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How did terrorist organization Jaish teach Dr. Muzammil and Dr. Umar how to make bombs?
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आतंकी संगठन जैश ने डॉ. मुजम्मिल और डॉ. उमर को कैसे सिखाया बम बनाने का तरीका?
अमर उजाला डिजिटल डॉट कॉम Published by: आदर्श Updated Sat, 22 Nov 2025 12:44 PM IST
दिल्ली में 10 नवंबर को हुए बम धमाके की जांच हर दिन नए और चौंकाने वाले खुलासे सामने ला रही है। जांच एजेंसियों को अब तक जो सुराग मिले हैं, उनसे यह साफ होता जा रहा है कि देश की राजधानी पर हमला किसी साधारण मॉड्यूल नहीं, बल्कि एक संगठित ‘व्हाइट-कॉलर टेरर नेटवर्क’ द्वारा रचा गया था। इस मॉड्यूल के केंद्र में डॉक्टरों का एक ऐसा समूह शामिल था, जिसे पाकिस्तानी आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने सुनियोजित तरीके से तैयार किया था।
जांच में सामने आया है कि फरीदाबाद के धौज और फतेहपुर तगा में मौजूद ठिकानों को इस मॉड्यूल के ‘स्टोरेज हब’ के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा था। डॉक्टर मुजम्मिल शकील गनी और डॉक्टर उमर के ठिकाने से जब्त किए गए सबूत बताते हैं कि सामान्य घरेलू मशीनों को विस्फोटक तैयार करने में बदल दिया गया था। जैश-ए-मोहम्मद के पाकिस्तान स्थित हैंडलर ने दोनों डॉक्टरों को बम बनाने के 40 से ज्यादा वीडियो भेजे थे, जिनमें विस्फोटक निर्माण की पूरी प्रक्रिया व तकनीक विस्तार से समझाई गई थी।
सूत्रों के अनुसार, इस मॉड्यूल को जम्मू-कश्मीर के शोपियां निवासी मौलवी इरफान अहमद ने तैयार किया था, जिसने डॉक्टर मुजम्मिल और डॉक्टर उमर को आपस में मिलवाया। इसके बाद कई अन्य डॉक्टरों को भी इस मॉड्यूल से जोड़ा गया, जिससे यह “सफेदपोश आतंकी नेटवर्क” आकार लेता गया। दिल्ली धमाका इसी नेटवर्क के ऑपरेशन का हिस्सा माना जा रहा है।
जांच में यह भी सामने आया है कि डॉक्टरों ने पाकिस्तान से भेजे गए वीडियो देखकर यूरिया से अमोनियम नाइट्रेट निकालने की विधि सीखी। नूंह की एक आटा-चक्की में यूरिया को पीसा गया और फिर इलेक्ट्रिकल मशीनों से उसे रिफाइन किया गया। बाद में इन विस्फोटकों को फरीदाबाद के धौज और फतेहपुर तगा के ठिकानों में जमा किया गया। जिन मशीनों का इस्तेमाल हुआ, वे एक टैक्सी ड्राइवर के घर से बरामद की गई हैं।
इस बीच, हरियाणा स्वास्थ्य विभाग की टीम ने अल फलाह यूनिवर्सिटी परिसर के लैब, ऑपरेशन थिएटर और वार्डों का निरीक्षण किया। आशंका है कि लैब से केमिकल चोरी कर मॉड्यूल को सप्लाई किए जा रहे थे। रिपोर्ट जल्द ही उच्च अधिकारियों को भेजी जाएगी।
जांच एजेंसियों को संदेह है कि इस मॉड्यूल का नेटवर्क केवल फरीदाबाद तक सीमित नहीं, बल्कि देश के अन्य राज्यों तक फैला हो सकता है। महाराष्ट्र पुलिस भी अब अल फलाह यूनिवर्सिटी की जांच में शामिल हो गई है। बताया जा रहा है कि यहां से पास आउट कई डॉक्टर महाराष्ट्र के अस्पतालों में कार्यरत हैं। एजेंसियां यह पता लगा रही हैं कि कहीं वे भी इस मॉड्यूल से जुड़े तो नहीं हैं।
जैश-ए-मोहम्मद की रणनीति डॉक्टरों, अस्पतालों और मेडिकल स्टाफ का उपयोग कर “आतंकी ठिकाना” और “हथियारों की सप्लाई चेन” विकसित करने की थी। डॉक्टर रोजाना कई मरीजों से मिलते हैं, जिससे उन पर विश्वास बढ़ जाता है। इसी ‘साफ-सुथरी छवि’ का फायदा उठाकर मॉड्यूल को छिपकर संचालित किया गया।
सफेदपोश आतंकी मॉड्यूल की जांच के समानांतर, जम्मू-कश्मीर पुलिस ने गांदरबल, कुपवाड़ा और श्रीनगर के अस्पतालों में डॉक्टरों के लॉकर खंगाले। उद्देश्य था यह पता लगाना कि कहीं लॉकरों का दुरुपयोग खतरनाक सामग्री भंडारण के लिए तो नहीं हो रहा।
उधर, कश्मीर के हंदवाड़ा में सेना और पुलिस ने नियंत्रण रेखा के पास हथियारों का बड़ा जखीरा बरामद किया है। इसमें अमेरिकी एम4 कार्बाइन असॉल्ट राइफल, एम-सीरीज की असॉल्ट राइफलें, पिस्तौल, मैगजीन और ग्रेनेड शामिल हैं। इससे स्पष्ट है कि दुश्मन देश में एक बड़े नेटवर्क के जरिए आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने की तैयारी कर रहे थे।
दिल्ली धमाके की जांच अब ऐसे मोड़ पर पहुंच चुकी है, जहां हर सुराग एक बड़े आतंकी षड्यंत्र की ओर इशारा कर रहा है। जांच एजेंसियां पूरे नेटवर्क को ध्वस्त करने के अभियान में जुट गई हैं।
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