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Big relief for old vehicles on Delhi roads, ban postponed till November 1
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दिल्ली की सड़कों पर पुरानी गाड़ियों को बड़ी राहत, 1 नवंबर तक टला प्रतिबंध
वीडियो डेस्क अमर उजाला डॉट कॉम Published by: आदर्श Updated Tue, 08 Jul 2025 10:19 PM IST
दिल्ली में पुराने वाहनों को लेकर एक बड़ी राहत भरी खबर सामने आई है। राजधानी में 10 साल से ज्यादा पुराने डीजल और 15 साल से ज्यादा पुराने पेट्रोल वाहनों पर लागू किया गया ईंधन प्रतिबंध फिलहाल 1 नवंबर 2025 तक के लिए स्थगित कर दिया गया है।
यह फैसला दिल्ली सरकार और वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) के बीच हुई एक महत्वपूर्ण बैठक के बाद लिया गया। सूत्रों के मुताबिक, सीएक्यूएम ने जनता के आक्रोश और तकनीकी कमियों को देखते हुए इस आदेश के क्रियान्वयन को फिलहाल टालने का निर्णय लिया है।
क्या था प्रतिबंध का आदेश?
दिल्ली में प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए 1 जुलाई 2025 से एक सख्त नीति लागू की गई थी। इस नीति के तहत:
• 10 साल पुराने डीजल वाहनों और
• 15 साल पुराने पेट्रोल वाहनों को
राजधानी में ईंधन नहीं देने का आदेश दिया गया था।
इस प्रतिबंध का दायरा सभी पंजीकृत वाहनों पर लागू था, चाहे वे दिल्ली के हों या किसी और राज्य के।
1 जुलाई को जैसे ही यह नियम लागू हुआ, ईंधन स्टेशनों पर अफरा-तफरी का माहौल देखने को मिला। कई लोग अपनी गाड़ियां लेकर पेट्रोल पंप पहुंचे लेकिन उन्हें ईंधन नहीं मिला।
तीन दिनों के भीतर ही करीब 80 से अधिक वाहन जब्त किए गए। इनमें 67 दोपहिया, 12 कारें और एक ऑटो शामिल थे।
जनता के विरोध और असुविधा को देखते हुए दिल्ली सरकार के पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने सीएक्यूएम से इस आदेश पर पुनर्विचार करने की अपील की।
इस नीति को लागू करने के लिए ईंधन स्टेशनों पर ANPR (ऑटोमैटिक नंबर प्लेट रीडर) कैमरों की व्यवस्था की गई थी।
कैमरे वाहनों की नंबर प्लेट पढ़कर केंद्रीय वाहन डेटाबेस से उसकी जानकारी निकालते थे – जैसे रजिस्ट्रेशन डेट, ईंधन का प्रकार और वाहन की उम्र।
अगर वाहन की उम्र तय सीमा से अधिक होती, तो सिस्टम पेट्रोल पंप कर्मचारियों को अलर्ट भेज देता और ईंधन नहीं देने के निर्देश देता।
लेकिन शुरुआत में ही इस तकनीक में कई गड़बड़ियां और फॉल्स पॉजिटिव अलर्ट आने लगे, जिससे निर्दोष वाहन मालिकों को भी परेशानी झेलनी पड़ी।
CAQM सूत्रों के मुताबिक, अब यह नीति पहले राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) के पांच उच्च वाहन घनत्व वाले जिलों में लागू की जाएगी। ये जिले हैं:
• गुरुग्राम
• फरीदाबाद
• गौतमबुद्ध नगर (नोएडा)
• गाजियाबाद
• सोनीपत
इन जिलों में 31 अक्टूबर 2025 तक ANPR कैमरों की स्थापना पूरी कर ली जाएगी और फिर वहां 1 नवंबर से यह नीति प्रभावी होगी।
दिल्ली में भी तब तक नीति को स्थगित रखा जाएगा।
इस पूरे मामले पर आम आदमी पार्टी (AAP) ने सरकार को घेरा। पार्टी ने मांग की है कि दिल्ली की बीजेपी सरकार लोगों की परेशानियों को ध्यान में रखते हुए एक सप्ताह के भीतर पुराने वाहनों पर स्पष्ट कानून बनाए।
AAP ने कहा कि अगर सरकार कोई ठोस कानून लाती है तो पार्टी उसका समर्थन करेगी। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि बिना तैयारी के ऐसे नियमों को लागू करना जनता के साथ अन्याय है।
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही दिल्ली में:
• 10 साल पुराने डीजल वाहनों और
• 15 साल पुराने पेट्रोल वाहनों की सड़कों पर आवाजाही पर प्रतिबंध लगा दिया है।
लेकिन इस आदेश को प्रभावी रूप से लागू करने में तकनीकी और प्रशासनिक दिक्कतें आती रही हैं।
दिल्ली सरकार ने अपने बचाव में कहा कि वह प्रदूषण नियंत्रण के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है, लेकिन साथ ही यह भी जरूरी है कि जनता की असुविधा न बढ़े।
पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा, “हम कानून का पालन करना चाहते हैं, लेकिन तकनीकी ढांचे और जनता की सुविधा के साथ। जल्दबाजी में कोई भी फैसला जनता के खिलाफ जा सकता है।”
अब दिल्ली सरकार और सीएक्यूएम मिलकर एक व्यापक योजना तैयार करेंगे। इसमें पुराने वाहनों की स्क्रैपिंग, NOC, पार्किंग व्यवस्था और ईंधन वितरण की पारदर्शी प्रक्रिया को फिर से तैयार किया जाएगा।
साथ ही, जनता को जानकारी देने के लिए जागरूकता अभियान भी चलाया जाएगा ताकि लोग इस नीति के बारे में पहले से जान सकें।
1 नवंबर तक दिल्ली के वाहन मालिकों को राहत तो मिल गई है, लेकिन लंबी अवधि के लिए उन्हें अपनी गाड़ियों का विकल्प ढूंढना ही होगा।
सरकार की यह नीति पर्यावरण की दृष्टि से जरूरी है, लेकिन इसके क्रियान्वयन में तकनीकी दक्षता और जनसहयोग की अहम भूमिका है।
दिल्ली की जनता को अब चार महीने की मोहलत मिली है – यह समय गाड़ी बदलने, स्क्रैपिंग करवाने या दिल्ली-NCR के बाहर ले जाने के लिए उपयोगी साबित हो सकता है।
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