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ट्रंप ने फिर दी टैरिफ वाली धमकी, चीन ने किया पलटवार
वीडियो डेस्क अमर उजाला डॉट कॉम Published by: आदर्श Updated Mon, 07 Jul 2025 06:07 PM IST
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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से BRICS देशों को लेकर की गई टैरिफ की धमकी पर अब चीन ने खुलकर मोर्चा खोल दिया है। ट्रंप ने हाल ही में चेतावनी दी थी कि जो देश ब्रिक्स की “अमेरिका विरोधी नीति” से जुड़ते हैं, उन पर 10% अतिरिक्त टैरिफ लगाया जाएगा। इसके जवाब में चीन ने कहा है कि टैरिफ से न तो कोई समस्या हल होती है और न ही यह व्यापारिक संतुलन ला सकता है।
इस मुद्दे ने केवल व्यापारिक तनाव को नहीं बढ़ाया है, बल्कि वैश्विक कूटनीति और भू-राजनीति में भी उबाल ला दिया है।
ब्राजील की राजधानी ब्रासीलिया में चल रहे BRICS सम्मेलन के दौरान सदस्य देशों ने अमेरिका और इज़राइल द्वारा ईरान पर किए गए सैन्य हमलों और अनुचित व्यापार नीति की निंदा की। इस निंदा से अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप खासे नाराज़ हुए और उन्होंने अपनी सोशल मीडिया वेबसाइट ‘ट्रुथ सोशल’ पर पोस्ट करते हुए लिखा: “जो देश अमेरिका विरोधी नीति में BRICS के साथ खड़े होंगे, उन सभी पर 10% अतिरिक्त टैरिफ लगाया जाएगा। इसमें कोई अपवाद नहीं होगा।”
यह बयान ऐसे समय आया है जब 9 जुलाई को अंतरराष्ट्रीय टैरिफ निलंबन की ट्रंप द्वारा घोषित अवधि समाप्त हो रही है। ट्रंप ने कहा है कि इस अवधि के बाद अधिकांश देशों को टैरिफ राहत नहीं मिलेगी, और उन्होंने 10 से 12 देशों को टैरिफ लागू करने के नोटिस भेजने की तैयारी भी पूरी कर ली है।
इस धमकी का सबसे कड़ा जवाब चीन की ओर से आया। चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने एक नियमित प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा: “टैरिफ से किसी को भी लाभ नहीं होता है। यह सिर्फ दबाव की राजनीति है और इसका मकसद वैश्विक सहयोग को नुकसान पहुंचाना है।”
चीन का यह बयान इस ओर संकेत करता है कि BRICS अब केवल विकासशील देशों का आर्थिक समूह नहीं, बल्कि एक राजनीतिक मंच भी बनता जा रहा है, जो पश्चिमी देशों की नीतियों का वैकल्पिक दृष्टिकोण रखता है।
ब्राजील द्वारा होस्ट किए गए इस बार के BRICS सम्मेलन की थीम थी:
“समावेशी और टिकाऊ वैश्विक शासन के लिए ग्लोबल साउथ का सहयोग मजबूत करना।”
इस थीम के तहत जो संदेश गया, वो अमेरिका और पश्चिमी देशों की एकतरफा नीतियों के खिलाफ एकता और वैश्विक संतुलन बनाने की कोशिश है। इस सम्मेलन में पुराने 5 सदस्य देशों—ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका—के अलावा नए सदस्य देशों मिस्र, इथियोपिया, ईरान, यूएई और इंडोनेशिया ने भी भाग लिया।
ईरान की मौजूदगी और अमेरिका-इज़राइल की आलोचना इस सम्मेलन को अमेरिका की नीति के प्रतिरोध का प्रतीक बना रही थी, जिसे ट्रंप ने सीधे “अमेरिका विरोधी” गतिविधि करार दिया।
ट्रंप प्रशासन की टैरिफ नीति कोई नई बात नहीं है। उनके पहले कार्यकाल में भी उन्होंने चीन, भारत, मेक्सिको और यूरोपीय देशों पर भारी टैरिफ लगाए थे। लेकिन यह नीति तब वैश्विक व्यापार संतुलन को बुरी तरह प्रभावित कर गई थी।
अब जबकि वे दोबारा राष्ट्रपति बने हैं, वही नीति फिर से दोहराई जा रही है। और इस बार उसका सीधा निशाना BRICS देश हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप की यह रणनीति चुनावी घरेलू राजनीति से प्रेरित हो सकती है, लेकिन इससे अंतरराष्ट्रीय व्यापार और कूटनीति में जबरदस्त असंतुलन पैदा हो सकता है।
भारत ने BRICS सम्मेलन में सक्रिय भागीदारी की और ‘ग्लोबल साउथ’ की आवाज़ को मजबूती से उठाया। हालांकि अमेरिका के खिलाफ तीव्र बयानबाज़ी में भारत ने सतर्कता बरती। भारत की स्थिति चीन और रूस जैसी नहीं है, क्योंकि वह अमेरिका के साथ भी रणनीतिक साझेदारी रखता है।
भारत की कोशिश है कि वह BRICS के भीतर रहकर ग्लोबल साउथ का नेतृत्व करे, लेकिन किसी भी बड़े आर्थिक और कूटनीतिक टकराव से दूरी बनाए रखे।
BRICS देशों पर ट्रंप की टैरिफ धमकी, और उस पर चीन की प्रतिक्रिया, यह संकेत देती है कि दुनिया दो खेमों में बंटती जा रही है।
एक ओर अमेरिका और उसके सहयोगी देश हैं, जो पारंपरिक वैश्विक व्यवस्था को बनाए रखना चाहते हैं।
दूसरी ओर BRICS जैसे संगठन हैं, जो नए वैश्विक ढांचे और न्यायपूर्ण भागीदारी की मांग कर रहे हैं।
ट्रंप की टैरिफ नीति इस दरार को और गहरा कर सकती है। यदि वास्तव में 10-12 देशों पर अतिरिक्त टैक्स लगाया जाता है, तो इससे वैश्विक मंदी, मूल्यवृद्धि, और भूराजनीतिक टकराव की आशंका और बढ़ जाएगी।
अब सारी निगाहें 9 जुलाई पर टिकी हैं — जब ट्रंप के टैरिफ निलंबन की समयसीमा खत्म होगी। तब तय होगा कि अर्थव्यवस्था की दिशा बाजार तय करेगा या राजनीति।
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