{"_id":"6942d30e476e7d6b310ec4af","slug":"entry-of-private-players-in-the-nuclear-sector-2025-12-17","type":"video","status":"publish","title_hn":"न्यूक्लियर सेक्टर में प्राइवेट प्लेयर्स की एंट्री?","category":{"title":"India News","title_hn":"देश","slug":"india-news"}}
न्यूक्लियर सेक्टर में प्राइवेट प्लेयर्स की एंट्री?
अमर उजाला डिजिटल डॉट कॉम Published by: आदर्श Updated Wed, 17 Dec 2025 09:28 PM IST
केंद्र सरकार ने संसद में सिविल न्यूक्लियर कानून में बदलाव का प्रस्ताव रखकर देश की ऊर्जा नीति में एक बड़ा मोड़ देने की तैयारी कर ली है। लोकसभा में पेश किए गए SHANTI, 2025 विधेयक के जरिए सरकार परमाणु ऊर्जा पर दशकों से चला आ रहा सरकारी एकाधिकार खत्म करना चाहती है। अगर यह विधेयक कानून बनता है, तो भारत में पहली बार निजी कंपनियों और आम नागरिकों के लिए भी परमाणु ऊर्जा से जुड़ी गतिविधियों के रास्ते खुल सकते हैं। यही वजह है कि इस विधेयक को लेकर देशभर में चर्चाएं तेज हैं।
क्या है SHANTI, 2025 विधेयक?
इस विधेयक का पूरा नाम Sustainable Harnessing and Advancement of Nuclear Energy for Transforming India (SHANTI), 2025 है। इसके तहत सरकार दो पुराने कानूनों-
• एटॉमिक एनर्जी एक्ट, 1962
• परमाणु क्षति के लिए नागरिक दायित्व अधिनियम, 2010
को वापस लेने का प्रस्ताव कर रही है। इनकी जगह परमाणु ऊर्जा के उत्पादन, इस्तेमाल, सुरक्षा और नियमन के लिए एक नया कानूनी ढांचा बनाया जाएगा।
सरकार का तर्क है कि बदलते समय और बढ़ती ऊर्जा जरूरतों के हिसाब से पुराने कानून अब पर्याप्त नहीं हैं।
क्या-क्या बदलेगा नए कानून में?
नए विधेयक में परमाणु ऊर्जा को भारत की स्वच्छ ऊर्जा रणनीति का अहम हिस्सा बताया गया है। खासकर एआई, डेटा सेंटर्स और बड़े औद्योगिक ढांचे के बढ़ते विस्तार को देखते हुए सरकार परमाणु ऊर्जा को भविष्य की जरूरत मान रही है।
मुख्य प्रस्ताव:
• निजी कंपनियों और कुछ मामलों में आम व्यक्तियों को भी परमाणु संयंत्र बनाने और चलाने की अनुमति।
• परमाणु गतिविधियों के लिए केंद्र सरकार और परमाणु ऊर्जा नियामक बोर्ड (AERB) से अनिवार्य मंजूरी।
• रेडिएशन, परमाणु कचरा प्रबंधन और आपात स्थितियों पर सख्त नियम।
सुरक्षा कैसे होगी सुनिश्चित?
परमाणु सुरक्षा को लेकर सरकार ने विधेयक में खास प्रावधान किए हैं।
• AERB को पहले से ज्यादा शक्तियां दी जाएंगी।
• रेडियोएक्टिव पदार्थों और उपकरणों पर सरकार का सीधा नियंत्रण रहेगा।
• किसी भी सुरक्षा खतरे की स्थिति में सरकार हस्तक्षेप कर सकेगी।
यानी निजी भागीदारी के बावजूद निगरानी पूरी तरह सरकारी एजेंसियों के हाथ में रहेगी।
हादसा हुआ तो जिम्मेदारी किसकी?
परमाणु हादसों को लेकर विधेयक में साफ व्यवस्था की गई है।
• किसी भी दुर्घटना में परमाणु संयंत्र का संचालक प्राथमिक रूप से जिम्मेदार होगा।
• सामान्य परिस्थितियों में नुकसान की पूरी भरपाई संचालक को करनी होगी।
• लेकिन अगर नुकसान किसी भीषण प्राकृतिक आपदा, सशस्त्र संघर्ष, आतंकवाद या गृहयुद्ध के कारण होता है, तो संचालक की जिम्मेदारी सीमित हो सकती है।
• तय सीमा से अधिक मुआवजे की जिम्मेदारी केंद्र सरकार की होगी।
इसके लिए अलग से परमाणु नुकसान दावा आयोग गठित करने का भी प्रावधान है।
बीमा और वित्तीय सुरक्षा जरूरी
विधेयक के तहत परमाणु क्षेत्र में काम करने वाली निजी कंपनियों और व्यक्तियों को:
• बीमा कवर लेना अनिवार्य होगा।
• वित्तीय सुरक्षा की व्यवस्था पहले से करनी होगी।
फिलहाल भारत का परमाणु बीमा पूल (INIP) 1500 करोड़ रुपये तक का कवरेज देता है।
सरकार यह कदम क्यों उठा रही है?
वर्तमान में भारत में 23 परमाणु रिएक्टर हैं, जिनसे करीब 8.8 गीगावॉट बिजली पैदा होती है। सरकार का लक्ष्य है:
• 2032 तक 22 गीगावॉट
• 2047 तक 100 गीगावॉट परमाणु ऊर्जा उत्पादन।
सरकार मानती है कि केवल सरकारी ढांचे के भरोसे यह लक्ष्य हासिल करना मुश्किल है, इसलिए निजी निवेश को रास्ता दिया जा रहा है।
SHANTI, 2025 विधेयक भारत के परमाणु सेक्टर को नई दिशा दे सकता है। एक तरफ इससे ऊर्जा जरूरतें पूरी करने में मदद मिलेगी, तो दूसरी तरफ सुरक्षा और जवाबदेही सबसे बड़ा सवाल बनी रहेगी। आने वाले दिनों में संसद की बहस तय करेगी कि भारत का परमाणु भविष्य कितना सुरक्षित और कितना निजी होगा।
एड फ्री अनुभव के लिए अमर उजाला प्रीमियम सब्सक्राइब करें
Next Article
Disclaimer
हम डाटा संग्रह टूल्स, जैसे की कुकीज के माध्यम से आपकी जानकारी एकत्र करते हैं ताकि आपको बेहतर और व्यक्तिगत अनुभव प्रदान कर सकें और लक्षित विज्ञापन पेश कर सकें। अगर आप साइन-अप करते हैं, तो हम आपका ईमेल पता, फोन नंबर और अन्य विवरण पूरी तरह सुरक्षित तरीके से स्टोर करते हैं। आप कुकीज नीति पृष्ठ से अपनी कुकीज हटा सकते है और रजिस्टर्ड यूजर अपने प्रोफाइल पेज से अपना व्यक्तिगत डाटा हटा या एक्सपोर्ट कर सकते हैं। हमारी Cookies Policy, Privacy Policy और Terms & Conditions के बारे में पढ़ें और अपनी सहमति देने के लिए Agree पर क्लिक करें।