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The same hands that once held guns are now building homes: a new story of change in Sukma
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जिन हाथों में थीं बंदूकें, अब उन्हीं से बन रहे घर, सुकमा में बदलाव की नई कहानी
अमर उजाला डिजिटल डॉट कॉम Published by: आदर्श Updated Fri, 26 Dec 2025 09:28 PM IST
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छत्तीसगढ़ का सुकमा जिला, जो कभी नक्सल हिंसा और भय का प्रतीक माना जाता था, अब धीरे-धीरे बदलाव की मिसाल बन रहा है। जिन हाथों में कभी स्वचालित राइफलें लहराती थीं, आज वही हाथ ईंट, सीमेंट और कुदाल थामकर घर बनाने में जुटे हैं। यह बदलाव किसी एक व्यक्ति का नहीं, बल्कि आत्मसमर्पण कर मुख्यधारा में लौटे दर्जनों पूर्व नक्सलियों के जीवन में आई नई शुरुआत की कहानी है।
छत्तीसगढ़ सरकार की पुनर्वास नीति के तहत सुकमा में आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को भवन निर्माण का व्यावहारिक प्रशिक्षण दिया जा रहा है। कुल 35 प्रतिभागी इस प्रशिक्षण का हिस्सा हैं, जिनमें 15 महिलाएं और 20 पुरुष शामिल हैं। इन्हें नींव की खुदाई, ईंट जोड़ना, प्लास्टर करना, छत ढालना, गुणवत्ता मानक और सुरक्षा उपायों जैसे भवन निर्माण के सभी जरूरी पहलुओं की ट्रेनिंग दी जा रही है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य है कि ये लोग सरकारी और निजी, दोनों तरह की निर्माण परियोजनाओं में कुशलतापूर्वक काम कर सकें।
यह कौशल विकास कार्यक्रम जिला प्रशासन सुकमा और एसबीआई आरएसईटीआई के संयुक्त प्रयास से संचालित किया जा रहा है। प्रशिक्षण पूरा होने के बाद ये प्रतिभागी प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण के तहत अधूरे और नए मकानों के निर्माण में सक्रिय भूमिका निभाएंगे। इससे उन्हें न सिर्फ स्थायी और सम्मानजनक रोजगार मिलेगा, बल्कि नक्सल प्रभावित और दूरदराज के इलाकों में कुशल राजमिस्त्रियों की लंबे समय से चली आ रही कमी भी दूर होगी।
पुनर्वासित निवासी पोर्डियम भीमा बताते हैं कि आत्मसमर्पण के बाद उनका जीवन पूरी तरह बदल गया है। “अब हमारे लिए भोजन और आवास की अच्छी व्यवस्था है। मैं राजमिस्त्री का प्रशिक्षण ले रहा हूं, इससे पहले इलेक्ट्रीशियन-मैकेनिक का कोर्स भी कर चुका हूं। अब सम्मान के साथ काम कर पा रहा हूं।” वहीं पुवर्ती की मुचाकी रणवती, जो 24 वर्षों तक नक्सली संगठन से जुड़ी रहीं, कहती हैं कि पुनर्वास के बाद उन्होंने पहले सिलाई और अब राजमिस्त्री का प्रशिक्षण लिया है। “हम अपने परिवार से मिल पाए, बस्तर ओलंपिक में हिस्सा लिया और पुरस्कार भी जीता,” रणवती गर्व से बताती हैं।
डब्बामार्का की गंगा वेट्टी के लिए भी पुनर्वास नई उम्मीद लेकर आया है। उन्हें मोबाइल फोन, राजमिस्त्री के औजार दिए गए और आधार, आयुष्मान, राशन व जॉब कार्ड बनवाने के लिए विशेष शिविर लगाए गए। गंगा कहती हैं कि किसी भी समस्या पर जिला प्रशासन तुरंत मदद करता है।
मुख्यमंत्री विष्णु देव साई का कहना है कि सुकमा में पुनर्वास एक आशापूर्ण अध्याय है। सरकार संवाद, सहानुभूति और विकास के जरिए स्थायी शांति स्थापित करने के लिए प्रतिबद्ध है। पुनर्वास नीति के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में तीन साल तक 10 हजार रुपये मासिक सहायता और भूमि, व्यावसायिक प्रशिक्षण व इनाम राशि दी जा रही है। नक्सल मुक्त गांवों में एक करोड़ रुपये तक के विकास कार्य किए जा रहे हैं।
आज सुकमा में पूर्व नक्सली लोकतंत्र, संविधान और सरकार की संवेदनशील नीतियों में विश्वास जता रहे हैं। यह बदलाव बताता है कि जब भरोसा और अवसर मिलते हैं, तो हिंसा का रास्ता छोड़कर विकास का मार्ग चुना जा सकता है।
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