भारत और अमेरिका के बीच एक बार फिर बड़ी ट्रेड डील को लेकर हलचल तेज़ हो गई है। सवाल सिर्फ यही नहीं है कि यह डील होगी या नहीं, बल्कि यह भी कि क्या डोनाल्ड ट्रंप के दौर में लगाए गए भारी टैरिफ से भारत को अब राहत मिलने वाली है। ट्रंप टैरिफ ने बीते वर्षों में भारतीय स्टील, एल्युमिनियम, टेक्सटाइल और ऑटो सेक्टर को बड़ा झटका दिया था। अब ऐसे समय में जब अमेरिका में चुनावी माहौल गर्म है और भारत खुद को ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग हब के तौर पर स्थापित करने की कोशिश में है, यह प्रस्तावित ट्रेड डील दोनों देशों के लिए एक बड़ा गेम-चेंजर साबित हो सकती है।
इस समझौते के एजेंडे में टैरिफ में कटौती, भारतीय उत्पादों को अमेरिकी बाजार में आसान एंट्री, डिफेंस और टेक्नोलॉजी सेक्टर में रणनीतिक साझेदारी, फार्मा और सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री में नए समझौते और चीन के विकल्प के रूप में भारत को मजबूत करने जैसे बड़े मुद्दे शामिल बताए जा रहे हैं। लेकिन तस्वीर का दूसरा पहलू भी उतना ही अहम है, क्योंकि अमेरिका भारत से कृषि, डेयरी और डिजिटल पॉलिसी में अहम रियायतें चाहता है।
ऐसे में यह सवाल भी उठता है कि यह डील भारतीय उद्योग, MSME सेक्टर और आम जनता के लिए कितनी फायदेमंद होगी और कहीं इसका फायदा सिर्फ बड़ी कंपनियों तक ही सीमित तो नहीं रह जाएगा। इस पूरे मुद्दे में यह जानना बेहद जरूरी है कि ट्रंप टैरिफ का असली बैकग्राउंड क्या है, इस डील का वास्तविक एजेंडा क्या है, किन सेक्टर्स को सबसे ज्यादा फायदा मिल सकता है और इसका सीधा असर आपकी नौकरी, बिज़नेस और महंगाई पर कैसे पड़ेगा।