उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सोमवार शाम को स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को अपना इस्तीफा भेज दिया और कहा कि वह तत्काल प्रभाव से पद छोड़ रहे हैं। धनखड़ ने राष्ट्रपति को लिखे अपने पत्र में कहा, स्वास्थ्य देखभाल को प्राथमिकता देने और चिकित्सीय सलाह का पालन करने के लिए, मैं संविधान के अनुच्छेद 67 (ए) के अनुसार, तत्काल प्रभाव से भारत के उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा देता हूं। धनखड़ पद पर रहते हुए इस्तीफा देने वाले दूसरे उपराष्ट्रपति हैं। इससे पहले वीवी गिरि ने 20 जुलाई, 1969 को स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में राष्ट्रपति चुनाव लड़ने के लिए अपने पद से इस्तीफा दे दिया था।
आपको बता दें कि यदि भारत के उपराष्ट्रपति कार्यकाल समाप्त होने से पहले इस्तीफा देते हैं, तो अगले उपराष्ट्रपति पद ग्रहण की तारीख से पांच वर्ष की पूरी अवधि तक के लिए चुने जाते हैं। यह भारतीय संविधान के अनुच्छेद 68 के प्रावधानों के अनुसार होता है। जिसमें स्पष्ट किया गया है कि उपराष्ट्रपति का कार्यकाल सामान्य रूप से पांच वर्ष का होता है और रिक्त पद को भरने के लिए निर्वाचित व्यक्ति को पूर्ण कार्यकाल मिलेगा, न कि पिछले उपराष्ट्रपति के शेष कार्यकाल के लिए उनका चुनाव होगा।
अनुच्छेद 68- पद खाली होने की स्थिति में चुनाव और नए उपराष्ट्रपति का कार्यकाल को लेकर कहा गया है कि यदि उपराष्ट्रपति का कार्यकाल पूरा होने वाला हो, तो नए उपराष्ट्रपति का चुनाव कार्यकाल पूरा होने से पहले कर लेना चाहिए। जबकि यदि उपराष्ट्रपति का पद बीच में मृत्यु, इस्तीफे या हटाए जाने के कारण खाली हो जाता है, तो जल्द से जल्द चुनाव कराना जरूरी है। अनुच्छेद 67 के नियमों के अनुसार, चुना गया नया उपराष्ट्रपति जिस दिन से पदभार संभालेगा। उस दिन से पूरे पांच साल का कार्यकाल पूरा करेगा।
इसका एक उदाहरण 2002 में देखने को मिला था। उस समय उपराष्ट्रपति कृष्णकांत का पद पर रहते हुए वर्ष 2002 में निधन हो गया था। तब वह उपराष्ट्रपति पद पर थे। तब उनके निधन के कारण उपराष्ट्रपति का पद अस्थायी रूप से रिक्त हो गया। नया चुनाव हुआ और भैरों सिंह शेखावत को उपराष्ट्रपति चुना गया था। भैरो सिंह ने अपना पांच वर्ष का कार्यकाल पूरा किया था।