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Aravalli Hills Controversy: Minister Jawahar Singh Bedham hits back over lease issued on Aravalli mountain ran
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Aravalli Hills Controversy: अरावली पर्वत माला पर जारी पट्टे को लेकर मंत्री जवाहर सिंह बेधम ने किया पलटवार
वीडियो डेस्क, अमर उजाला डॉट कॉम Published by: भास्कर तिवारी Updated Sat, 27 Dec 2025 06:30 AM IST
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राजस्थान के गृह राज्य मंत्री जवाहर सिंह बेढम ने अरावली पर्वतमाला और खनन पट्टों (Leases) को लेकर विपक्ष के आरोपों पर कड़ा पलटवार किया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि अरावली क्षेत्र को लेकर सरकार की नीति पूरी तरह स्पष्ट है और कांग्रेस इस मुद्दे पर जनता को भ्रमित करने के लिए "झूठा प्रोपेगेंडा" फैला रही है। मंत्री बेढम ने हालिया बयानों में कहा कि केंद्र और राज्य सरकार अरावली के संरक्षण के लिए प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का हवाला देते हुए बताया कि केंद्र सरकार ने अरावली क्षेत्र में नए खनन पट्टों पर पूर्ण रोक लगा दी है और यह प्रतिबंध तब तक जारी रहेगा जब तक कि पूरे अरावली परिदृश्य के लिए "सस्टेनेबल माइनिंग मैनेजमेंट प्लान" (MPSM) तैयार नहीं हो जाता।
मंत्री ने विपक्ष के उन दावों को खारिज किया जिसमें कहा गया था कि अरावली की नई परिभाषा (100 मीटर से ऊंचे पहाड़) से इसके अस्तित्व को खतरा है। उन्होंने जोर देकर कहा कि पर्यावरण मंत्रालय ने यह कदम अवैध खनन को हमेशा के लिए रोकने और वैज्ञानिक तरीके से पहाड़ों के प्रबंधन के लिए उठाया है। बेढम के अनुसार, वर्तमान में अरावली के केवल 0.19% हिस्से में ही कानूनी खनन हो रहा है और सरकार पर्यावरण सुरक्षा के साथ किसी भी तरह का समझौता नहीं करेगी। उन्होंने कांग्रेस नेता सचिन पायलट और टीकाराम जूली के आरोपों को राजनीति से प्रेरित बताते हुए कहा कि पूर्ववर्ती सरकार ने लाखों पट्टे जारी करने के दावे किए थे, जबकि वर्तमान सरकार केवल नियम सम्मत और सुरक्षित विकास की दिशा में काम कर रही है।
राजस्थान के अरावली में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में विपक्ष के नेता टीका राम जुली ने कहा, "मैंने पहाड़ों में कभी प्रेस कॉन्फ्रेंस नहीं की। उद्देश्य सिर्फ पहाड़ों को पृष्ठभूमि में दिखाना है। उनका संरक्षण किया गया है, लेकिन पहाड़ों में ऐसे स्थान भी हैं जहां खनन हुआ है। कांग्रेस अरावली को लेकर जिलों में जागरूकता अभियान चलाएगी। इसकी शुरुआत 27 दिसंबर को अलवर से होगी। हमने भंवर जितेंद्र सिंह जी, गहलोत साहब, गोविंद सिंह डोटासरा, पवन खेड़ा जैसे नेताओं को आमंत्रित किया है। जो भी उपलब्ध होंगे, वे शामिल होंगे। अरावली को बचाने की चाह रखने वाले प्रतिनिधि, पार्टी कार्यकर्ता और नागरिक सभी आमंत्रित हैं। मैं पूछना चाहता हूं कि मां अरावली को दांव पर लगाने की क्या मजबूरी थी? इस फैसले का असर अरावली के मंदिरों पर भी पड़ेगा। मैं मंत्री जी से यह भी पूछना चाहता हूं कि आपने जो प्रेस विज्ञप्ति जारी की है, उसमें सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही कहा था कि अरावली में खनन नहीं होगा। हम 27 दिसंबर को इकट्ठा होकर विरोध प्रदर्शन करेंगे।"
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