक और गंभीर रुख अपनाने की जरूरत है। उनके अनुसार, बाबरी मस्जिद जैसे नामों को दोबारा उछालना सामाजिक सौहार्द को नुकसान पहुंचा सकता है।
फिलहाल बाबरी मस्जिद के नाम पर प्रस्तावित इस निर्माण ने बंगाल की राजनीति में नई बहस छेड़ दी है। एक ओर इसे धार्मिक स्वतंत्रता और अभिव्यक्ति से जोड़ा जा रहा है, तो दूसरी ओर इसे जानबूझकर भड़काऊ कदम बताया जा रहा है। आने वाले दिनों में यह मुद्दा न सिर्फ पश्चिम बंगाल, बल्कि राष्ट्रीय राजनीति में भी बड़ा विवाद बन सकता है।
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